मुस्लिम लड़कियों का खतना किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर SC में सुनवाई आज

Hearing in Supreme Court on genital circumcision practice today
मुस्लिम लड़कियों का खतना किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर SC में सुनवाई आज
मुस्लिम लड़कियों का खतना किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर SC में सुनवाई आज
हाईलाइट
  • केन्द्र सरकार ने भी प्रथा के खिलाफ जताई अापत्ति।
  • खतना प्रथा के खिलाफ दायर याचिका में प्रथा को भारत में खत्म करने की मांग।
  • बोहरा मुस्लिम समाज की कुप्रथा पर सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बोहरा मुस्लिम समाज की लड़कियों का खतना करने के खिलाफ दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। खतना के खिलाफ दायर याचिका पर पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कई गंभीर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने इस प्रथा को महिलाओं की निजता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए पूछा था, कि पति को खुश करने के लिए महिला पर ही दायित्व क्यों ?  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह का कृत्य एक औरत को आदमी के लिए तैयार करने के मकसद से किया जाता है, जैसे वह जानवर हो। कोर्ट ने कहा था कि धर्म के नाम पर कोई भी किसी लड़की के यौन अंग को कैसे छू सकता है, यौन अंगों को काटना लड़कियों की गरिमा और उनके सम्मान के खिलाफ है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में महिलाओं के खतने की प्रथा पर भारत में पूरी तरह से बैन लगाने की मांग की गई है।

 

केन्द्र सरकार में भी जताई थी अपत्ति 
इस प्रथा को लेकर केंद्र सरकार ने भी अपनी आपत्ति दर्ज करवाते हुए कोर्ट में कहा कि धर्म की आड़ में लड़कियों का खतना जुर्म है और ये इस पर रोक लगनी चाहिए। इससे पहले केंद्र सरकार ने यह भी कहा था कि इसके लिए कानून के दंडविधान में इस पर सात साल तक कैद की सजा का प्रावधान भी है। SC ने कहा था, कि महिलाओं का खतना सिर्फ इसलिए नहीं किया जा सकता कि उन्हें शादी करनी है। महिलाओं का जीवन केवल शादी और पति के लिए नहीं होता। शादी के अलावा भी महिलाओं का दायित्व है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह लैंगिक संवेदनशीलता का मामला है और स्वास्थ्य ने लिए खतरनाक भी हो सकता है।

खतना स्वास्थ्य के लिए खतरा है या नहीं 
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने पक्ष रखते हुए कहा है कि नाबालिग बच्चों के प्राइवेट पार्ट को छूना पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध है। साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी आपराधिक कृत्य की सिर्फ इसलिए इजाजत नहीं दी जा सकती है क्योंकि वह प्रथा है। दूसरी तरफ दाऊदी बोहरा समुदाय की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस प्रथा का बचाव करते हुए कहा कि यह कहना कि खतना को स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खतरा बताना गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि इन दिनों विशेषज्ञ डॉक्टर एफजीएम को अंजाम देते हैं।दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने दाऊदी बोहरा मुस्लिम समाज में आम रिवाज के रूप में प्रचलित इस इस्लामी प्रक्रिया पर रोक लगाने वाली याचिका पर केरल और तेलंगाना सरकारों को भी नोटिस जारी किया था।


गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने भी इस प्रथा के विरोध में दाखिल याचिका का समर्थन किया है। इस याचिका में दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय की नाबालिग लड़कियों का खतना किए जाने की प्रथा का विरोध किया गया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि धर्म की आड़ में लड़कियों का खतना करना जुर्म है और वह इस पर रोक का समर्थन करता है। लड़कियों का खतना करने की ये परंपरा ना तो इंसानियत के नाते और ना ही कानून की रोशनी में जायज है। क्योंकि ये संविधान में समानता की गारंटी देने वाले अनुच्छेदों में 14 और 21 का सरेआम उल्लंघन है.लिहाजा मजहब की आड़ में लड़कियों का खतना करने के इस कुकृत्य को गैर जमानती और संज्ञेय अपराध घोषित करने का आदेश देने की प्रार्थना की गई थी।

Created On :   28 Aug 2018 10:05 AM IST

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