जामिया हिंसा : एएसजी ने कहा, विश्वविद्यालय पढ़ाई के लिए, सामाजिक असंगति के लिए नहीं
नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अमन लेखी ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि विश्वविद्यालय शैक्षिक उद्देश्यों के लिए हैं, न कि मतभेदों या असंगति में उलझने के लिए।
लेखी ने जामिया मिलिया इस्लामिया परिसर में पिछले साल दिसंबर में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के मद्देनजर हुई हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर चल रही सुनवाई के दौरान यह बात कही।
उन्होंने मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की खंडपीठ से कहा, विश्वविद्यालय शिक्षा के लिए होते हैं न कि मतभेदों में उलझने के लिए। जहां कहीं भी सामाजिक असंगति (असामंजस्य) हो, वहां हस्तक्षेप (अधिकारियों द्वारा) महत्वपूर्ण है।
उन्होंने यह भी दलील दी कि दिसंबर 2019 में कैंपस में और उसके आसपास हुई हिंसा के बारे में याचिकाएं केवल राय और एजेंडे पर आधारित हैं।
लेखी ने कहा, अखबार की रिपोर्ट की सटीकता को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि याचिकाकतार्ओं ने टुकड़ों में छोटी-मोटी जानकारी एकत्र की और इसे अपने हिसाब से एवं अपने इरादों के अनुकूल समानुक्रमित (सेट करना) किया।
हिंसा की रात जामिया परिसर में पुलिस के प्रवेश को सही ठहराते हुए, एएसजी ने कहा कि वही आवश्यक था। उन्होंने कहा, वे कह रहे हैं कि पुलिस ने एक विशेष समुदाय के साथ मिलकर बिना अनुमति के प्रवेश किया। यह एक खुद से ही गढ़ा गया (सेल्फ सविर्ंग) आरोप है।
वरिष्ठ विधि अधिकारी ने यह भी कहा कि केवल इसलिए कि घटना का स्थान एक विश्वविद्यालय है, वहां किसी भी कार्रवाई को अनुचित करार दिया जाना पूरी तरह से दोषपूर्ण है। उन्होंने कहा, यहां तक ??कि छात्र भी गलत कर सकते हैं।
लेखी ने यह भी कहा कि जब कोई अपराध होता है, तब किसी एजेंसी द्वारा हस्तक्षेप किया जाता है।
अदालत ने मामले को 21 अगस्त को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
एकेके
Created On :   15 Aug 2020 1:00 AM IST