ब्रिटेन के 3 मंत्री और भारत के इन दिग्गजों ने मिलकर बनाया 'भारतीय संविधान'
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अंग्रेजों की 200 साल की गुलामी ने भारत देश को सोने की चिड़िया से गरीब, कुपोषण और बेरोजगारी के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया था। अंग्रेजों के चंगुल से अपने देश को आजाद कराने के लिए मंगल पांडे से लेकर भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, लाला लाजपत राय जैसे महान पुरुषों ने अपना बलिदान दिया। अहिंसा की राह पर चलते हुए महात्मा गांधी ने भी भारत छोड़ो और अहसहयोग आंदोलन से अंग्रेंजो को नाको चने चबाने पर मजबूर कर दिया था। तब जाकर कहीं देश का आजादी का सूरज देखने को मिला था।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद कमजोर हो चुकी अंग्रेजी सरकार ने जुलाई 1945 में भारत को आजादी देने ऐलान कर दिया था। इसके लिए ब्रिटेन ने अपनी नई नीति की घोषणा करते हुए भारत की संविधान सभा के निर्माण के लिए एक कैबिनेट मिशन भारत भेजा, जिसमें ३ मंत्री थे। अपनी नीति के तहत ब्रिटेन ने भारत को 15 अगस्त 1947 को आजाद कर दिया। तभी से हर वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।
2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन बाद पारित हुआ संविधान
भारत के आज़ाद हो जाने के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई और इसने अपना कार्य 9 दिसम्बर 1946 से आरम्भ कर दिया। संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, डॉ भीमराव अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। संविधान सभा के निर्माण में ब्रिटेन के भी 3 मंत्री मुख्य रूप से उपस्थित रहे थे। इस संविधान सभा ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में कुल 114 दिन बैठक की। इसके बाद 26 नवंबर, 1949 को संविधान मंजूर किया गया।
संविधान का आकार
भारत में 26 जनवरी 1950 का दिन गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत का संविधान दुनिया के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है। भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं। ये 22 भागों में विभाजित है। परन्तु इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद हैं, जो 22 भागों में विभाजित थे इसमें केवल 8 अनुसूचियां थीं।
अनुसूचियाँ
- पहली अनुसूची - (अनुच्छेद 1 तथा 4) - राज्य तथा संघ राज्य क्षेत्र का वर्णन।
- दूसरी अनुसूची - [अनुच्छेद 59(3), 65(3), 75(6),97, 125,148(3), 158(3),164(5),186 तथा 221] - मुख्य पदाधिकारियों के वेतन-भत्ते
- भाग-क : राष्ट्रपति और राज्यपाल के वेतन-भत्ते,
- भाग-ख : लोकसभा तथा विधानसभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष, राज्यसभा तथा विधान परिषद् के सभापति तथा उपसभापति के वेतन-भत्ते,
- भाग-ग : उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन-भत्ते,
- भाग-घ : भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षकके वेतन-भत्ते।
- तीसरी अनुसूची - [अनुच्छेद 75(4),99, 124(6),148(2), 164(3),188 और 219] - व्यवस्थापिका के सदस्य, मंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, न्यायाधीशों आदि के लिए शपथ लिए जानेवाले प्रतिज्ञान के प्रारूप दिए हैं।
- चौथी अनुसूची - [अनुच्छेद 4(1),80(2)] - राज्यसभा में स्थानों का आबंटन राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों से।
- पाँचवी अनुसूची - [अनुच्छेद 244(1)] - अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जन-जातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित उपबंध।
- छठी अनुसूची- [अनुच्छेद 244(2), 275(1)] - असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के विषय में उपबंध।
- सातवीं अनुसूची - [अनुच्छेद 246] - विषयों के वितरण से संबंधित सूची-1 संघ सूची, सूची-2 राज्य सूची, सूची-3 समवर्ती सूची।
- आठवीं अनुसूची - [अनुच्छेद 344(1), 351] - भाषाएँ - 22 भाषाओं का उल्लेख।
- नवीं अनुसूची - [अनुच्छेद 31 ख ] - कुछ भूमि सुधार संबंधी अधिनियमों का विधिमान्य करण।
- दसवीं अनुसूची - [अनुच्छेद 102(2), 191(2)] - दल परिवर्तन संबंधी उपबंध तथा परिवर्तन के आधार पर अ
