राफेल : सरकार ने सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपे दस्तावेज

Govt submits document on decision process to petitioners of Rafale deal
राफेल : सरकार ने सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपे दस्तावेज
राफेल : सरकार ने सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपे दस्तावेज
हाईलाइट
  • राफेल जेट सौदे को लेकर देश में घमासान छिड़ा हुआ है।
  • विमान खरीद की प्रक्रिया से जुड़े दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर याचिकाकर्ताओं को केंद्र सरकार ने सौंपे हैं।
  • सोमवार को केंद्र सरकार ने इस सौदे की जानकारी सार्वजनिक कर दीं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राफेल जेट सौदे को लेकर देश में घमासान छिड़ा हुआ है। कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है और राफेल विमानों की कीमतों के बारे में जानकारी मांग रही है। इस बीच सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि राफेल सौदा किस तरह हुआ। सरकार ने राफेल जेट की कीमतों के बारे में मांगा गया जवाब भी सील बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा। केंद्र सरकार ने विमान खरीद की प्रक्रिया से जुड़े दस्तावेज भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर याचिकाकर्ताओं को सौंपे हैं।

दस्तावेज जिसका शीर्षक "36 राफेल विमानों की खरीद में फैसले लेने की प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी" है में कहा गया है कि राफेल की खरीद में सभी प्रकियाओं का पालन किया गया है। दस्तावेजों में दावा किया गया है कि समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले डिफेंस एक्वीजिशन काउंसिल और कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्यॉरिटी (CCS) की मंजूरी ली गई थी। सरकार ने बताया कि इस प्रक्रिया के लिए फ्रांस सरकार से करीब एक साल तक बात चली। केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि ऑफसेट पार्टनर चुनने में सरकार का कोई रोल नहीं है। नियमों के मुताबिक विदेशी निर्माता किसी भी भारतीय कंपनी को बतौर ऑफसेट पार्टनर चुनने के लिए स्वतंत्र हैं। सरकार ने कहा कि भारत में सालों से रक्षा खरीद प्रक्रिया 2013 का ही पालन किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर को सरकार को निर्देशित किया था कि वह याचिकाकर्ताओं को राफेल विमान खरीद प्रक्रिया से जुड़े दस्तावेज सौंपे। याचिकाकर्ताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी के अलावा एक्टिविस्ट लॉयर प्रशांत भूषण शामिल हैं। सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने कहा था कि वह डिफेंस फोर्सेज के लिए राफेल जेट की उपयोगिता पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा था कि वह सरकार को कोई नोटिस जारी नहीं कर रहे हैं, वह केवल फैसला लेने की प्रक्रिया की वैधता से संतुष्ट होना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई अब 14 नवंबर को करेगा। 

क्या है राफेल डील? 
भारत ने 2010 में फ्रांस के साथ राफेल फाइटर जेट खरीदने की डील की थी। उस वक्त यूपीए की सरकार थी और 126 फाइटर जेट पर सहमित बनी थी। इस डील पर 2012 से लेकर 2015 तक सिर्फ बातचीत ही चलती रही। इस डील में 126 राफेल जेट खरीदने की बात चल रही थी और ये तय हुआ था कि 18 प्लेन भारत खरीदेगा, जबकि 108 जेट बेंगलुरु के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में असेंबल होंगे यानी इसे भारत में ही बनाया जाएगा। फिर अप्रैल 2015 में मोदी सरकार ने पेरिस में ये घोषणा की कि हम 126 राफेल फाइटर जेट को खरीदने की डील कैंसिल कर रहे हैं और इसके बदले 36 प्लेन सीधे फ्रांस से ही खरीद रहे हैं और एक भी राफेल भारत में नहीं बनाया जाएगा।

Created On :   12 Nov 2018 12:01 PM GMT

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