'पिज्ज़ा हट' के सैम्पल निकले मिसब्रांडेड, हो सकती है ये बड़ी कार्रवाई
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। युवाओं और बच्चों की पंसदीदा जगह मानी जाने वाली इंटरनेशनल फूड चेन पिज्ज़ा हट के जबलपुर स्थित फ्रेंचायज़ी (आउटलेट) में मिसब्रांडेड प्रोडक्ट उपयोग होने का मामला सामने आया है। इस बात का खुलासा खाद्य एवं औषधि विभाग की भोपाल स्थित प्रयोगशाला से आई जांच रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि पिज्ज़ा हट में जिन प्रोडक्ट का उपयोग किया जा रहा है उनपर दर्ज की जाने वाली जानकारी भ्रामक है और इसे लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ माना जा सकता है। इसके लिए फ्रेंचायजी के डायरेक्टर पर 5 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
खाद्य अधिकारी अमरीश दुबे के अनुसार, बीते माह जबलपुर हॉस्पिटल के पास स्थित पिज्ज़ा हट से मशरुम और पास्ता के सैम्पल लिए गए थे। प्रथम दृष्टया जांच में यह पाया गया था कि पिज्ज़ा हट में बनाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में उपयोग किया जा रहा उनके पैकेट पर अनिवार्य रुप से दर्ज की जाने वाली जानकारियां ठीक से अंकित नहीं मिली थी। जिसके बाद विभाग के अधिकारियों ने सैम्पल एकत्र कर जांच के लिए भोपाल भेजे थे।
जांच रिपोर्ट आने के बाद अधिकारियों का संदेह सही साबित हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मशरुम के पैकेट पर पैकेजिंग डेट, एफएसएसएआई का लायसेंस नंबर पढ़ने में नहीं आ रहा है। इसी प्रकार स्पेन से आयातित रोमिरो ब्रांड के पास्ते के पैक्टस पर भी अावश्यक जानकारियों भ्रामक प्रतीत हुई है। दरअसल, सैम्पल के तौर पर लिए गए पैकेट्स पर जानकारी वाले लेबल का रंग और फान्ट का कलर लगभग एक ही प्रकार का पाया गया है। इस वजह से लेबल पर अंकित जानकारी पठनीय नहीं है, जिसे मिसब्रांडेड श्रेणी का माना जाएगा।
फर्म और डायरेक्टर पर हो सकता है जुर्माना
सूत्रों की माने तो जांच रिपोर्ट में मिसब्रांडेड प्रोडक्ट सामने आने पर संबंधित फर्म के विरुद्ध पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। यदि किसी फर्म में एक से अधिक डायरेक्टर होने पर प्रति डायरेक्टर पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना अधिकरोपित किया जाता है। विभाग के जिम्मेदारों का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद फिलहाल मामले को कानूनी प्रक्रिया में भेजा जा रहा है। इसके साथ ही पिज्ज़ा हट का एक डायरेक्टर है या उससे अधिक, इस बात की भी पड़ताल की जा रही है।
बीड़ी कंपनी मालिक के खिलाफ कार्रवाई
खाद्य एवं औषधि विभाग के अधिकारियों ने गत दिवस गलगला स्थित नमस्कार बिड़ी कंपनी पर छापा मारते हुए फैक्ट्री का निरीक्षण किया। इस दौरान अधिकारियों ने जब बिड़ी का सैम्पल लेना चाहा तो कंपनी संचालक विनोद कुमार जैन ने आनाकानी करते हुए उसे देने से मना कर दिया। सैम्पल देने से साफ इंकार करने की घटना को संदिग्ध मानते हुए अधिकारियों ने कंपनी संचालक के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर लिया है। जानकारों की माने तो जांच में सहयोग न करते हुए सैम्पल देने से मना करने पर 6 महीने तक के कारावास की सज़ा का प्रावधान है।
Created On :   22 Jan 2018 11:22 PM IST