एफआईआर रद्द करने के लिए मोहम्मद जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

Mohammad Zubair moves Supreme Court to quash FIR
एफआईआर रद्द करने के लिए मोहम्मद जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
नई दिल्ली एफआईआर रद्द करने के लिए मोहम्मद जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने अपने ट्वीट को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज छह प्राथमिकी रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

याचिका में इन मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन को भी चुनौती दी गई है। जुबैर ने 6 प्राथमिकी में अंतरिम जमानत भी मांगी है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को हाथरस, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, लखीमपुर खीरी और सीतापुर में जुबैर के खिलाफ दर्ज छह मामलों की जांच के लिए दो सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था।

पुलिस महानिरीक्षक डॉ. प्रीतिंदर सिंह, जो वर्तमान में कारागार प्रशासन और सुधार विभाग में तैनात हैं, एसआईटी के प्रमुख होंगे, जबकि पुलिस उप महानिरीक्षक अमित वर्मा एसआईटी के सदस्य हैं।

12 जुलाई को, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सीतापुर में उनके खिलाफ दर्ज मामले में शीर्ष अदालत द्वारा जुबैर को दी गई अंतरिम जमानत को बढ़ा दिया था।

जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने मामले को अंतिम निपटान के लिए 7 सितंबर को सूचीबद्ध किया। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगा है और सरकार को 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने और उसके बाद 2 सप्ताह के भीतर प्रत्युत्तर देने की अनुमति दी।

पीठ ने कहा, सीतापुर प्राथमिकी मामले में अंतरिम जमानत अगले आदेश तक जारी रहेगी। 7 सितंबर, 2022 को अंतिम निपटान के लिए सूची है।

शीर्ष अदालत का यह आदेश जुबैर की उस याचिका पर आया है, जिसमें सीतापुर में अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी।

8 जुलाई को, सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उनके खिलाफ एक ट्वीट के लिए दर्ज एक मामले के संबंध में पांच दिनों के लिए अंतरिम जमानत दी थी, जहां उन्होंने कथित तौर पर हिंदू संतों को नफरत करने वाला कहा था।

जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जे. के. माहेश्वरी की पीठ ने कहा था कि याचिकाकर्ता को 1 जून, 2022 को पुलिस स्टेशन खैराबाद, जिला सीतापुर, उत्तर प्रदेश में दर्ज प्राथमिकी के संबंध में अंतरिम जमानत दी जाएगी। अदालत ने स्पष्ट किया था कि जुबैर को उस दिन से पांच दिनों की अवधि के लिए या अगले आदेश तक यह राहत दी गई है। जुबैर को राहत देते हुए उन शतोर्ं को भी शामिल किया गया था, जिनमें याचिकाकर्ता को कोई भी ट्वीट पोस्ट नहीं करने और किसी भी सबूत के साथ छेड़छाड़ नहीं करने की हिदायत दी गई थी।

अदालत ने आगे स्पष्ट करते हुए कहा, यह स्पष्ट किया जाता है कि यह आदेश केवल पीएस खैराबाद, जिला सीतापुर, उत्तर प्रदेश में दर्ज प्राथमिकी दिनांक एक जून 2022 से संबंधित है।

जुबैर का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने प्रस्तुत किया कि उनके मुवक्किल धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा दे रहे थे और धर्मों के बीच किसी भी दुश्मनी को बढ़ावा नहीं दे रहे थे।

गोंजाल्विस ने कहा, मैं संविधान का बचाव कर रहा हूं और मैं जेल में हूं..और किसलिए? उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता आदतन अपराधी है और यह एक ट्वीट या किसी अन्य का मामला नहीं है, बल्कि वह एक सिंडिकेट का हिस्सा है, जो समाज को अस्थिर करने के लिए ट्वीट करता है।

 

आईएएनएस

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Created On :   14 July 2022 10:30 PM IST

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