झारखंड में बड़ी घटनाओं के बाद खुफिया तंत्र पर सवाल!

Intelligence question after major incidents in Jharkhand!
झारखंड में बड़ी घटनाओं के बाद खुफिया तंत्र पर सवाल!
झारखंड में बड़ी घटनाओं के बाद खुफिया तंत्र पर सवाल!
हाईलाइट
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रांची, 25 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में सरकार के बदलने के बाद एक महीने के अंदर दो बड़ी घटनाओं ने यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि पुलिस और खुफिया तंत्र इन वारदातों को भांपने में पूरी तरह असफल रहे हैं।

पश्चिम सिंहभूम जिले के गुदड़ी प्रखंड के बुरुगुलिकेला गांव में कथित तौर पर पत्थलगड़ी समर्थक द्वारा सात आदिवासियों की हत्या का मामला रहा हो, या फिर लोहरदगा में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के समर्थन में निकाली गई रैली में पथराव और फिर उसके बाद बढ़े तनाव का मामला। इन दोनों ही मामलों में पुलिस व खुफिया तंत्र घटना के पहले स्थिति को भांपने में विफल रहे।

सूत्रों का कहना है कि लोहरदगा में सीएए और एनआरसी के पक्ष में निकाले जाने वाले जुलूस की अनुमति जिला प्रशासन ने दी थी। इसके बाद अगर जुलूस पर पथराव और पथराव के बाद बिगड़ी स्थिति को लेकर जिला प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा तो इतना तय है कि असामाजिक तत्वों ने इसकी तैयारी पहले से कर रखी थी।

सूत्रों का दावा है कि कई घरों की छतों से पथराव किया गया। कहा जा रहा है कि इस घटना के पूर्व सोशल मीडिया पर कई तरह के आपत्तिजनक पोस्ट किए गए और स्थिति को बिगाड़ने की कोशिश की गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस अगर समय रहते सचेत होती तो स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सकता था।

झारखंड में पश्चिम सिंहभूम जिले में भी ऐसा ही देखने को मिला। जिले के गुदड़ी में हुई सात लोगों की हत्या ने झारखंड पुलिस और पूरे खुफिया तंत्र को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने बताया, यह कोई अचानक आवेश में अंजाम दी गई वारदात नहीं है। इसकी परिस्थितियां पहले से बनाई गई होंगी, लेकिन पुलिस तंत्र बेखबर रहा। पूरा तंत्र सुस्त नहीं रहता तो यह घटना रोकी जा सकती थी।

सूत्रों का दावा है कि बुरुगुलीकेला गांव में 16 जनवरी से ही इलाके में पत्थलगड़ी समर्थकों और विरोधियों के बीच तनाव की स्थिति थी। घटना के दिन दोनों पक्षों में मारपीट भी हुई थी। मोटरसाइकिल पर सवार होकर कुछ लड़के गांव में आए थे और कई घरों में उन्होंने तोड़फोड़ की थी। मगर इसकी भनक पुलिस को नहीं लग सकी।

रविवार को ग्रामीणों के साथ पत्थलगड़ी समर्थकों की बैठक हुई और विरोध करने वालों को पत्थलगड़ी समर्थकों ने अगवा कर लिया और उन्हें लेकर जंगल चले गए। पुलिस तीन दिन बाद बुधवार को गांव में तब पहुंची, जब सात लोगों की गर्दन रेतकर हत्या कर दी गई थी।

इस संबंध में कई पुलिस अधिकारियों से बातचीत करने की कोशिश की गई, मगर कोई भी बोलने को तैयार नहीं हुआ। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हालांकि कहा है कि लोग कई क्षेत्रों को अशांत करने की कोशिश कर रहे हैं। मामले की जांच हो रही है और कोई भी दोषी बच नहीं पाएगा।

Created On :   25 Jan 2020 2:00 PM GMT

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