कौन है वो 31 साल का वकील, जिसने बढ़ाई केजरीवाल की मुसीबतें?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इलेक्शन कमीशन ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है। इस बारे में इलेक्शन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भी भेज दी है। अब बस राष्ट्रपति की मुहर लगना बाकी है और फिर आप के ये 20 विधायकों की कुर्सी चली जाएगी। हालांकि, आप इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती है, लेकिन वहां से भी आम आदमी को राहत मिले, ये मुश्किल है। आप ने इसके पीछे बीजेपी का हाथ बताया है और कहा है कि चीफ इलेक्शन कमीशनर एके जोति जाते-जाते प्रधानमंत्री मोदी को खुश कर रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे असल में किसका हाथ है। अगर नहीं, तो हम बता दें कि इसके पीछे एक 31 साल के वकील का हाथ है, जिसका नाम प्रशांत पटेल। प्रशांत ने 2015 में ही आप के इन विधायकों के खिलाफ तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पास याचिका दायर कर सवाल खड़े किए थे।
कौन हैं प्रशांत पटेल?
31 साल के प्रशांत पटेल का जन्म उत्तरप्रदेश के फतेहपुर में हुआ था। उन्होंने जहानाबाद के सरस्वती विद्या मंदिर से अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की और फिर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर एप्लीकेशन और फिजिक्स से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने नोएडा से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की और फिर चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई की। प्रशांत पटेल ने अपना पहला केस हिंदू लीगल सेल की तरफ से 2014 में लड़ा था। हिंदू लीगल सेल एक एनजीओ है और इससे तकरीबन 100 वकील जुड़े हुए हैं। इस एनजीओ ने आमिर खान की फिल्म "पीके" के खिलाफ पिटीशन फाइल की थी और आरोप लगाया था कि इस फिल्म में हिंदू धर्म को गलत तरीके से दिखाया गया है। इसके अलावा उन्होंने जेएनयू स्टूडेंट कन्हैया कुमार के खिलाफ भी पिटीशन फाइल की थी।
2015 में 100 पेज की रिपोर्ट भेजी थी
केजरीवाल सरकार ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त करने का आदेश जारी किया था और इसके 98 दिनों बाद इन 21 विधायकों के खिलाफ प्रशांत पटेल ने 19 जून 2015 को इलेक्शन कमीशन और राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को 100 पेज की एक रिपोर्ट भेजी थी। इस रिपोर्ट में प्रशांत पटेल ने आप के 21 विधायकों पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ का पद) का आरोप लगाया था और कहा था कि ये गैरकानूनी है। प्रशांत ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ये सभी पद लाभ के पद हैं और इसलिए इन विधायकों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए। उसके बाद केजरीवाल सरकार ने "रिमूवल ऑफ डिस्क्वालिफिकेशन अमेंडमेंट बिल" पेश किया था, लेकिन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इस बिल को पास नहीं किया और इसे इलेक्शन कमीशन के पास भेज दिया था।
मैं किसी पॉलिटिकल पार्टी से नहीं : प्रशांत
प्रशांत पटेल ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मैंने ये याचिका इसलिए दायर नहीं की थी कि मैं किसी पॉलिटिकल पार्टी से हूं, बल्कि मैंने ये याचिका एक सामान्य नागरिक के तौर पर दायर की थी। उन्होंने आगे बताया कि दिल्ली में अगर कोई भी राजनीति में इंटरेस्ट रखता है, तो उसके लिए इस मामले को नजरअंदाज करना नामुमकिन था। मुझे इस बात का अंदाजा हुआ कि जो कुछ हो रहा है, वो गलत हो रहा है और फिर मैंने इसके लिए खोजबीन शुरू की, तब मुझे पता चला कि केजरीवाल का ये फैसला असंवैधानिक है। इसके बाद मैंने राष्ट्रपति के पास ये याचिका दायर की थी।
सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं प्रशांत
प्रशांत पटेल एक युवा वकील हैं और सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते हैं। प्रशांत कई मुद्दों को उठाने के लिए जाने जाते हैं। वो अब तक कई मामलों में पिटीशन फाइल कर चुके हैं। उनपर कई बार बीजेपी से जुड़े होने के आरोप भी लग चुके हैं। इन आरोपों पर चुप्पी तोड़ते हुए एक बार प्रशांत पटेल ने कहा था कि वो एक साधारण व्यक्ति हैं और बतौर आम नागरिक ही उन्होंने केजरीवाल सरकार के खिलाफ याचिका दायर की थी।
Created On :   20 Jan 2018 10:53 AM IST