ईरानी प्रेसिडेंट हसन रूहानी आज से भारत दौरे पर, जानें क्यों है खास?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ईरान के प्रेसिडेंट हसन रूहानी गुरुवार को तीन दिन की यात्रा पर भारत आ रहे हैं। हसन रूहानी की ये भारत यात्रा दोनों देशों के लिए काफी अहम है, क्योंकि ईरान को जहां विकास के लिए भारत की मदद की जरूरत है, तो वहीं भारत अपनी वेस्ट एशिया पॉलिसी के तहत अहम साथी बनाना चाहता है। इसके साथ ही भारत ईरान में चीन और पाकिस्तान को घेरने के लिए चाबहार पोर्ट में इन्वेस्ट कर रहा है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2016 में ईरान गए थे।
हैदराबाद से शुरू होगी रूहानी की यात्रा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार को ईरानी प्रेसिडेंट हसन रूहानी हैदराबाद के बेगमपेट एयरपोर्ट पहुंचेंगे और बाद में मुस्लिम इंटलेक्चुअल्स और धर्मगुरुओं को संबोधित करेंगे। गुरुवार और शुक्रवार को रूहानी हैदराबाद में ही रहेंगे और ये उनका निजी दौरा है, जबकि आधिकारिक मुलाकातें शनिवार से शुरू होगी। बताया जा रहा है कि रूहानी हैदराबाद की भव्य मक्का मस्जिद में जुमे की नमाज भी अदा करेंगे। भारत की किसी मस्जिद में नमाज अदा करने वाले रूहानी पहले विदेशी राष्ट्राध्यक्ष हैं। इसके साथ ही 10 हजार लोगों के बीच फारसी में भाषण (खुतबा) भी देंगे।
शनिवार को पीएम और राष्ट्रपति से करेंगे मुलाकात
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरानी प्रेसिडेंट 15 से 17 फरवरी तक भारत की यात्रा पर रहेंगे। इसमें शुरुआती दो दिनों तक रूहानी निजी यात्रा पर रहेंगे, जबकि आधिकारिक मुलाकातें शनिवार से शुरू होंगी। शनिवार को ही रूहानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगे। पीएम मोदी से मुलाकात के अलावा ईरानी प्रेसिडेंट हसन रूहानी शनिवार को ही ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) में एक स्पेशल लेक्चर भी देंगे। बता दें कि 2013 में ईरान के प्रेसिडेंट बनने के बाद रूहानी की ये पहली भारत यात्रा है।
क्यों खास है ये दौरा?
भारत और ईरान दोनों ही देशों के लिए ये दौरा कई मायनों में खास है। सबसे पहली बात तो ये है कि भारत को सस्ते ऑयल और गैस के लिए वेस्ट एशिया की जरूरत है और भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। जहां ईरान अपना माल बेचना चाहता है, तो वहीं भारत को इस माल की जरूरत है। ऐसे में दोनों ही देश मिलकर एनर्जी सेक्ट में बड़ी कामयाबी हासिल कर सकते हैं। इसके साथ ही चाबहार पोर्ट दोनों ही देशों का प्रोजेक्ट है, जिसका काम भी शुरू हो चुका है। चाबहार पोर्ट के जरिए ही भारत बिना पाकिस्तान जाए अफगानिस्तान तक अपनी पहुंच बना सकता है। इस प्रोजेक्ट से जहां ईरान में रोजगार बढ़ेगा, वहीं भारत इसके जरिए चीन-पाकिस्तान पर दबाव बना सकता है।
आतंकवाद पर भी बात संभव
इसके साथ ही बताया जा रहा है कि जब ईरानी प्रेसिडेंट हसन रूहानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे, तो पीएम मोदी आतंकवाद का मुद्दा उठा सकते हैं। माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच आतंकवाद पर बात संभव है। ऐसा माना जाता है कि रूस, पाकिस्तान के साथ-साथ ईरान भी काफी हद तक अफगान-तालिबान को सपोर्ट करता है। अफगानिस्तान में भारत की भी बड़ी मौजूदगी है, जबकि इससे अमेरिका और अफगानिस्तान दोनों को ही खतरा है। ऐसे में भारत ईरान पर दबाव डाल सकता है, कि वो तालिबान और बाकी आतंकी संगठनों पर सख्ती दिखाएं।
क्या है चाबहार प्रोजेक्ट?
चाबहार पोर्ट भारत की मदद से ईरान में बनाया जा रहा है। हाल ही में इसके पहले फेज का उद्घाटन किया गया है। भारत इस प्रॉजेक्ट में 50 करोड़ डॉलर का निवेश कर रहा है। वहीं, चीन ग्वादर बंदरगाह को चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर के हिस्से के रूप में विकसित कर रहा है, जिसे CPEC के नाम से भी जाना जाता है। भारत के लिए यह चाबहार पोर्ट इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे भारत के लिए वेस्ट एशिया से जुड़ने का सीधा रास्ता उपलब्ध कराएगा और इसमें पाकिस्तान का कोई दखल नहीं होगा। चाबहार के खुलने से भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच व्यापार को बड़ा सहारा मिलेगा। पिछले साल भारत ने अफगानिस्तान को गेहूं से भरा पहला जहाज इसी बंदरगाह के रास्ते भेजा था।
Created On :   15 Feb 2018 8:52 AM IST