सत्ता के लिए कुमारस्वामी ने की थी कभी अपने पिता से बगावत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एचडी कुमारस्वामी दूसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन गए हैं। बुधवार को राज्यपाल वजुभाई वाला ने कुमारस्वामी को CM पद की शपथ दिलाई। कांग्रेस के जी. परमेश्वर ने उप-मुख्यमंत्री की शपथ ली। कुमारस्वामी कर्नाटक की राजनीति के बेहद आक्रामक नेताओं में गिने जाते हैं। बेहद कम लोग इस बात को जानते हैं कि कुमारस्वामी राजनीति में आने से पहले एक फिल्म निर्माता और वितरक थे। हरदनहल्ली देवगौड़ा कुमारस्वामी सन 2006-2007 में कर्नाटक के 18 वें मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वहीं उनके पिता एचडी देवगौड़ा भारत के पूर्व प्रधानमंत्री रहे हैं। अपने समर्थकों के बीच कुमारान्ना के नाम से प्रसिद्ध कुमारस्वामी जनता दल (सेक्युलर) के कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष भी हैं।
पारिवारिक जीवन
एचडी कुमारस्वामी की जन्म 16 दिसंबर 1959 को हुआ था। उनका पहला विवाह 27 साल की उम्र में सन 1986 में अनिता से हुआ था। अनिता कुमारस्वामी से एचडी कुमारस्वामी को एक बेटा भी है, जिसका नाम निखिल गौड़ा है। इसके बाद कुमारस्वामी ने उन्होंने कन्नड़ अभिनेत्री राधिका से दूसरा विवाह किया। राधिका से कुमारस्वामी को एक बेटी है।
इस तरह राजनीति का केंद्र बने कुमारस्वामी
कर्नाटक में कुमारस्वामी कांग्रेस के लिए ट्रंप कार्ड साबित हुए हैं। उनके सहारे ही कांग्रेस राज्य राजनीति में भाजपा को पूर्ण बहुमत में आने से रोक पाई है। विधानसभा चुनाव में भाजपा 104 सीट हासिल कर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन बहुमत के जादूई आंकड़े से वह पीछे रह गई थी। जिसकी वजह से उसकी सरकार नहीं बन पाई। कांग्रेस केवल 78 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। राज्य के पूर्व सीएम सिद्धरमैया एक सीट पर बुरी तरह से हार भी गए। जनतादल एस को 37 सीटों पर जीत हासिल हुई। कांग्रेस के पास कुमारस्वामी का समर्थन करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था।
कूटनीतिक समन्वय में माहिर
हंग असेंबली की स्थिति में कुमारस्वामी राज्य की राजनीति में अचानक बेहद महत्वपूर्ण बन गए। बहरहाल, कांग्रेस के सहयोग से वह दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने कुमारस्वामी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है। राज्य की राजनीति में कांग्रेस जिस तरह जेडीएस पर निर्भर साबित हुई है, उसे देख कर लगता तो यही है कि यह गठबंधन काफी समय तक चलने वाला है। कुमारस्वामी समन्वय में माहिर माने जाते हैं। उन्होंने सीटों के बंटवारे का मसला सुलझा कर यह बात साबित कर दी है।
कभी पिता से की थी बगावत
सन 2004 के विधानसभा चुनाव के बाद जेडीएस और कांग्रेस ने मिलकर कर्नाटक में सरकार बनाई थी। सन 2006 में कुमारस्वामी पार्टी तोड़ दी और राज्य की सत्ता पाने के लिए भाजपा का हाथ थामा लिया था। हालांकि उस वक्त एचडी देवगौड़ा इसके सख्त खिलाफ थे। भाजपा और कुमारस्वामी के बीच में उस वक्त यह तय हुआ था कि दोनों पार्टी के मुख्यमंत्री आधे-आधे समय तक रहेंगे। लेकिन सन 2007 में कुमारस्वामी अपने वायदे से मुकर गए।
भाजपा से रिश्ता टूटा तो गिरी सरकार
वायदे से मुकरने के बाद भाजपा ने सरकार गिरा दी थी। इसके बाद हुए चुनाव में भाजपा ने राज्य में सरकार बनाई। हालिया विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद कुमारस्वामी ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि सन 2006 में भाजपा के साथ जाने के फैसले के बाद उनके पिता के करियर पर काला धब्बा लग गया था। लिहाजा इस बार वह कोई गलती नहीं करते हुए कांग्रेस का साथ देंगे।
कुमारस्वामी का राजनीतिक सफ
कुमारस्वामी ने राजनीति में पहली बार 1996 में कदम रखा था। वह पहली बार 11वीं लोकसभा के लिए कनकपुरा से चुने गए थे। वह तक वे नौ बार चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें से छह बार जीतें है। हालिया विधानसभा चुनाव में कुमारस्वामी ने चन्नापट्टना और रामानगरम विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ा था और दोनों सीटों पर जीते।
इस तरह हुआ जनता दलएस का उदय
सन 1999 में जनता पार्टी से अलग होकर वोक्कालिगा समुदाय के नेता एचडी देवेगौड़ा ने जनता दल सेक्युलर की नींव रखी थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व सीएम सिद्धरमैया भी कभी जनता दलएस का ही हिस्सा हुआ करते थे। वह एचडी देवगौड़ा के विश्वासपात्र और करीबी नेताओं में शुमार थे। जब पार्टी की कमान सौंपने की बात आई तो देवगौड़ा ने इसके लिए अपने बेटे को चुना। देवेगौड़ा के इस निर्णय से सिद्धारमैया बेहद खफा हो गए। देवेगौड़ा के इस निर्णय से खफा हो कर सिद्धरमैया ने जदएस छोड़ कर कांग्रेस की राह पकड़ी थी।
Created On :   23 May 2018 12:39 PM IST