पाक के स्कूलों में बच्चों को हिंदुओं के काफिर होने, यहूदियों को इस्लाम का दुश्मन पढ़ाया जा रहा

In Pakistan schools, children are being infidel to Hindus, Jews are being taught enemies of Islam.
पाक के स्कूलों में बच्चों को हिंदुओं के काफिर होने, यहूदियों को इस्लाम का दुश्मन पढ़ाया जा रहा
पाक के स्कूलों में बच्चों को हिंदुओं के काफिर होने, यहूदियों को इस्लाम का दुश्मन पढ़ाया जा रहा
हाईलाइट
  • पाक के स्कूलों में बच्चों को हिंदुओं के काफिर होने
  • यहूदियों को इस्लाम का दुश्मन पढ़ाया जा रहा

अतीत शर्मा

नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। एक राजनीतिक विश्लेषक, शोधकर्ता और पेरिस स्थित एनजीओ बलूच वॉइस एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में, मुनीर मेंगल पिछले कई वर्षो से बलूच लोगों के अधिकारों की पैरवी कर रहे हैं।

बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सरकार और सेना द्वारा किए जा रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को उजागर करने के लिए उनमें सक्रिय कार्यकर्ता कभी भी विश्व मंच पर अपने दिल की बात कहने का मौका नहीं चूकता। कल संयुक्त राष्ट्र जेनेवा में डरबन घोषणा के प्रभावी कार्यान्वयन और कार्रवाई के कार्यक्रम पर अंतर सरकारी कार्यकारी समूह के 18 वें सत्र की बैठक में-बलूच प्रतिनिधि ने कार्यकारी समूह को बताया कि कैसे पाकिस्तान में स्कूल हिंदू विरोधी नफरत को फैला रहे हैं और यहूदियों के खिलाफ शत्रुता को भी बढ़ावा दे रहे हैं।

मेंगल ने अपने भाषण में कहा, मिस्टर चेयरपर्सन, मैं कैडेट कॉलेज नाम के एक बहुत ही हाई स्टैंडर्ड आर्मी स्कूल जाता था। हमें सिखाया गया पहला सबक यह था कि हिंदू काफिर हैं (आमतौर पर एक अपमानजनक शब्द जिसका इस्तेमाल गैर-मुसलमानों के लिए किया जाता है।), यहूदी इस्लाम के दुश्मन हैं। आज भी वर्दीधारी सेना के शिक्षकों का सबसे पहला, सबसे महत्वपूर्ण और बुनियादी संदेश यही है कि हमें बंदूक और बम का सम्मान करना होगा, क्योंकि हमें इनका इस्तेमाल हिंदू माताओं को मारने के लिए करना है अन्यथा वे हिंदू बच्चे को जन्म देंगी।

उन्होंने जोर देते हुए आगे कहा, इस तरह की नफरत पाकिस्तानी स्कूलों, मदरसों में आज भी हर स्तर पर सिखाई जा रही है और यह सब शिक्षा पाठ्यक्रम का एक बुनियादी हिस्सा है। धार्मिक कट्टरपंथी समूहों और आतंकवादी संगठनों को देश की स्ट्रेटेजिक असेट्स घोषित किया गया है।

पाकिस्तान के अधिकांश मदरसे अब पवित्र कानून या अन्य इस्लामिक विषय नहीं पढ़ाते हैं और इसके बजाय चरमपंथी तैयार करने में व्यस्त हैं, जिसे पूरी दुनिया जानती है। स्टेट और सेना द्वारा संचालित स्कूल, जैसा कि मेंगल ने खुलासा किया है, वे भी दशकों से अच्छी तरह से वित्त पोषित,प्रोपागैंडा चला रहे हैं, जो मदरसों में पढ़े अगली पीढ़ी को धीरे-धीरे कट्टरपंथी बनाते हैं। कुछ महीने पहले, पंजाब प्रांत ने घोषणा की थी कि कोई भी विश्वविद्यालय तब तक डिग्री नहीं देगा, जब तक कि कोई छात्र आवश्यक अनुवादित कुरान कक्षाओं में भाग नहीं लेता।

कोई भी छात्र या शिक्षक जो विरोध करने या अपनी राय व्यक्त करने की कोशिश करता है, उस पर ईश निंदा करने का आरोप लगाया जाता है। पिछले साल, पाकिस्तान की एक अदालत ने यूनिवर्सिटी के 33 वर्षीय लेक्चरर जुनैद हफीज को ईश निंदा के लिए मौत की सजा सुनाई थी। मार्च 2013 में हफीज को गिरफ्तार किया गया और सोशल मीडिया पर लिबरल कमेंट पोस्ट करने का आरोप लगाया गया। उनकी गिरफ्तारी के एक साल बाद उनके वकील की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पाकिस्तानी प्रतिष्ठान अपने शातिर उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कुछ भी और सब कुछ कर रहा है।

उन्होंने विस्तार से बताया कि पाकिस्तान किस तरह से बलूच समुदाय सहित अपने अल्पसंख्यकों की मूल पहचान को खत्म कर रहा है।

मेंगल ने कहा, बस इस बता का विश्लेषण करें कि देश किस उपकरण का इस्तेमाल कर रहा है : किताबें बलूचिस्तान में वर्जित हैं। मातृभाषा में पढ़ना और लिखना वर्जित है। जो कोई भी अपनी संस्कृति और आस्था का पालन करता है, उसे देशद्रोही कहा जाता है। इसका मतलब है कि उन्हें मानवता से वंचित करना और समाज का दम घोटना है। शिक्षा का अधिकार, स्वास्थ्य सुविधाओं का अधिकार, आर्थिक निर्भरता और नौकरी का अधिकार विचार से कोसो दूर है। ऐसे मामलों में, न्यायपालिका अप्रासंगिक हो जाती है और जीवन के हर पहलू में इम्प्युनिटी बनी रहती है।

पाकिस्तान के कब्जे वाले बलूचिस्तान ने पिछले दो दशकों में पहले ही काफी मौत और विनाश का मंजर देखा है। लेकिन चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) किसी यातना की तरह है, जो भौतिक और भावनात्मक रूप से असहनीय क्षति पहुंचा रहा है।

मेंगल ने कहा कि वास्तव में यह (सीपीईसी) नव-उपनिवेशवाद और विस्तारवाद का एक बड़ा संकेत है। यह स्थानीय लोगों की सहमति के बिना किया जा रहा है। बड़ी संख्या में लोगों को जबरन विस्थापित किया गया है। स्थानीय बलूच लोगों के लिए कोई रोजगार नहीं है, यहां तक कि पेयजल भी मुहैया नहीं है। हालांकि, आप चीनी लोगों के लिए अकल्पनीय सुविधाएं देख सकते हैं। आप बस कल्पना करें कि ग्वादर की वर्तमान आबादी 80,000 है और सीपीईसी के तहत कम से कम 500,000 चीनी लोगों को लाने की योजना है। इस तरह की जनसांख्यिकी को बदलने का मतलब है कि उस क्षेत्र से बलूच जाति को पूरी तरह से समाप्त करना। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से खनिज संपन्न क्षेत्र में अल्पसंख्यकों के खूनखराबे के लिए पाकिस्तान को जवाबदेह ठहराने का आग्रह भी किया।

वीएवी/एएनएम

Created On :   16 Oct 2020 5:30 PM IST

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