राहुल के कांग्रेस प्रेसिडेंट बनने के बाद कितनी बदलेगी पार्टी? 

how congress will change after becoming rahul gandhi as party president
राहुल के कांग्रेस प्रेसिडेंट बनने के बाद कितनी बदलेगी पार्टी? 
राहुल के कांग्रेस प्रेसिडेंट बनने के बाद कितनी बदलेगी पार्टी? 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राहुल गांधी शनिवार को औपचारिक रुप से कांग्रेस की कमान अपने हाथ में लेने वाले हैं। राहुल की मां और कांग्रेस की कमान 19 सालों तक संभालने वाली सोनिया गांधी खुद उन्हें पार्टी की बागडोर सौंपने वाली है। इसके बाद सोनिया तो राजनीति से रिटायर हो जाएंगी, लेकिन राहुल राजनीति में अपनी नई पारी की शुरुआत करेंगे। राहुल को कांग्रेस प्रेसिडेंट बनाने की मांग कई बार उठ चुकी है, लेकिन पार्टी के अच्छे प्रदर्शन नहीं कर पाने के कारण हर बार राहुल की ताजपोशी को रोक दिया गया। अब राहुल को कांग्रेस का प्रेसिडेंट बनाया गया है और वो भी ऐसे समय में जब पार्टी बहुत कमजोर स्थिति में है। ऐसे में पार्टी के नए प्रेसिडेंट के तौर पर राहुल के सामने कई तरह की चुनौतियां सामने होंगी। राहुल की ताजपोशी के ठीक दो दिन बाद गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने हैं। अगर एग्जिट पोल सही साबित हुए तो कांग्रेस के हाथ से एक और राज्य (हिमाचल प्रदेश) चला जाएगा। जबकि गुजरात में वो 22 सालों से सत्ता से बाहर चल रही है। ऐसे में हार का ठीकरा भी राहुल के ऊपर ही फूटेगा, क्योंकि इन दोनों राज्यों में राहुल ने ही प्रचार किया है। राहुल नेहरू-गांधी परिवार के 6वें और कांग्रेस के 132 साल के इतिहास के 87वें ऐसे शख्स होंगे, जो इस जिम्मेदारी को संभालेंगे, लेकिन राहुल के कांग्रेस प्रेसिडेंट बनने के बाद पार्टी में क्या कुछ बदलेगा या बदल सकता है, आइए जानते हैं इस बारे में...

 

Image result for rahul gandhi


क्या पूरी तरह बदल जाएगी पार्टी ?

तो इस सवाल का जवाब है "ना"। क्योंकि राहुल गांधी पिछले काफी समय से कांग्रेस की कमान संभाले हुए हैं। गुजरात और हिमाचल चुनावों में तो राहुल ने अकेले ही इलेक्शन कैंपेन किया है। इससे पहले भी उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड समेत 5 राज्यों के चुनावों में भी राहुल ही मोर्चा संभाले हुए थे। लिहाजा, कांग्रेस वर्कर को राहुल की आदत हो चुकी है या यूं कहें कि पार्टी में राहुल अपनी सारी रणनीति को साझा कर चुके हैं। राहुल गांधी पिछले 4 सालों से पार्टी के वाइस प्रेसिडेंट हैं और सोनिया गांधी ने भी धीरे-धीरे अपने सारे अधिकार राहुल को दे दिए। इसके बाद से ही राहुल पार्टी की पूरी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, इसलिए ये कहना कि पार्टी पूरी तरह से बदल जाएगी, शायद गलत होगा।

 



तो कितनी बदलेगी कांग्रेस ?

अगर राहुल के प्रेसिडेंट बनने के बाद भी कांग्रेस में ज्यादा कुछ बदलाव नहीं होगा, तो ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कितनी बदलेगी कांग्रेस? अगर देखा जाए तो राहुल के कांग्रेस की कमान संभालते ही पार्टी के अंदर कुछ बदलाव देखने को जरूर मिल सकते हैं। जैसे पार्टी के कई नेताओं का कद कम हो सकता है, तो वहीं कई नेताओं को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। राहुल के चहेते नेता कल पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी संभालते दिखें, तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

 

Image result for rahul gandhi sonia gandhi

और क्या बदलाव होगा पार्टी में ?

