इसरो ने अंतरिक्ष में एक बार फिर रचा इतिहास, अब तक का सबसे छोटा रॉकेट हुआ लॉन्च, SSLV-D1 के तर्ज पर बना है SSLV-D2
- इसरो का सबसे छोटा रॉकेट हुआ लॉन्च
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने अंतरिक्ष के इतिहास में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। भारत की ताकत हर क्षेत्र में दिन- प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। दुनियाभर में भारत एक नई शाक्ति बन कर उभर रहा है। भारत की स्पेस एजेंसी इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने देश को एक बार फिर देश का गौरव बढ़ाने वाला काम किया है। इसरो ने अपना अब तक का सबसे छोटा रॉकेट एसएसएल-डी2 को लॉन्च कर दिया है। इसे आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिला के श्रीहरीकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया है। यह शुक्रवार यानी 10 फरवरी को सुबह 9.18 बजे सफल तरीके से लॉन्च हुआ।
एसएसएलवी-डी1 के तर्ज पर बना एसएसएलवी-डी2
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने सफल लॉन्च के बाद सैटेलाइट को बनाने वाले और उसे सही कक्षा में स्थापित करने के लिए सभी तीन सैटेलाइट टीमों को बधाई दी। सोमनाथ ने कहा "हमने एसएसएलवी-डी1 में आने वाली समस्याओं का विश्लेषण किया और फिर जरूरी सुधार किए। इस बार लॉन्च व्हीकल को सफल बनाने के लिए उन्हें बहुत तेज गति से लागू किया गया।"
इसरो का सबसे छोटा रॉकेट हुआ लॉन्च
सबसे छोटे रॉकेट लॉन्च के पहले इसरो ने एक बयान जारी किया था। अपने बयान में कहा था कि, नया रॉकेट अपनी 15 मिनट की उड़ान के दौरान तीन सैटेलाइट इसरो के ईओएस-07, अमेरिका स्थित फर्म Antaris जानूस -1 और चेन्नई स्थित अंतरिक्ष स्टार्टअप स्पेसकिड्ज के आजादीसैट-2 को 450 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित करने का प्रयास करेगा।
इसरो के मुताबिक,एसएसएलवी लॉन्च-ऑन-डिमांड के आधार पर पृथ्वी की निचली कक्षाओं में 500 किलोग्राम तक के सैटेलाइट्स के प्रक्षेपण को पूरा करता है। बता दें कि, एसएसएलवी एक 34 मीटर लंबा, 2 मीटर डायामीटर वाला व्हीकल है। इसका वजन करीब 120 टन के आस-पास है। एसएसएल-डी2 रॉकेट को वेग टर्मिनल मॉड्यूल के साथ कॉन्फिगर किया गया है।
रॉकेट छोड़ेगा ये तीन सैटेलाइट
इसरो का ईओएस-07 सैटेलाइट का भार 156.3 किलोग्राम है। जिसे इसरे ने खुद ही डिजाइन किया है। इस सैटेलाइट में एमएम-वेव ह्यूमिडिटी साउंडर और स्पेक्ट्रम मॉनिटरिंग पेलोड शामिल हैं। Antaris जानूस -1 एक अमेरिकी सैटेलाइट है। जो 10.3 किलोग्राम का है। वहीं आजादीसैट-2 8.7 किलोग्राम की सैटेलाइट है। जिसे स्पेस किड्स इंडिया ने करीब 750 छात्रों और भारत सरकार की मदद से निर्माण किया है।
एसएसएलवी-1 की नहीं हो पाई थी सफल लॉन्चिंग
पिछले साल 9 अगस्त को एसएसएलवी की टेस्ट फ्लाइट फेल हो गई थी। इसरो के मुताबिक, फ्लाइट का सफल परीक्षण नहीं हुआ तो इसरो ने इसकी जांच पड़ताल की तो पता चला कि दूसरे चरण के अलगाव के दौरान इक्विपमेंट बे डेक पर एक छोटी अवधि की वजह से कंपन की गड़बड़ी पाई गई थी। कंपन की वजह से इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम यानी आईएनएस को सीधे तौर प्रभावित किया। जिसकी वजह से फॉल्ट डिटेक्सन एंड आइसोलेशन के सॉउ्टवेयर के सेंसर में गड़बड़ी हो गई थी। जिसके कारण एसएसएलवी-1 की सफल परीक्षण नहीं हो पाया था।
Created On :   10 Feb 2023 12:34 PM IST