रेप पर फांसी: HC ने केंद्र से पूछा- अध्यादेश लाने से पहले कोई रिसर्च की है?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपने कोई अध्ययन, कोई वैज्ञानिक आकलन किया कि मौत की सजा बलात्कार की घटनाएं रोकने में कारगर साबित होती है? क्या आपने उस नतीजे के बारे में सोचा है जो पीड़िता को भुगतना पड़ सकता है? बलात्कार और हत्या की सजा एक जैसी हो जाने पर कितने अपराधी पीड़ितों को जिंदा छोड़ेंगे? ये सवाल दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सोमवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एवं न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने सरकार से पूछे है।
कोर्ट ने पूछा कोई रिसर्च की है क्या?
दिल्ली हाई कोर्ट में रेप लॉ में 2013 में हुए बदलाव को चुनौती देने वाली एक पुरानी याचिका पेंडिंग है। इस याचिका पर हाईकोर्ट में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एवं न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने सुनवाई की। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ रेप के मामले में फांसी की सजा के प्रावधान किए जाने से पहले कोई रिसर्च किया गया है। मालूम हो कि रविवार को ही इंडिया के प्रेसिडेंट रामनाथ कोविंद ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप करने वाले अपराधियों को फांसी की सजा देने के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दी है।
पॉक्सो एक्ट में क्या किए गए है संशोधन?
- 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप करने वाले को फांसी की सजा।
- 16 साल से छोटी लड़की से गैंगरेप पर उम्रकैद की सजा।
- 16 साल से छोटी लड़की से रेप पर कम से कम 20 साल तक की सजा।
- सभी रेप केस में 6 महीने के भीतर फैसला सुनाना होगा।
- नए संशोधन के तहत रेप केस की जांच 2 महीने में पूरी करनी होगी।
- रेप के आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं मिल पाएगी।
- महिला से रेप पर सजा 7 से बढ़कर 10 साल की गई है।
- सरकारी वकीलों के नए पद घोषित किए जाएंगे।
- नए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाएंगे।
- बलात्कार पीड़िता के लिए सभी थानों और अस्पतालों में फोरेंसिक किट उपलब्ध कराए जाएंगे।
- बलात्कार से जुड़े मामलों को समयबद्ध तरीके से निबटाने के लिए विशेष तौर पर अधिकारियों-कर्मचारियों की नियुक्ति होगी
- हर राज्य व केंद्र शासित प्रदेश में बलात्कार से जुड़े मामलों के लिए विशेष फॉरेसिंग लैब बनाए जाएंगे।
Created On :   23 April 2018 9:01 PM IST