यूपी में ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए हाई कोर्ट ने दिया योगी सरकार को यह सुझाव
डिजिटल डेस्क, इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तरप्रदेश सरकार को सुझाव देते हुए कहा है कि यदि वह ध्वनि प्रदूषण को रोकने में पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रही है, तो उसे लाल बत्ती की ही तरह पूरे प्रदेश में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर भी प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने धर्मस्थलों पर लगे लाउडस्पीकर के गैरकानूनी इस्तेमाल और शादियों और जलूसों में डीजे बजाने पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह सुझाव दिया। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अब्दुल मोइन की बेंच ने कहा कि 2017 के आदेश के बावजूद स्थिति में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला है।
गौरतलब है कि दिसम्बर 2017 में कोर्ट ने स्थानीय वकील मोतीलाल यादव की तरफ से दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल को लेकर निर्देश जारी किए थे। बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा था कि यह बहुत गंभीर मामला है और इस पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। कोर्ट ने सरकार से पूछा था यदि धर्मस्थलों पर लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति नहीं ली गई है तो कानून के तहत उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। कोर्ट में मौजूद प्रमुख गृह सचिव ने 4 जनवरी को सरकार की तरफ से जारी किया गया आदेश पेश करते हुए यह बताने का प्रयास किया कि वर्तमान सरकार ने धर्म स्थलों, विवाहों और जुलूसों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल से पहले लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया था।
हालांकि बेंच ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण कानून में जरूरी परिवर्तन किए जाने की अवश्यकता है। बेंच ने केद्र सरकार के लाल बत्ती के इस्तेमाल पर लगाए प्रतिबन्ध का हवाला देते हुए यह बात कही। कोर्ट ने कहा कि ध्वनिप्रदूषण को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयास सिर्फ दिखावे के समान लगते हैं। बेंच ने 12 मार्च को प्रमुख गृह सचिव को और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को हाजिर होने के निर्देश दिए हैं। 12 मार्च को इन्हें ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के लिए अभी तक किए गए सरकारी कार्यों का ब्यौरा पेश करने को कहा गया है।
Created On :   24 Feb 2018 12:17 AM IST