इंटरनेट पर क्षेत्रीय भाषा में ‘अश्लील कंटेट’ पर लगेगी पाबंदी

Govt going to Ban on porn content in regional language on internet
इंटरनेट पर क्षेत्रीय भाषा में ‘अश्लील कंटेट’ पर लगेगी पाबंदी
इंटरनेट पर क्षेत्रीय भाषा में ‘अश्लील कंटेट’ पर लगेगी पाबंदी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंटरनेट पर लगातार क्षेत्रीय भाषा बढ़ रही आपत्तिजनक सामग्री को लेकर केंद्र सरकार रोक लगाने की तैयारी कर रही है। इन भाषाओं में अश्लील वीडियो, चित्र, ग्राफिक्स संदेश समेत अन्य सामग्री पर इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (आईटी) राज्य सरकारों और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर शिकंजा कसेगा। अश्लील वेबसाइटों को बंद करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कई स्तरों पर कदम उठाए गए।

 

 

तीन स्तरों पर रोका जाएगा पॉर्न कंटेट

मंत्रालय ने हालांकि यह साफ भी किया है कि किसी भी इलेक्ट्रॉनिक फिल्टर तंत्र से प्रॉक्सी सर्वर का यूज करके बचा जा सकता है। फिल्टरों के लिए एंक्रिप्शन (कूटलेखन) तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। बच्चों के यौन शोषण से जुड़ी सामग्री को तीन स्तरों पर रोका जा रहा है। इसमें आपत्तिजनक सामग्री को मिटाने, फिल्टर लगाने और दूसरे देशों की एजेंसियों को सूचित कर देश में प्रसार रोकने के लिए कदम उठाया जाता है। इस दौरान कई चुनौतियां सामने आईं, जिनमें पाबंदी के बाद नाम बदल कर सामग्री परोसना प्रमुख हैं। 

 

राज्यों को भी किया जा रहा सचेत

बता दें कि तकनीक के जरिए अश्लील वेबसाइट अपना पता, सर्वर और कुछ शब्दों में थोड़ा बहुत बदलाव कर फिर से शुरू हो जाती हैं। जिसके चलते देश में क्षेत्रीय भाषाओं में आपत्तिजनक सामग्री को हटाने के लिए अलग व्यवस्था की जा रही है। इस कार्य में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर भी मदद करेंगे। हालांकि कई देशों में ऐसी सामग्री के प्रसारण पर पाबंदी नहीं है, जिसके चलते अश्लील वेबसाइट को बंद करना ही एकमात्र उपाय है। देश में क्षेत्रीय भाषाओं में इस तरह की सामग्री प्रसारित करने के खिलाफ कानूनी कदम उठाने के लिए राज्यों को भी सचेत किया जा रहा है।

 


 

100 प्रतिशत कंटेट नहीं हटाया जा सकता

मंत्रालय का कहना है कि अश्लील सामग्री को इंटरनेट से 100 फीसदी हटाने के लिए सभी सामग्री की परख करने की जरूरत होती है। ऐसा किए जाने पर संविधान में अनुच्छेद 19 और 21 में नागरिकों को मिले अधिकार का उल्लंघन होगा। जिससे इंटरनेट भी काफी धीमा हो जाएगा। इससे लैपटॉप और कंप्यूटर का इस्तेमाल करने वाले करीब 50 करोड़ उपभोक्ताओं को परेशानी होगी। इससे भी बड़ी तादाद में मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल बाधित होगा। इस कारण सरकार अभी धीरे-धीरे आईटी कंपनियों की मदद से काम कर रही है।  
 

Created On :   12 April 2018 8:10 AM IST

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