117 विधायकों के समर्थन के साथ कुमारस्वामी ने साबित किया बहुमत

117 विधायकों के समर्थन के साथ कुमारस्वामी ने साबित किया बहुमत

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटक के नवनियुक्त सीएम एच.डी. कुमारस्वामी फ्लोर टेस्ट यानी बहुमत परीक्षण की अग्निपरीक्षा में कामयाब हो गए हैं। कुमारस्वामी सरकार के पक्ष में 117 विधायकों के वोट पड़े, जो बहुमत के लिए जरूरी 112 विधायकों से ज्यादा है। फ्लोर टेस्ट से पहले बीजेपी ने सदन से वॉक आउट कर दिया, साथ ही चेतावनी दी कि अगर कुमारस्वामी सरकार ने किसानों का कर्जा माफ नहीं किया तो 28 मई को प्रदेशव्यापी बंद किया जाएगा। सुबह कांग्रेस के रमेश कुमार निर्विरोध स्पीकर निर्वाचित हो गए थे।

 

3.46 PM : कुमारस्वामी सरकार ने साबित किया बहुमत।

 

 

 

 

3.24 PM : फ्लोर टेस्ट से पहले बीजेपी ने सदन से वॉक आउट किया। बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि अगर सीएम कुमारस्वामी ने किसानों का कर्ज माफ नहीं किया तो हम 28 मई को प्रदेश व्यापी बंद करेंगे।

 

 

 

1.57 PM : मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने सदन में बहुमत प्रस्ताव रखा।

 

 

 

12.41 PM : स्पीकर के लिए बीजेपी उम्मीदवार ने वापस लिया नामांकन

 

कांग्रेस के रमेश कुमार निर्विरोध स्पीकर निर्वाचित हो गए हैं। हालांकि बीजेपी ने भी विधायक सुरेश कुमार के तौर पर अपना उम्मीदवार उतारा था, लेकिन उन्होंने आखिरी वक्त में नामांकन वापस ले लिया। 

 

 

 

 

12.27 PM : कांग्रेस के रमेश कुमार विधानसभा स्पीकर निर्वाचित

 

 

 

12.18 PM : फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा का दृश्य, सिद्धारमैया और येदियुरप्पा भी मौजूद।

 

 

 

12.08 PM : विधानसभा में जारी है कांग्रेस विधायक दल की बैठक

 

 

11.03 AM : कांग्रेस विधायक विधानसभा पहुंचे

 

 

 

 



सिद्धारमैया बोले हमारी जीत तय 


कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गठबंधन उम्मीदवार की जीत का पूरा विश्वास जताया। कांग्रेस के 78 विधायक हैं, जबकि कुमारस्वामी की जद (एस) के 36 और बसपा का एक विधायक हैं। गठबंधन ने केपीजेपी के एकमात्र विधायक और एक निर्दलीय विधायक के समर्थन का भी दावा किया है। ज्ञात हो कि कुमारस्वामी ने दो सीटों चन्नापट्टना और रामानगरम विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा के बी एस येदियुरप्पा ने 17 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी लेकिन सदन में विश्वास मत हासिल करने से पहले ही उन्होंने इस्तीफा देने की घोषणा कर दी थी। 



भाजपा दोहरा सकती है "आपरेशन कमल" 


शपथ लेने के बाद कुमारस्वामी ने विश्वास मत हासिल किए जाने के बारे में विश्वास जताया था, लेकिन उन्होंने आशंका भी जताई थी कि उनकी सरकार को गिराने के लिए भाजपा "ऑपरेशन कमल" दोहराने का प्रयास कर सकती है। बता दें कि "आपरेशन कमल"  या "ऑपरेशन लोटस" नाम के शब्द 2008 में उस वक्त इस्तेमाल किए गए थे, जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी एस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद संभाला था। पार्टी को साधारण बहुमत के लिए तीन विधायकों की दरकार थी। ऑपरेशन कमल के तहत कांग्रेस और जद एस के कुछ विधायकों को भाजपा में शामिल होने के लिए राजी किया गया था। उनसे कहा गया था कि वे विधानसभा की अपनी सदस्यता छोड़कर फिर से चुनाव लड़ें। उनके इस्तीफे की वजह से विश्वास मत के दौरान जीत के लिए जरूरी संख्या कम हो गई थी और फिर येदियुरप्पा विश्वास मत जीत गए थे।

  

नहीं टूटेंगे हमारे विधायक, परमेश्वर ने किया दावा 


कांग्रेस के डिप्टी सीएम परमेश्वर ने कहा कि हमारी सीटों की संख्या कम रही है, लेकिन हमारा वोट प्रतिशत बीजेपी से बेहतर है। यह दर्शाता है कि कांग्रेस की कर्नाटक में अब भी मजबूत पकड़ है। हमने जेडीएस के साथ अच्छी सरकार देने के मकसद से ही गठबंधन किया है। उन्होंने कहा कि सीएम कुमारस्वामी पहले ही कह चुके हैं कि हम मिलकर काम करेंगे। बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए हम इस गठबंधन को नहीं टूटने देंगे। क्योंकि पिछली बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार युक्त रही है। उन्होंने कहा कि हमने पांच साल तक चलने वाली स्थिर सरकार दी। साथ ही उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गों का उत्थान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गठबंधन में शामिल दोनों पार्टियों के अलग-अलग लक्ष्य हैं। हम उन मुद्दों पर फोकस करेंगे जो दोनों पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण हों। कैबिनेट में किसे कौन पद मिलेगा, इसका फैसला शुक्रवार को होने वाले फ्लोर टेस्ट के बाद होगा। हमें पूरा भरोसा है कि हम फ्लोर टेस्ट में पूर्ण बहुमत से पास होंगे, हमारे विधायक नहीं टूटेंगे। 



क्या होता है फ्लोर टेस्ट 


राज्य में सत्तारुढ़ बीजेपी की सरकार को अब बहुमत साबित करना होगा। अमूमन राज्यपाल राज्य में सरकार बनाने वाली पार्टी को बहुमत साबित करने की बात तब कहते हैं जब उन्हें पता हो कि सरकार बनाने वाली पार्टी के पास पर्याप्त बहुमत नहीं है। फ्लोर टेस्ट के जरिए यह फैसला लिया जाता है कि वर्तमान सरकार या मुख्यमंत्री के पास पर्याप्त बहुमत है या नहीं। चुने हुए विधायक अपने मत के जरिए सरकार के भविष्य का फैसला करते हैं। फ्लोर टेस्ट सदन की एकदम पारदर्शी प्रक्रिया है। इसमें राज्यपाल का कोई हस्तक्षेप नहीं होता। सत्तारुढ़ दल के लिए जरूरी है कि वह वह फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करे। ज्ञात हो कि कर्नाटक में 222 सीटों के लिए हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। कर्नाटक में चले राजनीतिक घटनाक्रम में पहले राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा को सीएम पद की शपथ दिलाई थी।जिन्होंने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कांग्रेस के 78, जेडीएस के 37 विधायकों और बसपा के 1 विधायक समर्थन से एचडी कुमारस्वामी ने बुधवार को सीएम पद की शपथ ली थी। 
 

Created On :   25 May 2018 3:29 AM GMT

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