जानिए हरिवंश नारायण सिंह का पत्रकारिता से राज्यसभा तक का सफर
- 30 जून 1956 को यूपी के बलिया जिले में जन्म हुआ था।
- काशी हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक किया और पत्रकारिता में डिग्री हासिल की।
- हरिवंश नारायण सिंह एनडीए की तरफ से राज्यसभा के उपसभापति बने।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के रहने वाले हरिवंश नारायण सिंह गुरुवार को राज्यसभा के उपसभापति बन गए हैं। पत्रकारिता की पृष्ठभूमि वाले एनडीए उम्मीदवार हरिवंश नारायण ने 125 वोट हासिल कर कांग्रेस उम्मीदवार बीके हरिप्रसाद को हराकर इस पद पर आसीन हुए हैं। आइए जानते हैं वर्षों से पत्रकारिता जगत में अपना योगदान देने वाले हरिवंश नारायण सिंह ने संसद के उच्च सदन तक का सफर कैसे तय किया।
BHU से पत्रकारिता की पढ़ाई की
हरिवंश नारायण सिंह का जन्म 30 जून 1956 को बलिया के सिताबदियारा गांव में हुआ था। हरिवंश ने अपनी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षा काशी राय स्थित स्कूल से की। 1971 में जेपी इंटर कालेज सेवाश्रम, जयप्रकाशनगर से हाईस्कूल पास करने के बाद वो वाराणसी पहुंचे। वहां यूपी कॉलेज से इंटरमीडिएट और उसके बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से स्नातक किया। यही से पत्रकारिता की डिग्री भी हासिल की।
बैंक में नौकरी के बाद पत्रकारिता में वापसी की
इसके बाद वो टाइम्स समूह की साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग में 1981 तक उप संपादक रहे। 1981-84 तक हैदराबाद और पटना में बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी की। 1984 में उन्होंने फिर से पत्रकारिता में वापसी की और अक्टूबर 1989 तक आनंद बाजार पत्रिका ग्रुप से प्रकाशित "रविवार" साप्ताहिक पत्रिका में सहायक संपादक रहे।
देश के कई संस्थाओं के सदस्य भी रह चुके हैं
वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार हरिवंश जेडीयू के महासचिव भी हैं। हरिवंश नारायण बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के बेहद करीबी हैं। हरिवंश 1990 से 1991 तक प्रधानमंत्री कार्यालय में सहायक सूचना सलाहकार (संयुक्त सचिव) के पद पर रहे। वो वर्ल्ड एडीटर्स फोरम (WEF), एडीटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, एशियाई विकास शोध संस्थान (आद्री), राष्ट्रमंडल मानवाधिकार पहल (CHRI) जैसी कई संस्थाओं के सदस्य भी रहे हैं। जेडीयू ने 2014 में हरिवंश नारायण सिंह को उच्च सदन भेजा था। अप्रैल 2014 में उन्हें राज्यसभा के लिए बिहार से चुना गया था। उनका कार्यकाल अप्रैल 2020 में पूरा होगा। हरिवंश नारायण, जयप्रकाश नारायण से सबसे ज्यादा प्रभावित थे। हरिवंश 1991 में तत्तकालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के भी करीबी रहे।
सरकारी स्कूल के छात्र थे हरिवंश नारायण
हरिवंश नारायण सिंह को शिक्षा देने वाले रिटायर्ड टीचर रामकुमार सिंह ने बताया कि पढ़ाई के दौरान ही हरिवंश बातें कम करते थे, लेकिन किसी भी प्रश्न पर तर्क वितर्क जरूर करते थे। जिससे यह विश्वास था कि हरिवंश अपने क्षेत्र सहित देश का नाम रोशन करेंगे। रामकुमार सिंह ने कहा वह सरकारी स्कूल के छात्र थे। इससे आज के युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए।
स्कूल में होनहार छात्र के रूप में जाने जाते थे हरिवंश
वहीं हाईस्कूल में मैथ्स के रिटार्यड शिक्षक सुरेश कुमार गिरि ने बड़े गर्व से कहा हरिवंश को गणित की शिक्षा हमने दी थी। उस समय भी हरिवंश क्लास में आगे बैठकर गम्भीरता से पढ़ाई करते थे और होनहार छात्र के रूप रहे। आज भी वो गांव पहुंचते ही अपने गुरुजनों के पास पहुंच जाते हैं।
Created On :   9 Aug 2018 3:08 PM IST