सेना के लिए होगा स्वदेशी गोला-बारूद का उत्पादन, 15000 करोड़ के प्रोजेक्ट को मंजूरी
- इसका तात्कालिक उद्देश्य हथियारों के लिए इतना गोला बारूद सुनिश्चित करना है जिससे सेना 30 दिन तक की लड़ाई में भी सक्षम हो सकें।
- कई सालों की चर्चा के बाद सेना ने रविवार को 15 हजार करोड़ रुपए के हथियार निर्माण प्रोजेक्ट को अंतिम रूप दे दिया है।
- इंडियन आर्मी को अब हथियारों के लिए गोला बारूद की किल्लत नहीं होगी क्योंकि सेना देश में ही अपने हथियारों के लिए गोला बारूद का उत्पादन कराएगी।
- इस प्रोजेक्
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंडियन आर्मी को अब हथियारों के लिए गोला बारूद की किल्लत नहीं होगी क्योंकि सेना देश में ही अपने हथियारों के लिए गोला बारूद का उत्पादन कराएगी। कई सालों की चर्चा के बाद सेना ने रविवार को 15 हजार करोड़ रुपए के हथियार निर्माण प्रोजेक्ट को अंतिम रूप दे दिया है। इस प्रोजेक्ट के तहत महत्वपूर्ण तकनीक वाले हथियारों और टैंकों के गोलाबारूद का घरेलू स्तर पर उत्पादन किया जाएगा। इसका मकसद गोला बारूद के आयात में होने वाली देरी और इसका भंडार घटने की समस्या को खत्म करना है। इस प्रोजेक्ट से एक महीने तक लगातार चलने वाले युद्ध में भी हथियारों की कमी नहीं पड़ेगी।
परियोजना में निजी कंपनियों को किया जाएगा शामिल
सेना की इस महत्वाकांक्षी परियोजना में 11 प्राइवेट कंपनियों को शामिल किया जाएगा। परियोजना के कार्यान्वयन की सेना और रक्षा मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी निगरानी करेंगे। इसका तात्कालिक उद्देश्य हथियारों के लिए इतना गोला बारूद सुनिश्चित करना है जिससे सेना 30 दिन तक की लड़ाई में भी सक्षम हो सकें। वहीं हथियारों के आयात और विदेशों पर निर्भरता को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।
पहले चरण के परिणाम के बाद की जाएगी समीक्षा
इस प्रोजेक्ट की लागत 15 हजार करोड़ रुपये है। प्रोजेक्ट को 10 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि प्रोजेक्ट के बारे में और ज्यादा जानकारी अभी तक नहीं दी गई है। जानकारी के मुताबिक इस प्रोजेक्ट के तहत रॉकेट्स और ग्रेनेड लॉन्चर, एयर डिफेंस सिस्टम, आर्टिलरी गन और इंफैंट्री जंग और अन्य कई युद्ध में इस्तेमाल होने वाले हथियारों के लिए निश्चित समयसीमा में गोला-बारूद का उत्पादन किया जाएगा। प्रोजेक्ट के पहले स्टेप के परिणाम के बाद निर्माण लक्ष्य की समीक्षा कर संशोधन किया जाएगा।
समस्या हल करने की दिशा में सरकार का बड़ा कदम
दरअसल गोला बारूद का भंडार तेजी से घटने को लेकर रक्षा बल पिछले कई सालों से चिंता जता रहे थे। सरकार का ये कदम सेना की इस समस्या को हल करने की दिशा में एक गंभीर प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। चीन के तेजी से अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने के मुद्दे पर भी कई सरकारों ने चर्चा की थी।
शीर्ष कमांडरों की बैठक में परियोजना को लेकर हुई थी चर्चा
बता दें पिछले महीने थल सेना के शीर्ष कमांडरों की एक बैठक में इस परियोजना को लेकर चर्चा हुई थी। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थल सेना के लिए सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत हथियार और गोला बारूद की खरीद प्रक्रिया में और तेजी लाने पर जोर दे रहे हैं। वहीं सेना के एक अधिकारी ने बताया कि गोला बारूद का स्वदेशीकरण परियोजना दशकों में सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा।
गोला बारूद की उपलब्धता पर कैग ने पेश की थी रिपोर्ट
गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ( CAG ) ने संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में बताया गया था कि 152 प्रकार के गोला बारूद में से सिर्फ 61 प्रकार के गोला-बारूद का भंडार ही उपलब्ध है। ये सिर्फ 10 दिनों के युद्ध के लिए ही पर्याप्त होगा। जबकि सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत गोला बारूद का भंडार इतना होना चाहिए जो कम से कम एक महीने के युद्ध के लिए पर्याप्त हो।
Created On :   14 May 2018 9:45 AM IST