गोरखपुर केस: डॉक्टर काफिल अहमद को 7 महीने बाद हाईकोर्ट से जमानत
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। हाईकोर्ट ने बुधवार को जेल में बंद डॉ. कफील अहमद को जमानत दे दी। कफील खान गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के मामले में करीब 7 महीनों से जेल में बंद थे। आरोपी डॉक्टर को यूपी एसटीएफ ने लखनऊ से गिरफ्तार किया था। कफील बीआरडी अस्पताल में वॉर्ड सुपरिंटेंडेंट थे। बता दें कि 10-11 अगस्त, 2017 को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के चलते 30 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी।
शर्तों के साथ मिली जमानत
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने डॉक्टर कफील अहमद और राज्य सरकार के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद यह जमानत दी। डाक्टर कफील को जमानत देते हुए अदालत ने उस पर कई शर्ते लगाईं है। कोर्ट ने कहा है कि वह किसी रिकार्ड या दस्तावेज से छेड़छाड़ नहीं करेंगे और न ही इस मामले के किसी गवाह को धमकाएंगे या प्रभावित करेंगे। बता दें कि एक सप्ताह पहले डॉ. कफील खान ने जेल से 10 पन्नों का एक खत लिखा था। इस खत में उन्होंने कहा था कि बड़े स्तर पर हुई प्रशासनिक नाकामी के लिए उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है। 18 अप्रैल को लिखा गया ये खत उनकी पत्नी शबिस्ता ने बीते शनिवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में पूरी मीडिया को जारी किया था।
अगस्त 2017 में हुआ था हादसा
गौरतलब है कि अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद अस्पताल प्रशासन के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इनमें डॉक्टर कफील भी शामिल थे। कफील पर निजी प्रैक्टिस का भी आरोप लगा था। इसके साथ ही घटना का एक पहलू और भी है। जब डॉक्टर कफील अहमद पर आरोप लगाए गए तो सोशल मीडिया, राजनीतिक पार्टियों और मीडिया के एक बड़े तबके ने उन्हें दोषी की तरह पेश किया, उनके धर्म, उनकी राजनीतिक विचारधारा और रहन-सहन के बहाने उन्हें घेरा गया।
Created On :   25 April 2018 11:11 PM IST