रेपिस्ट बाबा के वकील ने कहा 'नारी नर्क का द्वार', जज बोली 'जुबान संभालिए जरा'

judge gheeta mittal rebuke to Viredra dev dixit lawyer in Highcourt
रेपिस्ट बाबा के वकील ने कहा 'नारी नर्क का द्वार', जज बोली 'जुबान संभालिए जरा'
रेपिस्ट बाबा के वकील ने कहा 'नारी नर्क का द्वार', जज बोली 'जुबान संभालिए जरा'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली में रोहिणी स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के मामले में हाईकोर्ट में अमर्यादित तर्क देने पर आरोपी के वकील को जज ने जमकर फटकार लगाई। वकील अनमोल कोंकर्णी ने जिरह के दौरान कहा कि "नारी नर्क का द्वार है"। इस तरह का वाहियात तर्क देने पर मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने वकील को डांटते हुए कहा, "चुप रहिए, जरा जुबान संभाल कर बोलिए। ये कोर्ट है, आपकी आध्यात्मिक क्लास नहीं जहां प्रवचन दे रहे हैं। आप कौन से युग में रहते हैं।"

 

 

 

जज ने समर्थकों को कोर्ट से बाहर निकाला

बता दें कि इस मामले अब सुनवाई आठ फरवरी को होगी। वकील के तर्क के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जयहिंद व अन्य पक्षों के वकीलों ने भी विरोध शुरू कर दिया। मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने वकील व बड़ी संख्या में मौजूद वीरेंद्र के समर्थकों को कोर्ट रूम से बाहर निकाल दिया। इतना ही नहीं कोर्ट परिसर के बाहर गेट नंबर 4 पर भी समर्थकों व आम लोगों के बीच नोकझोंक हुई। पीठ ने वीरेंद्र देव दीक्षित के केंद्रों पर विश्वविद्यालय लिखे होने पर भी कड़ी आपत्ति जताई है।

 

 

 

लुक आउट नोटिस जारी

सुनवाई के दौरान ही जब ऑर्डर सुनाया जाने वाला था तो बाबा के वकील ने कहा कि "हमारे ऊपर देश का ऐसा कोई कानूनी लागू नहीं होता, क्योंकि जो हम कर रहे हैं वह हमें भगवान ने बोला है। उन्होंने कहा कि हमारा पक्ष भी सुना जाना चाहिए। इस पर कोर्ट ने जवाब देने के लिए दो दिन का समय दिया है। सीबीआइ ने पीठ को जानकारी दी कि वीरेंद्र देव के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी कर दिया गया है। वीरेंद्र देव के केंद्रों का गलत पता बताया गया है। इस पर कोर्ट ने वकील को दो दिन के भीतर सही पता बताने का निर्देश दिया है। याद दिला दें कि दिसंबर में आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में शिक्षा देने के नाम पर युवतियों को बंधक बनाने व उनके साथ दुष्कर्म करने का मामला प्रकाश में आया था।


 

आध्यात्मिक केंद्र को विवि का दर्जा नहीं मिला

अदालत ने कहा कि वीरेंद्र देव दीक्षित के आध्यात्मिक केंद्र को विश्वविद्यालय का कोई कानूनी दर्जा प्राप्त नहीं है। यह न तो पंजीकृत सोसाइटी है और न ही कंपनी कानून के तहत कारपोरेट संस्था है। इससे पहले अदालत ने आश्रम के संस्थापक दीक्षित के आचरण को ‘बेहद संदिग्ध’ बताते हुए सीबीआई को उसके ठिकाने पर एक रिपोर्ट दायर करने के निर्देश दिए थे। अदालत ने रोहिणी आश्रम और दिल्ली में इसकी अन्य शाखाओं को निरीक्षण करने के लिए एक पैनल नियुक्त किया था, जिसमें दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल, वकील नंदिता राव और अजय शर्मा शामिल थे।

 

बाबा के वकील की इस टिप्पणी का दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल जयहिंद ने कहा कि जो अपनी मां का सम्मान नहीं करते वे लोगों को क्या शिक्षा देंगे

Created On :   6 Feb 2018 10:16 AM IST

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