अपनी बेगुनाही साबित करने में व्यक्ति को लगे 24 साल
- अपनी बेगुनाही साबित करने में व्यक्ति को लगे 24 साल
मुजफ्फरनगर, 21 सितम्बर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में एक व्यक्ति को अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए तीन महीने की जेल की कैद के साथ अदालती लड़ाई में 24 साल लग गए।
अब उस व्यक्ति राम रतन की उम्र 65 साल है। आखिरकार मुजफ्फरनगर की एक लोकल कोर्ट ने उन्हें पुलिस द्वारा उनके खिलाफ कोई सबूत पेश करने में विफल रहने पर बरी कर दिया।
करीब 24 साल पहले उन पर एक अवैध बन्दूक रखने को लेकर मामला दर्ज किया गया था। इसके लिए वह तीन महीने जेल में भी काट चुके हैं।
उनके परिवार ने दावा किया कि उन पर लगाए गए आरोप झूठे थे और उन्हें पंचायत चुनावों के दौरान चुनावी दुश्मनी के कारण फंसाया गया था।
उनके वकील धरम सिंह गुज्जर ने कहा, राम रतन को पिछले 24 सालों के दौरान 500 से अधिक तारीखों पर अदालत में उपस्थित होना पड़ा। उन्हें बहुत मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी।
मुज़फ्फरनगर के रोहाना खुर्द गांव के निवासी राम रतन को 1996 में शहर कोतवाली थाने की एक पुलिस टीम ने गिरफ्तार किया था, जिन्होंने आरोप लगाया था कि उनके कब्जे से दो गोलियों के साथ एक देसी पिस्तौल बरामद की गई है।
उन पर आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया था। तीन महीने जेल में बिताने के बाद उन्हें जमानत दे दी गई।
साल 2006 में लोकल कोर्ट ने उनके खिलाफ आरोप तय किए और पुलिस को सबूत और बरामद हथियार पेश करने को कहा।
वहीं सबूत के लिए 14 साल के इंतजार के बाद सीजेएम कोर्ट ने राम रतन को बरी कर दिया, क्योंकि इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं था।
उनके वकील ने कहा, कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को सबूत देने के लिए कहा और उन्हें पर्याप्त समय दिया गया था, लेकिन वे मेरे मुवक्किल के खिलाफ कोई सबूत पेश करने में विफल रहे। सबूतों की कमी के कारण अदालत ने उन्हें बरी कर दिया।
राम रतन ने संवाददाताओं से कहा, जब उन्होंने मुझे गिरफ्तार किया और आरोप लगाया, तब मैं 41 साल का था। यह वास्तव में लंबे समय की तरह लगता है। मैं आखिरकार राहत की सांस ले सकता हूं। लेकिन मुझे नहीं पता कि मैंने जो यातना और उत्पीड़न इतने सालों तक सहा, उसके लिए मुझे कौन मुआवजा देगा।
एमएनएस-एसकेपी
Created On :   21 Sept 2020 1:00 PM IST