सियासत: मध्य प्रदेश सरकार में बाहर से समर्थन दे रहे विधायकों की बढ़ी अहमियत

Increased importance of MLAs supporting from outside in MP government
सियासत: मध्य प्रदेश सरकार में बाहर से समर्थन दे रहे विधायकों की बढ़ी अहमियत
सियासत: मध्य प्रदेश सरकार में बाहर से समर्थन दे रहे विधायकों की बढ़ी अहमियत
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  • मप्र सरकार में बाहर से समर्थन दे रहे विधायकों की बढ़ी अहमियत

डिजिटल डेस्क, भोपाल (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में सियासी घमासान मचा हुआ है और यहां की राजनीति में रोजाना नया मोड़ देखने को मिल रहा है। विधानसभा अध्यक्ष एन. पी. प्रजापति द्वारा कांग्रेस के छह विधायकों का इस्तीफा मंजूर किए जाने के बाद कमलनाथ सरकार पर बना संकट और गहराने लगा है। अब सरकार बचाने के लिए बाहर से समर्थन देने वाले विधायकों की अहमियत पहले से कहीं ज्यादा हो गई है।

राज्य मंे बीते एक सप्ताह से सियासी घमासान चल रहा है। कांग्रेस व भाजपा के विधायक बेंगलुरू, जयपुर और दिल्ली के पास डेरा डाले हुए हैं। यह विधायक अपने दलों और नेताओं के निर्देश पर मध्य प्रदेश से दूरी बनाए हुए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार को अस्थिर करने के लिए भाजपा विधायकों की खरीद-फरोख्त करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस से बगावत कर इस्तीफा देने वाले 22 विधायकों को बंधक बनाए जाने का आरोप लगाया जा रहा है।

विधानसभा अध्यक्ष एन. पी. प्रजापति ने शनिवार को कांग्रेस से बगावत कर बेंगलुरू गए 19 विधायकों में से छह के इस्तीफे मंजूर कर लिए हैं। इन विधायकों में इमरती देवी, तुलसी सिलावट, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, गोविंद सिंह राजपूत, प्रभु राम चौधरी शामिल हैं। यह छह सदस्य प्रदेश सरकार में मंत्री भी थे, जिन्हें पिछले दिनों ही बर्खास्त भी किया गया था।

प्रजापति ने कहा, छह विधायकों को शनिवार को उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था, मगर वे नहीं आए। इन्हें मंत्री पद से बर्खास्त किया जा चुका है। इन विधायकों का आचरण ठीक नहीं है और वे विधानसभा के सदस्य रहने योग्य नहीं हैं।

राजनीति के जानकारों का कहना है कि छह विधायकों का इस्तीफा मंजूर होने से सरकार का संकट और बढ़ गया है, जिसके बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या घटकर 108 रह गई है। हालांकि समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और निर्दलीय विधायकों का समर्थन यथावत रहता है तो सरकार सदन में बहुमत हासिल कर लेगी।

विधानसभा की वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो 230 सीटों में से दो स्थान रिक्त हैं। छह विधायकों के इस्तीफे मंजूर हो गए हैं। अब कांग्रेस के 108, भाजपा के 107, बसपा के दो, सपा का एक और चार विधायक निर्दलीय हैं। इस तरह 222 विधायकों के सदन में अब 112 विधायकांे पर बहुमत मिलेगा, इस तरह कांग्रेस के पास चार विधायक कम है। चूंकि कांग्रेस को सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल है, इसलिए अगर यह विधायक अपना समर्थन जारी रखते हैं तो कांग्रेस के पास कुल 115 विधायक हो जाएंगे और वह बहुमत में रहेगी।

मगर कांग्रेस सरकार के सामने मुसीबत यह है कि समर्थन देने वाले विधायकों की निष्ठा पर भी समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। इसके अलावा उसके चार से ज्यादा विधायकों ने अगर भाजपा का साथ दिया, तो स्थिति में बड़ा बदलाव हो जाएगा और उस स्थिति में भाजपा बाजी मार सकती है।

भाजपा के पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष ने छह विधायकों का इस्तीफा मंजूर कर उदारता दिखाई है। उनकी निष्पक्षता पर कोई संदेह नहीं है।

 

Created On :   14 March 2020 10:30 PM IST

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