ठाणे में दही-हांडी फोड़ते समय 1 घायल, मुंबई में 50 फीट ऊपर बंधी है मटकी
- गोविंदाओं की बड़ी-बड़ी टोलियां ऊंचाई पर टंगी दही हांडी को फोड़कर जन्माष्टमी मनाती है।
- देशभर में जन्माष्टमी पर दही-हांडी फोड़ने का चलन है।
- मुंबई में दही हांडी का आयोजन सबसे अलग हटकर होता है।
डिजिटल डेस्क, मुंबई। वैसे तो देशभर में जन्माष्टमी पर दही-हांडी फोड़ने का चलन है। गोविंदाओं की बड़ी-बड़ी टोलियां ऊंचाई पर टंगी दही हांडी को फोड़कर जन्माष्टमी मनाती हैं, लेकिन मुंबई में इसका आयोजन सबसे अलग हटकर होता है। यहां जन्माष्टमी पर दही-हांडी की तैयारियां काफी पहले से होने लगती है। ठाणे में दही हांडी फोड़ते समय एक युवक घायल हो गया, जिसे अस्पताल ले जाया गया है।
मुंबई के दादर में दही-हांडी दो ऊंची बिल्डिंगों की चौथी मंजिल पर बांधी गई है, जिसकी ऊंचाई 50 फीट है। गोविंदाओं की टोली इसे फोड़ने के लिए जोर आजमाइश कर रही है। बता दें कि कोर्ट ने आदेश दिया है कि 14 साल के कम उम्र के बच्चे को दही हांडी फोड़ने में शामिल नहीं किया जा सकता है। ऐसा करने पर आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
क्यों फोड़ी जाती है दही-हांडी?
आमतौर पर दही-हांडी को एक खेल माना जाता है, लेकिन इसमें भगवान कृष्ण का एक संदेश भी छुपा हुआ है। दही-हांडी से हमें सीख मिलती है कि कठिन से कठिन लक्ष्य भी मेहनत के बल पर हासिल किया जा सकता है। इसके अलावा दही हांडी समाज को एकजुटता का संदेश भी देता है। जिस तरह गोविदाओं की टीम एकजुट होकर दही-हांडी फोड़ती है, उसी तरह हमें भी एकजुट रहना चहिए। मिल-जुलकर कोई काम करने से कामयाबी जरूर मिलती है। भगवान कृष्ण ने गीता में अर्जुन को गीता में भी यही संदेश दिया है।
Created On :   3 Sept 2018 11:47 AM IST