ऐंटी-रेडिएशन मिसाइल का सफल परीक्षण, रेडार सिस्टम को ध्वस्त करने में सक्षम
- 18 जनवरी को बालासोर में सुखोई-30MKI फाइटर जेट से दागकर इस मिसाइल का टेस्ट किया गया है।
- भारत ने सर्विलांस और रेडार सिस्टम को ध्वस्त करने में सक्षम ऐंटी-रेडिएशन मिसाइल का परीक्षण किया है।
- मिसाइल ने बंगाल की खाड़ी में स्थित लक्ष्य को सटीक तरीके से भेद दिया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने सर्विलांस और रेडार सिस्टम को ध्वस्त करने में सक्षम ऐंटी-रेडिएशन मिसाइल (NGRAM) का परीक्षण किया है। सूत्र बताते हैं कि 18 जनवरी को बालासोर में सुखोई-30MKI फाइटर जेट से दागकर इस मिसाइल का टेस्ट किया गया है। मिसाइल ने बंगाल की खाड़ी में स्थित लक्ष्य को सटीक तरीके से भेद दिया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की तैयार की गई ये मिसाइल 100 किलोमीटर दूर तक मार कर सकती है। ऐंटी-रेडिएशन मिसाइल को सुखोई विमानों से अलग-अलग कोणों और गति से दागा जा सकता है।
इसके अलावा गुरुवार को INS चैन्नई से सतह से हवा में लंबी दूरी तक मार करने वाली बराक मिसाइल (LR-SAM) का सफलता पूर्वक टेस्ट किया है। DRDO और इंडियन नेवी ने संयुक्त रूप से इसका टेस्ट किया है। इन मिसाइल्स का निर्माण DRDO ने इजरायली ऐरोस्पेस इंडस्ट्रीज और राफेल के साथ मिलकर किया है। सुपरसोनिक बराक-8 मिसाइल सिस्टम का इंटरसेप्शन रेंज 70 से 100 किलोमीटर है। एक बार पूरी तरह ऑपरेशनल होने के बाद, इसे सभी भारतीय युद्धपोतों पर तैनात किया जाए जो दुश्मनों के फाइटर प्लेन, ड्रोन, हेलिकॉप्टर, मिसाइल और दूसरे हथियारों से रक्षा करेगा। डिफेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने DRDO और नेवी दोनों को इस टेस्ट की सफलता के लिए बधाई दी है। इसे उन्होंने ऐतिहासिक उपलब्धि बताया है।
India achieves a significant milestone with successful flight test of LRSAM on board INS Chennai. The missile direcly hit a low flying aerial target.
— Raksha Mantri (@DefenceMinIndia) January 24, 2019
Smt @nsitharaman congratulates @DRDO_India, @indiannavy , the industry and other stakeholders for this landmark achievement.
बता दें कि DRDO ने इससे पहले रूस के साथ संयुक्त रूप से सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को विकसित किया था। इस परीक्षण में मिसाइल को सभी मापदंडों पर सही पाया गया था।ब्रह्मोस को पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। यही नहीं इस प्रक्षेपास्त्र को पारम्परिक प्रक्षेपक के अलावा उर्ध्वगामी यानी कि वर्टिकल प्रक्षेपक से भी दागा जा सकता है। यह मिसाइल 290 किमी मार करने की क्षमता रखती है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है।
Created On :   24 Jan 2019 11:40 PM IST