ममता की रणनीति : BJP के बागी नेताओं से करेंगी मुलाकात, 2019 की है तैयारी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए गोलबंदी करने में जुटी वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) चीफ ममता बनर्जी बुधवार को बीजेपी के बागी नेताओं से मुलाकात करेंगी। बताया जा रहा है कि ममता बीजेपी के जिन नेताओं से मुलाकात करने वाली हैं, उनमें यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और शत्रुघ्न सिन्हा का नाम शामिल है। 4 दिन के दौरे पर दिल्ली पहुंचीं ममता बनर्जी का आज तीसरा दिन है। दूसरे दिन ममता ने विपक्षी पार्टियों के कई बड़े नेताओं से मुलाकात की थी।
यशवंत, शत्रुघ्न और शौरी ही क्यों?
- ममता बनर्जी बुधवार को बीजेपी के बागी नेताओं से मिलने वाली हैं। उनमें यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा और अरुण शौरी का नाम शामिल हैं। ये तीनों ही नेता बीजेपी में बड़ा कद रखते हैं, साथ ही हर मुद्दे पर इनकी राय बीजेपी से अलग ही होती है।
- शॉटगन के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा की बगावत किसी से छिपी नहीं है। नोटबंदी हो, जीएसटी हो या बैंक घोटाला, शत्रुघ्न ने हर मुद्दे पर सरकार को घेरा है। इसके अलावा हाल ही में शत्रुघ्न सिन्हा ने लालू प्रसाद यादव के परिवार से मुलाकात भी की है। इतना ही नहीं वो विरोधी पार्टियों के नेताओं की तारीफ करने का मौका भी नहीं छोड़ते हैं।
- यशवंत सिन्हा का नाम एक समय बीजेपी के बड़े नेताओं में गिना जाता था, लेकिन 2014 के बाद से वो हाशिए पर चले गए हैं। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कई फैसलों का खुलकर विरोध किया। जब मोदी सरकार ने 100% FDI को मंजूरी दी थी, तो सिन्हा ने कहा था कि बीजेपी ने कांग्रेस की जिन नीतियों का विरोध किया, अब उन्हीं को लागू कर रही है। इसके अलावा यशवंत सिन्हा अरुण जेटली को वित्त मंत्री बनाए जाने का भी विरोध करते रहे हैं।
- वहीं अरुण शौरी भी 1998-2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वो भी हाशिए पर चले गए हैं। अरुण शौरी कई बार विपक्षी पार्टियों के एक होने की वकालत कर चुके हैं। एक बार तो उन्होंने ये भी कहा था कि 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को हराने के लिए हर सीट पर एक कैंडिडेट होना चाहिए।
क्या है इसके पीछे सियासी मायने?
- जानकारों की मानें तो ममता बनर्जी उसी रणनीति पर काम कर रही है, जिस पर बीजेपी काम करती है। जैसे बीजेपी दूसरी पार्टियों के नेताओं को अपने में शामिल करती है, ठीक उसी तरह ममता बीजेपी के बागी नेताओं को अपने में मिलाना चाहती हैं।
- ममता चाहती हैं कि बीजेपी को घेरने के लिए बाहर के नेताओं से अच्छा है कि उसी की पार्टी के नेता हों। इसीलिए ममता ने यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे नेताओं से मुलाकात करेंगी और उन्हें अपने साथ लेने के लिए मनाएंगी।
- बीजेपी विरोधी पार्टियों के नेताओं को अपने में शामिल कर विपक्ष को कमजोर करने की कोशिश करती है और अब ममता बीजेपी के इन्हीं बागी नेताओं के जरिए बीजेपी को कमजोर करने की कोशिश में जुटी हुई हैं।
- अगर ममता बीजेपी के बागी नेताओं को अपने खेमे में शामिल करने में कामयाब हो जाती हैं, तो इससे बीजेपी की छवि को नुकसान होगा। इससे जहां एक तरफ बीजेपी कमजोर होगी, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष की ताकत बढ़ेगी।
