महात्मा गांधी हत्या की नहीं होगी दोबारा जांच, SC ने ख़ारिज की याचिका
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायलय ने लगभग 6 महीनों की सुनवाई के बाद महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। बता दें अभिनव भारत ट्रस्ट के शोधार्थी और ट्रस्टी पंकज फडनिस ने महात्मा गांधी हत्याकांड की दोबारा जांच कराने के लिए SC में याचिका दायर की थी। इस याचिका में महात्मा गांधी की हत्या के पीछे फोर बुलेट की थ्योरी दी गई थी। याचिकाकर्ता पंकज के मुताबिक यह दावा किया गया था कि महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे द्वारा चलाई गई तीन गोलियों से नहीं हुई थी। बल्कि उनकी मौत उस चौथी गोली से हुई थी जो किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा चलाई गई थी। पंकज के द्वारा याचिका में कुछ सवाल मुख्य रुप से उठाए गए थे। याचिका में दावा किया गया था कि गांधी जी की हत्या की फाइल फिर से खुलेगी तो उनकी हत्या की साजिश का बड़ा खुलासा हो सकता है।
70 साल पुराने मामले को खोलने की जरूरत नहीं है
याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि सालों पहले हुए किसी मामले को फिर से खोलने का कोई अधिकार नहीं बनता है। शीर्ष अदालत ने इस हत्याकाण्ड की जांच नये सिरे से कराने के लिये दायर याचिका पर छह मार्च को सुनवाई पूरी कर ली थी। बता दें सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व सॉलिसिटर जनरल अमरेंद्र शरण को इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त किया था। जिन्होंने जनवरी में अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि इस केस की दोबारा जांच कराने का कोई औचित्य नहीं बनता है। सुनवाई के दौरान जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस नागेश्वर राव की बेंच ने कहा, ‘यह याचिका अकादमिक शोध पर आधारित है, जो 70 साल पुराने मामले में दोबारा खोलने के लिए जरूरी आधार नहीं दे सकी है।’
क्या है "अभिनव भारत" ?
जिस ट्रस्ट की ओर से इस याचिका को दायर किया गया था वह अभिनव भारत ट्रस्ट के नाम से जाना जाता है, जिसकी स्थापना 2001 में की गई थी। इसे वीर सावरकर से प्रेरित होकर स्थापित किया गया था। माना जाता है कि वीर सावरकर और गांधी की आपस में बनती नहीं थी। साथ ही वे अखण्ड भारत के पक्ष में भी थे। उन्हें कट्टर हिंदुवादी के रुप में भी जाना जाता था।
महात्मा गांधी की हत्या?
गौरतलब है कि, महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में गोली मारकर की गई थी। रोजाना की तरह वो शाम को जब वो प्रार्थना के लिए जा रहे थे, तभी नाथूराम गोडसे ने पहले उनके पैर छुए और फिर सामने से उन पर तीन गोलियां दाग दीं थी।गौरतलब है कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद दो दोषियों को 15 नवंबर 1949 के दिन फांसी दे दी गई थी।
Created On :   28 March 2018 6:30 PM IST