इसके अलावा पार्टी में इस वक्त दो सिस्टम काम करते हैं। एक सोनिया गांधी का और दूसरा राहुल गांधी का। सोनिया गांधी के सिस्टम में पार्टी के पुराने नेता शामिल हैं, तो वहीं राहुल के साथ पार्टी के यंग लीडर्स जुड़े हुए हैं। राहुल के प्रेसिडेंट बनने के बाद पार्टी का एक सिस्टम बंद हो जाएगा। जो नेता अब तक सोनिया गांधी की हां में हां मिलाते थे, वो अब राहुल के साथ खड़े रहेंगे। इसके अलावा पार्टी में दो चेहरे होने से खींचतान भी बनी रहती है, वो भी बंद हो जाएगी। जिस तरह से बीजेपी में केवल नरेंद्र मोदी ही चेहरा हैं, उसी तरह से कांग्रेस में भी अब राहुल गांधी ही चेहरा होंगे।

rahul gandhi के लिए इमेज परिणाम


सोनिया गांधी का क्या होगा? 

राहुल के प्रेसिडेंट बनने के बाद 19 सालों तक कांग्रेस की कमान संभालने वालीं सोनिया गांधी का क्या होगा? इस बारे में अगर बात की जाए तो सोनिया एक्टिव पॉलिटिक्स से पूरी तरह दूर हो जाएंगी। हालांकि वो पार्टी के कई बड़े फैसलों में शामिल जरूर रहेंगी। बीजेपी में लालकृष्ण आडवाणी जैसे पुराने नेता अब सिर्फ "मार्गदर्शक" का रोल करते हैं, कांग्रेस में भी सोनिया का यही रोल रहेगा। 2014 के जनरल इलेक्शन के बाद से सोनिया पॉलिटिक्स से दूर ही रहीं हैं और राहुल ने ही हर मोर्चे पर कांग्रेस की कमान संभाली है। प्रेसिडेंट से हटने के बाद सोनिया का दखल भी कम हो जाएगा। हालांकि, वो कई मुद्दों पर अपनी राय जरूर रखेंगी। हालांकि सोनिया खुद ये बात कह चुकी हैं कि राहुल के प्रेसिडेंट बनने के बाद वो राजनीति से संन्यास ले लेंगी। 



राहुल से बड़े नेताओं को होगी दिक्कत? 

माना जा रहा है कि राहुल के कांग्रेस प्रेसिडेंट बनने के बाद कई बड़े नेताओं को दिक्कत हो सकती है। न सिर्फ कांग्रेस बल्कि दूसरी पार्टियों के नेताओं को भी राहुल से दिक्कत हो सकती है। राहुल अभी मात्र 47 साल के हैं और ऐसे में बड़े नेताओं को उनसे दिक्कत होना लाजमी है। खासतौर से शरद पवार और ममता बैनर्जी का नाम इसमें शामिल हैं। इन दोनों ही नेताओं का तालमेल सोनिया गांधी से अच्छा रहा है, लेकिन राहुल के साथ ये कितना तालमेल बिठा पाते हैं, ये तो वक्त ही बताएगा। अगर विपक्षी पार्टियों के नेताओं को राहुल से नाराजगी हुई, तो इसका खामियाजा पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।

ऐसा कुछ नहीं होगा

हालांकि माना जा रहा है कि राहुल गांधी के कांग्रेस प्रेसिडेंट बनने के बाद पार्टी को नुकसान हो, इसकी उम्मीद कम ही है। अब देश की लगभग हर पार्टी में यंग लीडर्स का ही बोलबाला है। कांग्रेस में भी यंग लीडर्स को कई बड़ी जिम्मेदारी मिल चुकी है। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी में भी अखिलेश यादव ही अब सर्वसर्वा हैं, तो लालू की आरजेडी में भी अब तेजप्रताप और तेजस्वी यादव आगे आ चुके हैं। इसके अलावा शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले और ममता बैनर्जी के भतीजे अभिषेक बैनर्जी के साथ भी राहुल की टीम कॉन्टेक्ट में है। ऐसे में माना जा रहा है कि एंटी-बीजेपी पार्टियों को साथ लाने में राहुल को किसी तरह की कोई मुश्किल नहीं होगी।