- पिछले दिनों ममता ने तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव के थर्ड फ्रंट बनाने की बात का समर्थन किया था और उनसे मुलाकात भी की थी। ममता चाहती हैं कि अगर थर्ड फ्रंट बनता है तो उसकी नेता वो ही बनें। विपक्ष को एकजुट करने का श्रेय ममता लेना चाहती हैं। ममता अगले चुनावों तक एक बड़ी ताकत बनकर उभरने की कोशिश में हैं।
- अगर ममता विपक्षी नेताओं को एकजुट करने में कामयाब हो जाती हैं और थर्ड फ्रंट बनता है तो इससे संदेश जाएगा कि जो काम सोनिया गांधी और शरद पवार जैसे बड़े नेता नहीं कर पाए, वो काम ममता ने कर दिखाया। इसके साथ ही इसमें कोई दो राय नहीं कि अगर विपक्षी नेता ममता के नेतृत्व में एक होते हैं, तो थर्ड फ्रंट में ममता की ही चलेगी।
अखिलेश-मायावती से भी मिल सकती हैं
समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायवती से भी ममता बनर्जी मुलाकात कर सकती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ममता बनर्जी ने कहा है कि अगर अखिलेश यादव और मायावती उन्हें मिलने के लिए बुलाते हैं तो वो उनसे मिलने जरूर जाएंगी। हाल ही में गोरखपुर-फूलपुर लोकसभा उपचुनावों में अखिलेश-मायावती साथ आए हैं और दोनों ही नेता अगले चुनावों के लिए गठबंधन बनाने को तवज्जो दे रहे हैं। अगर अखिलेश-मायावती का साथ ममता को मिल जाता है, तो उत्तर प्रदेश में बीजेपी को काफी नुकसान होगा। एसपी-बीएसपी के साथ होने का खामियाजा बीजेपी को यूपी उपचुनाव में देखने को मिल गया है। इन दोनों के साथ आने से संदेश गया है कि अगर एक होते हैं तो बीजेपी को आसानी से हराया जा सकता है।
सोनिया गांधी से भी शाम को हो सकती है मुलाकात
इतना ही नहीं ममता बनर्जी यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी से भी मुलाकात कर सकती हैं। भारतीय राजनीति का अगर इतिहास देखा जाए तो बिना कांग्रेस और बीजेपी के थर्ड फ्रंट कभी कामयाब नहीं हो सका है। केंद्र में जब भी थर्ड फ्रंट की सरकार रही है, उसका नेतृत्व बीजेपी या कांग्रेस ने ही किया है। अगर कभी इन दोनों पार्टियों को छोड़कर थर्ड फ्रंट ने सरकार बनाई है तो वो ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकी है। यही कारण है कि भले ही चंद्रशेखर राव गैर-कांग्रेसी और गैर-बीजेपी थर्ड फ्रंट की वकालत कर रहे हों, लेकिन ममता कांग्रेस को साथ लाना चाहती हैं। दिल्ली दौरे के दौरान जब मीडिया ने ममता से सोनिया गांधी से मुलाकात का सवाल किया तो उन्होंने कहा कि "अभी सोनिया गांधी जी की तबियत ठीक नहीं हैं, जब वो सही हो जाएंगी तो मैं उनसे मुलाकात करूंगी।" माना जा रहा है कि बुधवार शाम को ही सोनिया और ममता के बीच मुलाकात हो सकती है।
अब तक 7 पार्टियों से हो चुकी है बातचीत
26 मार्च को ममता बनर्जी दिल्ली पहुंची थी और दो दिनों में उन्होंने 7 विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात की है। ममता बनर्जी ने दिल्ली दौरे में नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल, शिवसेना सांसद संजय राउत, लालू प्रसाद यादव की बेटी और आरजेडी नेता मीसा भारती, तेलगु देशम पार्टी के वाईएस चौधरी, तेलंगाना राष्ट्र समिति की नेता के.कविता, बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा और डीएमके सांसद कनिमोझी से मुलाकात कर चुकी हैं।
Created On :   28 March 2018 10:23 AM IST