बुंदेलखंड में गांव और खेत में पानी रोकने की जुगत

In Bundelkhand, to prevent water in village and farm
बुंदेलखंड में गांव और खेत में पानी रोकने की जुगत
बुंदेलखंड में गांव और खेत में पानी रोकने की जुगत
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बांदा/छतरपुर 20 जुलाई (आईएएनएस)। देश और दुनिया में बुंदेलखंड की पहचान सूखा, गरीबी, पलायन और बेरोजगारी के कारण है, मगर अब यहां के लोग हालात बदलना चाहते हैं। इसके लिए सबसे जरूरी पानी को सहेजने की दिशा में पहल की है।

इसके तहत खेत का पानी खेत में और गांव का पानी गांव में ही रोकने की जुगत तेज की गई है, जिससे बुंदेलखंड के माथे पर चस्पा कलंक को मिटाया जा सके।

बुंदेलखंड के बांदा जिले के बबेरु विकासखंड के अंधाव गांव में किसानों ने पानी को सहेजने की योजना बनाई है। इसके जरिए बारिश का पानी गांव और खेत से बाहर नहीं जा पाएगा। यह प्रयास अगर सफल होता है तो गांव की समस्या को पानी के संकट से दूर किया जा सकेगा।

शोध छात्र और जल संरक्षण के लिए काम करने वाले पर्यावरण कार्यकर्ता रामबाबू तिवारी ने बताया कि गांव की 300 बीघे खेतों में मेड़ बनाकर बरसात के पानी के संग्रहण के लिए काम किया जा रहा है। गांव वालों ने 300 बीघे में (जल संरक्षण हेतु खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में अभियान के तहत खेत पर मेड़, मेड़ पर पेड़) मेड़बंदी करवा दी है। इस मेड़बंदी से खेत का पानी खेत में ही रह जाएगा और किसान धान तक की खेती कर सकेंगे।

कोरोना काल में घर वापस आए प्रवासी मजदूर एवं किसान जो रोजगार और जीविका हेतु अन्य प्रदेशों में पलायन कर चुके थे, वह इस वक्त अपने गांव घर में आ चुके। ये कामगार भी अपने खेतों में काम कर रहे हैं और मेड़बंदी में लगे हैं। यह प्रवासी मजदूर भी अपने खेतों के जरिए अपनी जिंदगी में बदलाव लाना चाह रहे हैं।

रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेशों को जाने वाले लव विश्वकर्मा बताते हैं, इस साल हम लोगों ने अपने चार बीघे खेत में अपने निजी खर्चे से मेड़ बनाई है और धान की खेती के बाद गेहूं की खेती करेंगे, हर साल इस चार बीघे खेत को बटाई को दे देते थे लेकिन इस साल खुद खेती कर रहे हैं। इसी के चलते खेत में पैसा खर्चा कर खेत को समतल कराया गया, मेड़ बनवाई। इससे खेती में उपज बढ़ेगी और हम अपने साल भर का खर्चा इसी खेत से चला सकेंगे क्योंकि इस कोरोना के चलते अब हम परदेश कमाने नहीं जाएंगे।

कोरोना की वजह से अपने गांव लौटे किसानों की मदद के लिए लोग भी आगे आए हैं। खेतों को समतल करने और मेड़बंदी के लिए ट्रैक्टर की जरूरत थी मगर उनके पास नगदी नहीं थी तो ट्रैक्टर मालिकों ने किसानों की मदद का फैसला लिया। इन किसानों से ट्रैक्टर मालिकों ने सिर्फ डीजल का पैसा लिया है और फसल आने तक बाकी किराया और अन्य मेहनताना लेंगे।

किसान मनोज दीक्षित बताते हैं, इस साल खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव मिशन के तहत नौ बीघे खेत में मेड़ बनाई है। इसके पहले खेत में हम लोग सिर्फ एक ही फसल ले पाते थे लेकिन इस साल हम लोग दोहरी फसल लेने की तैयारी में हैं और इस खेत के मेड़ में वृक्ष भी लगा रहे हैं। निश्चित ही इससे हमारी आमदनी बढ़ेगी, गांव में रोजगार बढ़ेगा। ईश्वर की कृपा से बरसात बस अच्छी हो जाए।

जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले बुंदेलखंड के निवासी और कई किताबों के लेखक डा. के एस तिवारी का कहना है, सतही और भूगर्र्भीय जल बुरी तरह प्रदूषित हो चुका है। उसकी वजह हमारे द्वारा जल का अति दोहन और उपयोग दोनों है। जलसंरक्षण के लिए आवश्यक है कि जल संरचनाओं को संरक्षित किया जाए। उनको पुनर्जीवित किया जाए। बांदा के अंधाव गांव में जो प्रयोग किया जा रहा है वह प्रशंसनीय है। इसके नतीजे आने वाले वर्षो में देखने को मिल सकते हैं। लोगों में पानी के संरक्षण के लिए जागृति लाने का यह बेहतरीन प्रयास तो है ही।

Created On :   20 July 2020 3:30 PM IST

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