Image result for rahul gandhi in temple

कांग्रेस की इमेज में होगा सबसे बड़ा बदलाव

राहुल गांधी के कांग्रेस प्रेसिडेंट बनने के बाद अगर सबसे बड़ा बदलाव होगा, तो वो पार्टी की इमेज पर होगा। आजादी के बाद से और सोनिया गांधी के समय तक, पार्टी पर बहुसंख्यकों को नजरअंदाज करने के आरोप लगे हैं। खासतौर से बीजेपी हमेशा से कांग्रेस पर "तुष्टीकरण की राजनीति" करने के आरोप लगाती रही है, जिससे कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ है। हालांकि राहुल ने पार्टी की इस इमेज को काफी बदला है। वो अब कई मंदिरों के दर्शन कर रहे हैं, जिससे ये मैसेज गया है कि पार्टी बहुसंख्यकों का भी ध्यान रख रही है। इतना ही नहीं, राहुल जिस आस्था से मंदिर जा रहे हैं, उसी आस्था के साथ वो गुरुद्वारे और मस्जिदों में भी जाते हैं। इसके साथ ही मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से देश में "हिंदुत्व की राजनीति" काफी बढ़ गई है और राहुल भी अब हिंदुत्व को भुनाने का काम कर रहे हैं। इससे जाहिर सी बात है कि जिस कांग्रेस पर हमेशा से अल्पसंख्यकों पर ध्यान देने के आरोप लगे हैं, वही कांग्रेस अब "सेकुलर इमेज" को बना रही है। भले ही बीजेपी राहुल के मंदिर जाने पर लाख सवाल उठा रही हो, लेकिन इससे फायदा कांग्रेस को ही होना है।



क्या बीजेपी में होगा बदलाव? 

राहुल के पार्टी प्रेसिडेंट बनने के बाद बीजेपी की रणनीति में भी किसी तरह का कोई बदलाव होगा, ये संभव नहीं है। इसके दो कारण हैं, पहला तो ये कि पिछले कुछ समय से राहुल ही पार्टी की कमान संभाल रहे हैं और दूसरा ये कि बीजेपी नेता भी राहुल पर ही निशाना साध रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले से ही बीजेपी नेता राहुल पर हमला करते आ रहे हैं। अगर कुछ मौकों को छोड़ दिया जाए, तो सोनिया गांधी अब बीजेपी के टारगेट से दूर हो चुकी हैं।

rahul gandhi congress president के लिए इमेज परिणाम

नेहरू-गांधी परिवार के 6वें शख्स होंगे राहुल

कांग्रेस के प्रेसिडेंट बनते ही राहुल गांधी नेहरू-गांधी परिवार के 6वें शख्स बन जाएंगे, जो इस पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। उनसे पहले इस परिवार से मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी इस पद को संभाल चुकी हैं। बता दें कि राहुल से पहले उनकी मां सोनिया गांधी 19 साल से इस पद को संभाल रहीं हैं। अपने पति और फॉर्मर प्राइम मिनिस्टर राजीव गांधी की मौत के 7 साल बाद यानी 1998 में कांग्रेस प्रेसिडेंट बनीं थीं।

Image result for sonia gandhi in party meeting

सबसे ज्यादा समय तक सोनिया रहीं अध्यक्ष
 
कांग्रेस की प्रेसिडेंट के रूप में सबसे ज्यादा समय तक सोनिया गांधी रहीं हैं। अपने पति और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौत के 7 साल बाद यानी 1998 में सोनिया कांग्रेस की प्रेसिडेंट बनीं थीं। इसके बाद 19 साल तक सोनिया इस पद पर रहीं हैं। अब राहुल गांधी इस पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। 132 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी में 45 साल तक कांग्रेस की कमान नेहरू-गांधी परिवार ने ही संभाली है। सोनिया से पहले जवाहरलाल नेहरू 11 साल तक इस पद पर रहे। उनके बाद इंदिरा गांधी 7 साल, राजीव गांधी 6 साल और मोतीलाल नेहरू 2 साल तक कांग्रेस प्रेसिडेंट रहे।

Created On :   4 Dec 2017 5:21 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story