जीसैट-6ए से संपर्क नहीं साध सका इसरो, तीन दिनों से जारी है खोजबीन
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के सयुंक्त प्रयास से 29 मार्च को लांच किए गए भारतीय सैटलाइट GSAT-6A से तीन दिन बाद भी संपर्क स्थापित नहीं हो पाया है। इसरो का कहना है कि उनके वैज्ञानिक सैटेलाइट से दुबारा संपर्क करने में सक्षम हैं और इसकी कोशिश कर रहे हैं। बता दें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) ने गुरुवार को जीसैट-6ए सैटेलाइट लॉन्च किया था। जिससे रविवार को इसरो का इस कम्युनिकेशन सैटेलाइट जीसैट-6ए से संपर्क टूट गया था। जिसके बाद से पिछले तीन दिनों से सैटेलाइट जीसैट-6ए से दोबारा संपर्क स्थापित करने की लगातार कोशिश की जा रही है। इस उपग्रह को भारत की अब तक का सबसे बड़ा कम्युनिकेशन उपग्रह बताया गया है। जिसमें मिलिट्री एप्लीकेशन लगे हैं।
शॉट-सर्किट की वजह से हो सकता है पावर फेलियर
एक एक्सपर्ट ने बताया कि लौन्चिंग के समय सैटेलाइट में पावर के लिए सोलर पैनल और फुल चार्ज्ड बैट्रीज थीं। तो यदि अगर सोलर पैनल फेल भी हो जाता है तो बैट्रीज़ से पावर रीस्टार्ट हो जाना चाहिए था लेकिन अब तक ना होने ऐसा लगता कि सैटेलाइट में पूरा पावर फेलियर हो चुका है। एक्सपर्ट्स की मानें तो शॉट-सर्किट की वजह से पावर फेलियर हो सकता है जिसे स्पेस की भाषा में "लॉस ऑफ लॉक" कहा जाता है। वहीं इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने कहा है कि प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता हैं कि संपर्क बनाने की संभावना है। बता दें कि जीसैट-6ए एक कम्युनिकेशन सैटेलाइट है और इसको तैयार करने में 270 करोड़ रुपए का खर्च आया है। इसका मुख्य तौर पर इस्तेमाल भारतीय सेना के लिए किया जाना है। पिछले 72 घंटे में इसरो की ओर से इस सैटेलाइट के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।
फंक्शनल यूनिट में नहीं है कोई खराबी
इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन का मानना है कि अंतरिक्ष क्षेत्र में हर तरह की गड़बड़ी होने की संभावना बनी रहती है और इस प्रकार इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। उन्होंने समाचार एजेंसी से बातचीत के दौरान बताया कि, "जब अंतरिक्ष की बात आती है तो कुछ भी सामान्य नहीं होता है और यहां पर होने वाली सभी गड़बड़ीयां सक्रिय और समकालीन होती हैं।" विभिन्न एजेंसियों के मुताबिक, सैटलाइट की फंक्शनल यूनिट में कोई खराबी नहीं पाई गई है। वहीं एक प्राइवेट वेबसाइट ने दावा किया है कि जीसैट-6A को सोमवार को 28,517 किलोमीटर की ऊंचाई पर 3.38 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से चक्कर लगाते हुए पाया गया था। वहीं सोमवार को यह सैटलाइट अफ्रीका के ऊपर से गुजरा और भारत, सिंगापुर, पापुआ न्यू गिनी और प्रशांत महासागर के ऊपर से भी गुजरा।
Created On :   3 April 2018 6:22 PM IST