भारत अंतरिक्ष में नए कीर्तिमान बनाने के लिए तैयार (टिप्पणी)
- भारत अंतरिक्ष में नए कीर्तिमान बनाने के लिए तैयार (टिप्पणी)
नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)। भारत ने इन-स्पेस के निर्माण के साथ निजी भागीदारी के लिए अपने अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। मैंने अतीत में कई समृद्ध युवाओं से मुलाकात की है, जो अंतरिक्ष पर नजरें गड़ाए हुए हैं और जो दुर्भाग्य से एक पारदर्शी नीति ढांचे के अभाव में प्रणाली से नहीं गुजर सके।
प्रधानमंत्री की नई अंतरिक्ष व्यवस्था लाने की पहल ने भारत के लिए अंतरिक्ष में अपनी क्षमताओं को कई गुना बढ़ाने के लिए एक ठोस आधार तैयार किया है।
यह नया निकाय अंतरिक्ष उद्यमियों के लिए एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा। मौजूदा नीतियों को अधिक व्यवस्थित और समावेशी होने के साथ ही कम अस्पष्टता को उपयुक्त रूप से देखा जा रहा है। इससे कंपनियों के लिए लाइसेंस प्राप्त करना और एंड-टू-एंड स्पेस गतिविधियों में भाग लेना आसान हो जाता है।
इसरो हमेशा एक उच्च उपलब्धि के साथ सबसे विश्वसनीय अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) प्रतिष्ठान बना हुआ है। हालांकि हमारे प्रमुख अंतरिक्ष अनुसंधान एवं विकास संगठन से अपेक्षा करना कि वे नासा, एफसीसी, बोइंग और स्पेसएक्स की जिम्मेदारियों को एक साथ संभालें, यह संभव नहीं है।
सीमित जनशक्ति और बजट में व्यापार करने या व्यापार का समर्थन करने की क्षमता कम होती है। निजी क्षेत्र के साथ साझा की जाने वाली सुविधाएं खोलना, नवाचार के लिए और उद्योग के लिए अंतरिक्ष व्यवसाय की पूंजी-गहन और उच्च निश्चित लागत वाली प्रकृति को कम करने के लिए वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप है।
इस बदलाव के साथ, इसरो के बड़े टैलेंट पूल और विश्वस्तरीय ढांचा (वल्र्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्च र) को निजी दिग्गजों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, जो निवेश को आकर्षित करेंगे और इनोवेटर्स को इसरो के साथ तालमेल बिठाने में मदद करेंगे।
भारत वर्तमान में अंतरिक्ष पर लगभग 1.6 अरब डॉलर सालाना खर्च करता है, जो कि चीन की तुलना में छह गुना कम और अमेरिका की तुलना में 30 गुना कम है। अंतरिक्ष का निजीकरण भारत के राजस्व को बढ़ाने और अंतरिक्ष में इसके योगदान खर्च को बढ़ाने के साथ ही इसे केवल एक प्रमुख राजस्व अर्जक ही नहीं बना रहा है, बल्कि गुणवत्ता वाले रोजगार भी प्रदान कर रहा है।
भारत में प्रतिभाओं का एक बड़ा भंडार है। वर्तमान में 50 से अधिक स्टार्टअप संचालन शुरू करने के लिए तैयार हैं, जो कि भारत में बड़े राजस्व के साथ ही प्रौद्योगिकी लाने की भी क्षमता रखते हैं। भारत उन कुछ चुनिंदा देशों में से एक है, जिनके पास एक अंतरिक्ष संस्थान (भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, त्रिवेंद्रम) है। हालांकि एक प्रतिबंधित डोमेन होने के नाते अधिकांश पासआउट्स अपना भविष्य विदेशों में देखते हैं। अब प्रतिभाशाली और योग्य इंजीनियरों का यह पूल भारत के लिए काम करेगा। यह भारत को वास्तव में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल है।
भारत के लिए अंतरिक्ष-आधारित अनुप्रयोगों जैसे उपग्रह-आधारित रिमोट सेंसिंग और डेटा कनेक्टिविटी की मांग को पूरा करने के लिए निजी क्षेत्र के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलना आवश्यक है। यह भारत को ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में काम करने वाले कई उद्योगों और क्षेत्रों को डिजिटल बनाने में सहायक होगा।
उद्योग 4.0 अनुप्रयोग (इंडस्ट्री 4.0 एप्लिकेशंस), जैसे कि उपग्रह पर आईओटी कनेक्टिविटी को भी लिया गया है, क्योंकि उनके पास सक्षम आधारभूत संरचना और खुली एवं उचित नीति का अभाव था। यह सुधार स्मार्ट गांवों को बनाने में काफी योगदान देगा, जो कि खेती और जल प्रबंधन एवं आपदा रोकथाम के लिए कनेक्टिविटी और अंतरिक्ष-आधारित सेवाओं से लाभान्वित करने का काम करेगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा काफी हद तक राष्ट्र की निगरानी, नौवहन और संचार प्रवीणता पर निर्भर होती है। सेना को प्रतिकूल परिस्थितियों में तकनीकी बढ़त हासिल करने और आवश्यक परिचालन श्रेष्ठता लाने के लिए सी4आई2स्टार की क्षमता की आवश्यकता होती है। डेटा, नेटवर्क और सुरक्षित संचार, एआई एप्लिकेशन और क्रॉस-प्लेटफॉर्म संगतता का उपयोग अब अंतरिक्ष क्रांति के साथ संभव होगा, जो देश ने शुरू (ट्रिगर) किया है। डीआरडीओ ने रक्षा अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास प्रदान करने के लिए तेजी से निर्माण किया है।
इसने एंटी-सैटेलाइट मिशनों में भी अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। हालांकि रक्षा अनुप्रयोग विकास का अधिकांश हिस्सा अभी भी डीआरडीओ डोमेन के अंतर्गत रह सकता है। रक्षा जरूरतों के लिए निजी उद्योग की उपलब्धता निश्चित रूप से सरकारी संसाधनों को और अधिक महत्वपूर्ण मिशनों में संलग्न करने की जरूरत है। डीआरडीओ ने खुद को मिसाइल प्रौद्योगिकी में एक दिग्गज के रूप में स्थापित किया है और यह अब रक्षा अंतरिक्ष की दिशा में कदम उठाने के लिए तैयार है।
(लेफ्टिनेंट जनरल पीजेएस पन्नू पूर्वी लद्दाख कॉर्प्स कमांडर और इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के डिप्टी चीफ हैं)
Created On :   4 July 2020 4:00 PM IST