कानपुर में खुला देश का पहला महिला शरई कोर्ट, महिला काजी ही सुनेंगी मुस्लिम औरतों की फरियाद
- देश का पहला महिला दारुल कजा (शरई कोर्ट) कानपुर में खुला।
- एक औरत अपने शराबी पति की शिकायत लेकर वहां पहुंची।
- शिकायतों की सुनवाई करेंगी हिना जहीर और मरिया फजल।
डिजिटल डेस्क, कानपुर। मुस्लिम महिलाओं को उनका हक दिलाने और उनके परेशानियों को दूर करने के लिए देश का पहला महिला दारुल कजा (शरई कोर्ट) कानपुर में खुल गया है। शिकायतों की सुनवाई के लिए आलिमा हिना जहीर और मरिया फजल को नियुक्त किया गया है। यहां निकाह और तीन तलाक जैसे गंभीर मामलों पर भी सुनवाई की जाएगी। इस कोर्ट में सिर्फ महिलाएं ही आवेदन कर सकेंगी और मामले की सुनवाई सिर्फ महिला मुफ्ती ही करेंगी। इस शरई अदालत की शुरुआत के कुछ देर बाद ही एक औरत अपने शराबी पति की शिकायत लेकर वहां पहुंची।
शरई कोर्ट का उद्घाटन करते हुए हिना जहीर ने कहा कि इस्लाम में औरतों को बराबर का हक दिया गया है। बेटों को नेमत और बेटियों को रहमत कहा गया है। निकाह के बाद औरतें किसी मर्द की दासी नहीं लाइफ पार्टनर होती है। जबकि मौलानाओं ने इन सभी चीजों को सही मायने में पेश नहीं किया। मौलाना तीन तलाक के बारे में कुरान में दिये गये नियम को नहीं मानते। वह कहते हैं कि एक बार में तीन तलाक होता है, जबकि कुरान में तीन माह में रुक-रुक कर तलाक देने का लिखा गया है।
शरई कोर्ट की खुबियों को गिनाते हुए हिना ने कहा, "दारुल कजा के खुलने के बाद अब महिलाएं खुलकर सारी बात कह सकेंगी। अब उन्हें मर्द काजियों के सामने हिचकिचाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। इस कोर्ट के द्वारा महिलाओं को सही रास्ता दिखाया जाएगा। उन्हें हर तरह का ज्ञान दिया जाएगा। उन्हें खुद के जीवन को सुदृढ़ बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा ताकि वह कमाकर खुद का का भरन-पोषण कर सकें।" वहीं आलिमा मारिया फजल ने कहा कि बिना महिलाओं के कोई भी देश आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए जरूरी है कि उन्हें पढ़ाया जाए और उन्हें काबिल बनाया जाए। इस कोर्ट के द्वारा औरतों को उनके अधिकार बताए जाएंगे।
Created On :   5 Aug 2018 11:49 PM IST