चुनाव से ठीक पहले कर्नाटक सरकार ने जारी किया अपना झंडा, मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा 

Just before  election, Karnataka government  released its flag
चुनाव से ठीक पहले कर्नाटक सरकार ने जारी किया अपना झंडा, मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा 
चुनाव से ठीक पहले कर्नाटक सरकार ने जारी किया अपना झंडा, मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा 

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटका में सिद्धारमैया सरकार ने महीनों की मशक्कत के बाद आखिरकार अपना झंडा तैयार कर ही लिया है। गुरूवार को कर्नाटका के नए राज्य ध्वज का अनावरण किया गया। बता दें, लम्बे समय से कर्नाटक राज्य अपने नए झंडे की मांग कर रहा था। लाल, सफ़ेद और पीले रंग वाले इस आयताकार ध्वज का नाम "नाद ध्वज" है जिसे केंद्र की अनुमति मिलने के बाद से कर्नाटक का आधिकारिक ध्वज मान लिया जाएगा। राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की उपस्थिति में कर्नाटक के लिए नए झंडे को मीडिया के सामने रखा गया। राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इसे केंद्र के पास भेजा गया है।

जम्मू कश्मीर के बाद बनेगा दूसरा राज्य 
सूत्रों का कहना है कि आने वाले विधानसभा चुनावों को मद्देनजर रखते हुए इस झंडे का निर्माण कराया गया है। हाल के विधानसभा चुनाव के दौरान इस झंडे के इस्तेमाल किए जाने की उम्मीद है। बता दें यदि इस झंडे को मान्यता दे दी जाती है तो कर्नाटका, जम्मू-कश्मीर के बाद दूसरा राज्य होगा जिसका खुद का आधिकारिक राज्य ध्वज होगा। फिलहाल देश में सिर्फ जम्मू-कश्मीर के आलावा किसी अन्य राज्य के पास अपना झंडा नहीं है। सूत्रों का कहना है कि इस झंडे को आधिकारिक मान्यता मिलने की सम्भावनाएं कम ही हैं क्योंकि संविधान में सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लिए ही विशेष झंडे का प्रावधान है।

झंडे को अनुमति मिलने में संशय बरकरार 
कर्नाटका के स्थापना दिवस पर हर साल 1 नवंबर को राज्य में हर जगह जो झंड फहराया जाता है वह लाल और पीले रंग का "कन्नड़ झंडा" है। इस झंडे का निर्माण 1960 के दशक के वीर सेनानी एम ए रामामूर्ति ने किया था। कर्नाटका राज्य का अलग झंडा बनाने के लिए पिछले साल कन्नड़ एवं प्रधान सचिव की अध्यक्षता वाली एक कमेटी का गठन किया गया था। प्रसिद्द कन्नड़ लेखक व पत्रकार पाटिल पुटप्पा और समाजसेवी भीमप्पा गुंडप्पा गडपा ने सरकार को एक ज्ञापन सौंप कर एक अलग झंडा डिजाईन करवाने का अनुरोध किया था। जिसके बाद इस समिति का गठन किया गया था। बता दें इस ध्वज को केंद्र अनुमति मिलने पर अब भी संशय बरकरार है।

BJP दुविधा में
बता दें कि इस झंडे के जारी होने के बाद से BJP दुविधा में नजर आ रही है। बता दें कि कर्नाटक के आगामी विधानसभा चुनावों में अब बस 4 माह का समय शेष बचा है। ऐसे में पार्टी को यह समझ में नहीं आ रहा है कि वह करे तो क्या करे। बता दें कि अगर BJP इस झंडे का समर्थ करती है तो यह राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सिद्धांत "एक राष्ट्र, एक ध्वज" का विरोध होगा। वहीं दूसरी तरफ अगर BJP अगर इस झंडे का विरोध करती है तो उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। बता दें कि कर्नाटका में असल मुकाबला BJP और कांग्रेस के बीच में है, लेकिन चुनवी विश्लेषकों के मुताबिक जनता दल सेक्युलर भी इस बार चुनावी लड़ाई में बड़ी पार्टी है।

Created On :   8 March 2018 6:54 PM IST

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