CBI VS CBI: क्या है विवाद, सिलसिलेवार समझिए पूरी कहानी
- इतिहास में पहली बार सीबीआई के अधिकारियों के खिलाफ ही सीबीआई की कार्रवाई
- एम नागेश्वर को सीबीआई का अंतरिम डायरेक्टर बना दिया गया है
- डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई इस वक्त खुद कटघरे में है। इस मामले की जांच भी सीबीआई के पास ही है। करोड़ों रुपए की रिश्वत के आरोप लगने के बाद डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया है। अब तक सीबीआई में जॉइंट डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाल रहे एम नागेश्वर को सीबीआई का अंतरिम डायरेक्टर बना दिया गया है। आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के ऑफिसों को सील कर दिया गया है। सीबीआई मुख्यालय में सीबीआई के कर्मचारियों तक को जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है। अधिकारियों की एक टीम सीबीआई की बिल्डिंग में मौजूद है। इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है, जब सीबीआई ने सीबीआई के अधिकारियों के खिलाफ ही कार्रवाई की है। यह पहली बार नहीं है, जब आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना की लड़ाई सामने आई है, बल्कि इससे पहले भी दोनों की तकरार प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच चुकी है, हालांकि कोर्ट तक मामला पहुंचने का यह पहला मामला है। दोनों को प्रधानमंत्री तक तलब कर चुके हैं।
अब तक का पहला मामला
राकेश अस्थाना के खिलाफ सीबीआई ने 15 अक्टूबर को के दर्ज किया था। दरअसल, 1984 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस राकेश अस्थाना पर आरोप है कि उन्होंने एक कारोबारी मनोज से 2 करोड़ रुपए रिश्वत ली है।मनोज मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले के तहत जांच के दायरे में है। उसने ये पैसे उन्हें जांच प्रभावित करने के लिए दिए थे। बता दें कि मोईन कुरैशी के मामले में फंसने वाले मनोड की जांच अस्थाना की अगुवाई में विशेष जांच दल (एसाईटी) कर रही थी। बिचौलिए मनोज की गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने इस मामने में एफआईआर दर्ज कर ली थी। मोईन कुरैशी पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है।
आरोप, पांच टुकड़ों में ली रिश्वत
सीबीआई के मुताबिक हैदराबाद के सतीश बाबू साना की ने रिश्वत लेने की शिकायत की थी, उसने राकेश अस्थाना, देवेंद्र, मनोज प्रसाद और सोमेश्वर प्रसाद के खिलाफ 15 अक्टूबर को एक एफआईआर दर्ज कराई थी। सीबीआई के मुताबिक दिसंबर 2017 से अक्टूबर 2018 के बीच तकरीबन 5 बार रिश्वत ली गई। इस मामले में एफआईआर 15 अक्टूबर को दर्ज की गई थी, जबकि पहली गिरफ्तारी 22 अक्टूबर को की गई। इसके बाद सीबीआई ने पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार कर लिया था, देवेंद्र फिलाहल 7 दिनों की सीबीआई हिरासत में है।
हाईकोर्ट पहुंचे अस्थाना
बता दें कि भ्रष्टाचार का आरोप झेल रहे राकेश अस्थान और देवेंद्र कुमार मंगलवार को हाईकोर्ट पहुंचे थे। कोर्ट से राकेश को थोड़ी राहत मिली थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच में यथास्थिति बनी रहे। अस्थाना को गिरफ्तारी से सोमवार तक अंतरिम राहत दी गई थी। इस मामले में अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी।
एफआईआर दर्ज करने में जल्दबाजी?
इस बीच सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना का आरोप है कि एजेंसी प्रमुख आलोक कुमार वर्मा ने उन्हें फंसाने की कोशिश की है। अस्थाना का आरोप है कि एफआईआर दर्ज करने में जल्दबाजी की गई है। एक आरोपी सना के फर्जी आरोपों के बिनाह पर सीबीआई ने अपने ही अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। अस्थाना ने आरोप लगाया है कि अपराध को छिपाने के लिए उन्हें झूठा फंसाया जा रहा है।
वर्मा पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा चुके हैं अस्थाना
केस दर्ज होने से पहले अस्थाना अपने बॉस आलोक वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगा चुके हैं। अस्थाना का दावा है कि उन्होंने 24 अगस्त को कैबिनेट सचिव को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचाक के 10 मामले गिनाए थे। इस पत्र में यह आरोप भी लगाया गया था कि साना ने क्लीनिचिट के लिए वर्मा को 2 करोड़ रुपए की रिश्वत दी है। ये शिकायत केंद्रीय शतर्कता आयोग को ट्रांसफर कर दी गई, जिसकी जांच की जा रही है, हालांकि सीबीआई ने आलोक वर्मा का बचाव करते हुए कहा कि अस्थाना के आरोप दुर्भावनापूर्ण हैं।
पहले भी सामने आ चुकी है अंदरूनी कलह
इससे पहले सीबीआई के अंदर चल रही लड़ाई जुलाई में सामने आई थी। तब एक अंग्रेजी अखबर ने पोस्टिंग को लेकर चल रही खेमेबाजी पर खबर प्रकाशित की थी। अस्थाना खेमे खेमे ने वर्मा खेमे के अधिकारियों की पोस्टिंग नहीं होने दी। इसके बाद निदेशक आलोक वर्मा ने अस्थाना के खास लोगों को सीबीआई में एक्सटेंशन नहीं दिया था। सीबीआई ने मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) को पत्र लिखकर कहा था कि अस्थाना आलोक वर्मा की जगह लेने के काबिल नहीं हैं। बता दें कि सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों में सीवीसी की हरी झंडी के बाद ही नियुक्तियां की जाती हैं।
दो महीने बाद रिटायर हो जाएंगे वर्मा
सीबीआई के मौजूदा निदेशक आलोक वर्मा जनवरी 2019 में रिटायर होने वाले हैं। वो 1979 बैच के उत्तर प्रदेश काडर के आईपीएस अधिकारी हैं। सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना वर्मा के बाद सीबीआई प्रमुख बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं। गुजरात कैडर के 1984 बैच के अधिकारी राकेश अस्थाना 2021 में रिटायर होंगे।
Created On :   24 Oct 2018 3:47 PM IST