दुल्हन को गोद में न उठाएं मामा, बिगड़ सकती है नीयत: दारुल उलूम
- प्रथा से काम-वासना का जताया संदेह
- फिर सुर्खियों में दारुल उलूम देवबंद
- शादी में एक प्रथा बंद करने का फरमान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अपने फतवों को लेकर विवादों में रहने वाली इस्लामी संस्था दारुल उलूम देवबंद फिर एक बार सुर्खियों में है। इस बार दारुल उलूम ने मुस्लिमों की एक प्रथा को बंद करने का फतवा सुनाया है। फतवे ने दारुल उलूम देवबंद ने कहा है कि शादी के समय मामा द्वारा दुल्हन को गोद में उठाकर डोली या गाड़ी में बैठाने की प्रथा खत्म होनी चाहिए। दारुल उलूम के मुताबिक ये प्रथा इस्लाम के खिलाफ है।
इस फतवे पर दारुल उलूम की दलील है कि इस रस्म के दौरान दुल्हन या मामा किसी के मन में भी काम-वासना की भावना आ सकती है। बेंच ने सलाह दी है कि इससे बेहतर दुल्हन डोली की तरफ खुद चलकर जाए या उसकी मां उसे साथ ले जाए। फतवा जारी कर दारुल उलूम ने कहा कि किसी भी महिला और उसके मामा के बीच का रिश्ता बेहद पवित्र माना जाता है। कोई भी व्यक्ति अपनी बड़ी हो चुकी भांजी को गोद में नहीं उठा सकता है। मुस्लिम कानून के मुताबिक इसे बिल्कुल भी जायज नहीं माना जा सकता है। इस प्रथा के दौरान दुल्हन या उसके मामा में से किसी के भी मन में काम वासना आ सकती है। ऐसा होने पर रिश्ते के तबाह होने का खतरा बढ़ जाता है।
इसके अलावा दारुल उलूम ने एक और फतवा जारी किया है। दरअसल, शादी की तारीख तय करने के लिए मुस्लिम समुदाय लाल खत की रस्म अदा करता है। दारुल उलूम ने इस परंपरा को भी गलत बताया है। बेंच का कहना है कि लोगों को लाल खत की जगह तारीख तय करने के लिए साधारण चिट्ठी भेजी जानी चाहिए। इसके अलावा फोन पर बात कर भी शादी की तारीख तय की जा सकती है। दारुल उलूम ने शादी के दौरान ऐसे गहनों को भी पहनने से मना किया है, जिस पर कोई चित्र बना हो। कई मौलवियों ने इस फैसले का स्वागत किया है।
Created On :   11 Nov 2018 4:13 PM IST