- ग्यारहवीं अनुसूची- [अनुच्छेद 243 छ ] - पञ्चायती राज/ जिला पंचायत से सम्बन्धित यह अनुसूची संविधान में 73वे संवेधानिक संशोधन (1993) द्वारा जोड़ी गई।
- बारहवीं अनुसूची - यह अनुसूची संविधान में 74 वे संवेधानिक संशोधन द्वारा जोड़ी गई।
संविधान में सरकार का संसदीय स्वरूप
संविधान में सरकार के संसदीय स्वरूप की व्यवस्था की गई है, जिसकी संरचना कुछ अपवादों के अतिरिक्त संघीय है। केन्द्रीय कार्यपालिका का सांवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति है। भारत के संविधान की धारा 79 के अनुसार, केन्द्रीय संसद की परिषद् में राष्ट्रपति तथा दो सदन है, जिन्हें राज्यों की परिषद राज्यसभा तथा लोगों का सदन लोकसभा के नाम से जाना जाता है।
संविधान में राष्ट्रपति, पीएम और मंत्रिपरिषद
संविधान की धारा 74 (1) में यह व्यवस्था की गई है कि राष्ट्रपति की सहायता करने तथा उसे सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगा। जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा, राष्ट्रपति इस मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार अपने कार्यों को अंतिम रूप देंगे। इस प्रकार वास्तविक कार्यकारी शक्ति मंत्रिपरिषद् में निहित है, जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री है जो वर्तमान में नरेन्द्र मोदी हैं। मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोगों के सदन (लोक सभा) के प्रति उत्तरदायी है।
संविधान में विधानसभा और विधानपरिषद
प्रत्येक राज्य में एक विधानसभा है। जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक,आंध्रप्रदेश और तेलांगना में एक ऊपरी सदन है जिसे विधानपरिषद कहा जाता है। राज्यपाल राज्य का प्रमुख है। प्रत्येक राज्य का एक राज्यपाल होगा तथा राज्य की कार्यकारी शक्ति उसमें निहित होगी। मंत्रिपरिषद, जिसका प्रमुख मुख्यमंत्री है, राज्यपाल को उसके कार्यकारी कार्यों के निष्पादन में सलाह देती है। राज्य की मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से राज्य की विधान सभा के प्रति उत्तरदायी है।
26 जनवरी को ही क्यों मनाया गया गणतंत्र दिवस
भारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को पारित किया गया था, लेकिन इसे इसी दिन से लागू क्यों नहीं किया है, यह प्रश्न सबके ज़हन में उठता है। इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए हमें 1929 की घटना जानना काफी महत्वपूर्ण है। 1929 में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन हुआ। इस अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें भारत को एक डोमिनियन स्टेटस की मांग की गई।
पंडित जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में पास हुए इस प्रस्ताव में यह तय किया गया कि यदि अंग्रेज भारत को 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमिनियन स्टेटस नहीं देगी, तो भारत अपने आप को पूर्ण स्वतंत्र देश घोषित कर लेगा। अंग्रेजों की सरकार ने यह बात मानने से इनकार कर दिया। 26 जनवरी 1930 से ही स्वतंत्रता प्राप्त के लिए तेज आंदोलन शुरू कर दिए गए। वहीं 1930 से ही 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस भी मनाया जाने लगा था।
गणतंत्र दिवस 2018, ये खास मेहमान होंगे शामिल
26 जनवरी 2018 को हम अपना 69वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। इस बार गणतंत्र दिवस में कई खास मेहमान शामिल होने की उम्मीद की जा रही है। भारतीय गणतंत्र दिवस (Republic day) 2018 के कार्यक्रम में ASEAN (एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशन्स) देशों के 10 नेता बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे। बता दें कि फिलीपींस की राजधानी मनीला में पिछले दिनों हुए ASEAN में पीएम मोदी ने सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों को भारत के गणतंत्र दिवस में शामिल होने का न्योता दिया था। जिसके बाद सभी देशों ने इसमें शामिल होने के लिए रजामंदी भी दे दी है।
इन 10 देशों के नेता होंगे चीफ गेस्ट
ब्रुनई, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम,फिलीपींस, कंबोडिया और म्यांमार देशों के नेता बतौर चीफ गेस्ट शामिल होंगे। 2018 में गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत की राजधानी दिल्ली में इस ऐतिहासिक मौके पर सभी नेता शामिल होंगे।
Created On :   23 Jan 2018 11:28 PM IST