CJI के खिलाफ महाभियोग : नायडू के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची कांग्रेस
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू के CJI दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को ठुकराने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। कांग्रेस नेताओं ने वेंकैया नायडू के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा और अमी हर्षाद्रय याजनिक ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। दोनों सांसदों की ओर से वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने जस्टिस चेलामेश्वर के समक्ष इस मामले को उठाया है।
Two Congress Parliamentarians from Rajya Sabha- Pratap Singh Bajwa and Amee Harshadray Yajnik, approached the Supreme Court challenging Vice-President M Venkaiah Naidu"s dismissal of the impeachment motion against CJI Dipak Misra pic.twitter.com/Lp7QFuDh3f
— ANI (@ANI) May 7, 2018
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा है कि यह याचिका चीफ जस्टिस के समक्ष ही रखी जानी चाहिए क्योंकि मास्टर ऑफ रोस्टर के संबंध में संविधान पीठ के अनुसार ऐसी याचिकाएं चीफ जस्टिस के सामने पेश की जानी चाहिए। इसके जवाब में सिब्बल ने कहा, "मामला चीफ जस्टिस से ही जुड़ा हुआ है। इसलिए हम उनके पास यह मामला नहीं ले जा सकते। कोई भी सीनियर जज याचिका को सूचीबद्ध करने का निर्देश दे सकता है।" इस पर जस्टिस चेलामेश्वर ने 8 मई (मंगलवार) को यह मामला कोर्ट में पेश करने को कहा है।
गौरतलब है कि 20 अप्रैल को कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में 7 विपक्षी पार्टियों ने नायडू से मुलाकात कर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को हटाने के लिए महाभियोग नोटिस सौंपा था। इस पर 71 सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे। इनमें से 7 रिटायर हो चुके हैं। वेकैया नायडू ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। विपक्षी पार्टियां यह प्रस्ताव इस साल जनवरी में हुए उस घटनाक्रम के बाद लायीं थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जजों ने चीफ जस्टिस पर कई आरोप लगाए थे।
क्या था चीफ जस्टिस विवाद
सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने इस साल जनवरी में देश के इतिहास में पहली बार चीफ जस्टिस पर सवाल खड़े किए थे। इन जजों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है और यदि ऐसा ही चलता रहा, तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। जजों द्वारा उठाए गए इन मुद्दों पर जमकर बवाल मचा था। तमाम विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार की खिंचाई की थी। उस समय सीपीएम महासचिव सीतराम येचुरी ने विपक्षी दलों के साथ मिलकर जस्टिस मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की बात भी कही थी।
जस्टिस जे चेलामेश्वर के नेतृत्व में जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीफ जस्टिस को सवालों के घेरे में लिया था। चारों जजों ने सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न मामलों को आवंटित करने में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। जजों का यह आरोप था कि चीफ जस्टिस की ओर से कुछ मामलों को चुनिंदा बेंचों और जजों को ही दिया जा रहा है। जजों ने इस दौरान जस्टिस लोया केस का मामला जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच को सौंपने पर भी सवाल खड़ा किया था। बता दें कि जस्टिस बीएच लोया की 1 दिसंबर 2014 को हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। वे सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे। गुजरात के इस चर्चित मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत गुजरात पुलिस के कई आला अधिकारियों के नाम आए थे।
मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए चार जजों ने कहा था, "करीब दो महीने पहले हमनें चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर बताया कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक से नहीं चल रहा है लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए हमनें देश के सामने यह बात रखने की सोची।" इस दौरान जजों ने यह भी कहा था कि वे नहीं चाहते कि 20 साल बाद कोई बोले कि जस्टिस चेलामेश्वर, गोगोई, लोकुर और कुरियन जोसेफ ने अपनी आत्मा बेच दी और संविधान के मुताबिक सही फैसले नहीं दिए।
Created On :   7 May 2018 12:24 PM IST