बजट कम करना बन सकता है 'भारतीय सेना की बड़ी कमजोरी'

indian army say defence budget has dashed our hopes of modernisation
बजट कम करना बन सकता है 'भारतीय सेना की बड़ी कमजोरी'
बजट कम करना बन सकता है 'भारतीय सेना की बड़ी कमजोरी'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत सरकार द्वारा डिफेंस बजट को कम करने के मामले में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने संसद की स्थायी समिति (रक्षा) से गहन चर्चा की है। सेना के बजट कम करने पर चिंता व्यक्त करते हुए अधिकारियों ने भारतीय सेना के लिए इसे एक बड़ी कमजोरी बताया है। वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्‍टाफ लेफ्टिनेंट जनरल शरत चंद ने कहा कि फंड की कमी के कारण कई रक्षा परियोजनाएं बंद हो जाएंगी। कहा कि बजट कम करना भारतीय सेना की बड़ी कमजोरी बन सकता है।

अन्य अफसरों ने कहा है कि डिफेंस बजट में मामूली वृद्धि से शायद ही महंगाई पर कोई असर पड़ता हो। दरअसल, उनकी चिंता इस बात को लेकर है कि भारतीय सशस्त्र बलों में अत्याधुनिक हथियारों और पुराने उपकरणों के बीच बड़ा असंतुलन बना हुआ है।

लेफ्टिनेंट जनरल शरत चंद ने समिति के समक्ष गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि बजट 2018-19 से हमारी उम्‍मीदों को झटका लगा है। रक्षा क्षेत्र में अब तक जो हासिल किया गया है, उस लिहाज से इस बजट से निराशा मिली है। सामान्‍य तौर पर किसी भी आधुनिक आर्म्‍ड फोर्सेज में एक तिहाई उपकरण विंटेज (पुराने), एक ति‍हाई मौजूदा तकनीक की श्रेणी और एक तिहाई सैन्‍य साजो-सामान स्‍टेट ऑफ द आर्ट (अत्‍याधुनिक) होते हैं। जहां तक हमारा सवाल है तो हमारे सशस्‍त्र बलों के पास मौजूद 68 फीसद उपकरण विंटेज श्रेणी के हैं।

बता दें कि आधुनिकीकरण के लिए 21,338 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। सेना के पास पहले से चल रही उसकी 125 योजनाओं और डील्स के लिए जरूरी 29,033 करोड़ रुपये की किस्तों के लिए भी पर्याप्त धन नहीं है। इसमें उड़ी आतंकी हमले और 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक्स के मद्देनजर हथियारों की खरीद प्रक्रिया भी शामिल है, जिससे लगातार 10 दिनों तक जंग के हालात के लिए हथियार और गोला-बारूद रिजर्व रखा जा सके।

Created On :   14 March 2018 12:24 AM IST

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