महाराष्ट्र के टैक्सी-ऑटो ड्राइवर यात्रियों को लेकर यूपी, बिहार के लिए निकले

Maharashtras taxi-auto drivers set out for UP, Bihar with passengers
महाराष्ट्र के टैक्सी-ऑटो ड्राइवर यात्रियों को लेकर यूपी, बिहार के लिए निकले
महाराष्ट्र के टैक्सी-ऑटो ड्राइवर यात्रियों को लेकर यूपी, बिहार के लिए निकले

मुंबई, 15 मई (आईएएनएस)। कोई ट्रेन नहीं, कोई बस नहीं, कोई उड़ान नहीं, लेकिन मुंबई के ऑटो, कैब, टैक्सी चालकों का हौसला पस्त नहीं हुआ है।

पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से, जिनके पास खुद का ऑटो-रिक्शा या टैक्सी है, वे मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) से बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और मध्यप्रदेश या हरियाणा में अपने गांवों जाने के लिए रवाना हुए हैं।

जहां परिवार के साथ रवाना हुए अधिकांश लोगों में मालिक-चालक हैं, वहीं अन्य प्रवासी है जो परिवार चलाने के लिए यहां ड्राइवर का काम करते हैं और कुछ अवसरवादी हैं जो अपने गांव-घर पहुंचने के लिए बेताब यात्रियों से पैसे लेकर उन्हें गंतव्य तक पहुंचा रहे हैं।

बॉम्बे टैक्सीमेन यूनियन (बीटीयू) के अध्यक्ष ए.एल. क्वाड्रोस ने आईएएनएस को बताया, हां, यह सच है, लेकिन जो आंकड़े हैं, वे बढ़ाचढ़ाकर पेश किए गए हैं। हमारे अनुमान के अनुसार, लगभग 3,000-4,000 ऑटोरिक्शा और करीब 1,000 टैक्सियां यहां से रवाना हुई हैं। लेकिन, वे सभी अवैध रूप से चले गए हैं और दुर्घटना या स्थानीय कानून प्रवर्तन अधिकारियों के साथ विवाद होने पर अड़चन का सामना कर सकते हैं।

हालांकि, उनके सहयोगी के के तिवारी, जो स्वाभिमानी टैक्सी-रिक्शा यूनियन (एसटीआरयू) के अध्यक्ष हैं, उन्होंने दावा किया कि 30,000 से अधिक ऑटोरिक्शा और 6,000 से अधिक टैक्सियों ने महाराष्ट्र छोड़ दिया है, और यह आंकड़ा रोजाना बढ़ रहा है।

तिवारी ने आईएएनएस को बताया, वे अपने निकट और प्रिय लोगों से मिलने के लिए बेताब हैं, वे यहां मुश्किल समय का सामना कर रहे हैं, बचत समाप्त हो गई है .. इसलिए, उन्होंने 1,250 किलोमीटर-2,250 किलोमीटर के बीच किसी भी जगह की लंबी यात्रा करने का फैसला किया है, यह इस पर निर्भर करता है कि वे कहां रहते हैं।

मुंबई ऑटोरिक्शा टैक्सीमेन यूनियन (एमएटीयू) के अध्यक्ष शशांक राव ने अनुमान लगाया कि संभवत: 6,000 ऑटो और करीब 2,000 टैक्सियों ने कोविड-19 के डर के कारण अस्थायी तौर पर महाराष्ट्र छोड़ दिया है।

राव ने आईएएनएस को बताया, यह चलन एक सप्ताह पहले शुरू हुई। अधिकांश लोग अपने परिवारों को छोड़ने और महाराष्ट्र में चीजें सामान्य होने के बाद फिर लौटकर आने के लिए जा रहे हैं।

क्वाड्रोस, तिवारी और राव स्वीकार करते हैं कि इन ऑटो-टैक्सी चालकों के लिए दूसरे राज्यों में महाराष्ट्र परमिट पर जीवन यापन करना मुश्किल होगा, क्योंकि परमिटों को हस्तांतरित करने की जरूरत है या यह बस जब्त कर लिया जाएगा।

क्वाड्रोस के अनुसार, महाराष्ट्र में लगभग 12,00,000 ऑटोरिक्शा हैं, जिनमें 200,000 मुंबई के शामिल हैं, इसके अलावा देशभर में 1.20 करोड़ ऑटोरिक्शा हैं।

तिवारी ने कहा कि ऑटो-चालकों को रास्ते में तेल भराने के लिए हर 50-60 किलोमीटर पर वाहन को रोकना पड़ता है, लेकिन एकल चालक के साथ प्रतिदिन लगभग 400 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है, जबकि टैक्सी 600 किलोमीटर के आसपास कवर कर सकती हैं।

तिवारी ने कहा, सौभाग्य से, वे जहां से भी गुजरते हैं, स्थानीय कैब चालक हमारे लोगों पुरुषों का स्वागत करते हैं, उनके भोजन, आश्रय और स्नान आदि के लिए बुनियादी व्यवस्था करते हैं। कई लोग 3-4 दिनों की यात्रा के बाद सुरक्षित रूप से अपने घरों में पहुंच चुके हैं।

राव ने कहा कि भले ही ये चालक फिलहाल महाराष्ट्र से मुंह मोड़ चुके हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश बाद में लौट आएंगे, क्योंकि उनके बच्चों की शिक्षा यहां चल रही है, और कुछ ने यहां घर खरीदा या उनमें निवेश किया है।

दिलचस्प बात यह है कि राज्य छोड़ने वालों में से अधिकांश उत्तर प्रदेश से हैं, इसके बाद बिहार, झारखंड से और मध्यप्रदेश, हरियाणा या अन्य राज्यों से बहुत कम संख्या में हैं, जिन्होंने यहां ऑटो-टैक्सी चलाकर जीवनयापन किया।

तीन यूनियनों के अनुमान के अनुसार, एक-तरफा अंतर-राज्यीय यात्रा के कारण ऑटो-टैक्सी की संख्या का लगभग 20 प्रतिशत कम हो गई है।

एमएमआर में आने वाले मुंबई, ठाणे, पालघर और रायगढ़ की 2.50 करोड़ से अधिक की आबादी है, जो ज्यादातर उपनगरीय रेलवे, बस, ऑटो और टैक्सियों जैसे सार्वजनिक परिवहन पर निर्भर है।

कांदिवली उपनगर के एक टैक्सी-चालक मनोज सिंह दुबे ने अपनी पत्नी और तीन बच्चों और अपने अधिकांश सामानों के साथ उत्तर प्रदेश के बदायूं के लिए लगभग तीन दिन और करीब 2000 किलोमीटर की दूरी तय की और ऐसा संकेत दिया कि महाराष्ट्र में वापस नहीं लौटे, जहां उन्होंने 15 साल से अधिक जीवनयापन किया है।

दुबे ने उत्तर प्रदेश स्थित अपने घर से आईएएनएस को फोन पर बताया, उम्मीदें कम हो रही हैं .. मेरा बड़ा बेटा 5वीं कक्षा में है, दोनों बेटियां प्राथमिक कक्षा में हैं, इसलिए हम आसानी से अपने स्थानीय यूपी के स्कूलों में दाखिला दिला सकते हैं। मैंने अकेले तीन शिफ्टों में टैक्सी चलाने के साथ तीन परिवारों को घर वापसी में सहयोग दिया है। अब मुझे नहीं पता कि हमारे लिए क्या है।

Created On :   15 May 2020 8:31 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story