मैं नहीं चाहता 24 घंटे में फैसला पलटे, नहीं करूंगा सुनवाई : जस्टिस चेलामेश्वर

Justice Chelameswar refuses to hear plea on allocation of work in Supreme Court
मैं नहीं चाहता 24 घंटे में फैसला पलटे, नहीं करूंगा सुनवाई : जस्टिस चेलामेश्वर
मैं नहीं चाहता 24 घंटे में फैसला पलटे, नहीं करूंगा सुनवाई : जस्टिस चेलामेश्वर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के मास्टर ऑफ रोस्टर के खिलाफ दाखिल की गई सीनियर एडवोकेट शांति भूषण की पिटीशन पर जस्टिस चेलामेश्वर ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस के बाद सबसे सीनियर जज जस्टिस चेलामेश्वर ने गुरुवार को कहा कि वो CJI के मास्टर ऑफ रोस्टर के खिलाफ दाखिल पिटीशन पर सुनवाई नहीं करेंगे, क्योंकि वो नहीं चाहते कि इस पर दिया फैसला 24 घंटे में ही पलट दिया जाए। बता दें कि शांति भूषण ने अपनी पिटीशन में कहा था कि CJI के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है, जिसके तहत वो केस को अपनी पसंदीदा बेंच या जज को ट्रांसफर कर सकें। 

जस्टिस चेलामेश्वर ने क्या कहा?

दरअसल, पूर्व कानून मंत्री और सीनियर एडवोकेट शांति भूषण ने एक पिटीशन दाखिल कर CJI के मास्टर ऑफ रोस्टर पर सवाल उठाए थे। उन्होंने जस्टिस चेलामेश्वर से इस मामले पर सुनवाई करने की मांग की थी। इस पर गुरुवार को जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा कि "मैं नहीं चाहता कि मेरा दिया फैसला 24 घंटे में पलट दिया जाए। मेरे रिटायरमेंट में अब दो महीने ही बचे हैं। आगे देश खुद ही इस पर फैसला करेगा। मेरे लिए कहा जा रहा है कि मैं ये सब किसी ऑफिस के लिए कर रहा हूं। अगर किसी को चिंता नहीं है तो मैं भी नहीं करूंगा। देश के इतिहास को देखते हुए, मैं इस मामले को नहीं सुनूंगा।"

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शांति भूषण ने पिटीशन में क्या कहा था?

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शांति भूषण ने अपनी पिटीशन में कहा है कि "मास्टर ऑफ रोस्टर" या चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पास ऐसे पॉवर नहीं हो सकते, जिन्हें वो जजों को केस आवंटित करने वक्त मनमाने तरीके से इस्तेमाल करें। इसके लिए CJI अकेले फैसला नहीं ले सकते, उन्हें सीनियर जजों से सलाह लेना चाहिए।

- इस पिटीशन पूछा गया है कि क्या सुप्रीम कोर्ट रूल-2013 और हैंडबुक ऑन प्रैक्टिस एंड प्रोसीजर ऑफ ऑफिस प्रोसीजर के नियमों के तहत चीफ जस्टिस और रजिस्ट्राल केसों को आवंटित कर रहे हैं। क्या इस प्रोसेस में CJI को 5 जजों के कॉलेजियम से बदला जा सकता है।

- इस पिटीशन में शांति भूषण ने केसों के आवंटन के लिए सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार और CJI के तरफ से दिए जाने वाले निर्देशों की भी जानकारी मांगी है। उन्होंने पूछा है कि क्या केसों की गंभीरता को देखते हुए इसके लिए सीनियर जजों से कोई राय ली जाती है?

- शांति भूषण ने अपनी पिटीशन में कहा कि आजकर राजनीतिक तौर पर कुछ संवेदनशील केसों और इनमें शामिल सत्तारूढ़ नेताओं और विपक्षी नेताओं से जुड़े केस खास जजों की बेंचों के पास सुनवाई के लिए भेजे जा रहे हैं। इससे ज्यूडीशियल सिस्टम पर असर पड़ रहा है।

- उन्होंने कहा कि ऐसी परंपरा ज्यूडीशियल सिस्टम की स्वतंत्रता पर खतरा है। किसी केस को अपनी पसंदीदा बेंच को ट्रांसफर करने से कोर्ट प्रोसिडिंग पर सवाल उठेंगे।

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इससे पहले बुधवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस एएम खानविलकर की बेंच ने एक पिटीशन को खारिज करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ही सबसे ऊपर हैं और उनपर अविश्वास नहीं जताया जा सकता। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में केसों के बंटवारे को लेकर कुछ गाइडलाइंस तय करने की मांग को लेकर कोर्ट में एडवोकेट अशोक पांडे ने पिटीशन दाखिल की थी। इस पिटीशन को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि "भारत के चीफ जस्टिस सर्वोच्च संवैधानिक पदाधिकारी हैं। संविधान के तहत सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही चलाने के लिए CJI के कामों को लेकर अविश्वास नहीं किया जा सकता। आर्टिकल 146 में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को संस्थान का मुखिया बताया गया है। इसके तहत केसों के बंटवारे और बेंचों के गठन पर उनका विशेष अधिकार होता है।"
 

Created On :   12 April 2018 12:34 PM IST

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