मप्र : कांग्रेस में समन्वय की सियासत के आसार
भोपाल, 1 मई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस में बड़ा बदलाव हुआ है और यहां के प्रभारी की जिम्मेदारी मुकुल वासनिक को सौंपी गई है। इस बदलाव को कांग्रेस के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि वासनिक की गिनती टकराव नहीं समन्वय वाले नेता के तौर होती है। इसलिए राज्य में अब कांग्रेस मे टकराव नहीं बल्कि समन्वय की राजनीति के आसार ज्यादा है।
कांग्रेस ने दीपक बावरिया के प्रभारी रहते हुए विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की थी, मगर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस वैसे नतीजे नहीं दे पाई, जैसे विधानसभा में रहे थे। कांग्रेस को लगभग डेढ़ दशक बाद सत्ता में वापसी का मौका मिला था, मगर बावरिया की राज्य के अन्य नेताओं से खूब खींचतान चली। इसी दौरान उनकी तबीयत बिगड़ी और सक्रियता कम होती गई। स्वास्थ्य कारणों से बावरिया ने महासचिव पद और प्रदेश प्रभारी पद से इस्तीफा दिया, जिसे पार्टी हाईकमान ने मंजूर कर लिया गया है और मुकुल वासनिक को मध्य प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
कांग्रेस के सूत्रों की माने तो पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ राज्य में ऐसा प्रदेश प्रभारी चाह रहे थे जिससे उन्हें सामन्वय स्थापित करने में किसी तरह की दिक्कत न आए और उनसे पार्टी हाईकमान ने रायशुमारी के बाद वासनिक को मध्य प्रदेश का प्रभार देने का फैसला किया। मुकुल वासनिक रामटेक लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते हैं और यह संसदीय क्षेत्र कमलनाथ के पूर्व संसदीय क्षेत्र और उनके बेटे नकुल नाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा से जुड़ा हुआ है।
कमलनाथ और वासनिक दोनों नेताओं में सियासी नजदीकी काफी है। यही कारण है कि इस नियुक्ति से राज्य की सियासत में बड़े बदलाव के आसार नजर आ रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया का कहना है, वासनिक टकराव नहीं बल्कि समन्वय की राजनीति करने वाले नेता है। इससे पहले दीपक बावरिया प्रदेश प्रभारी थे और उन्होंने सत्ता का केंद्र बनने की कोशिश की थी, जिससे उनका नेताओं से टकराव भी हुआ। वहीं, वासनिक इसके उलट हैं। वे नेताओं से समन्वय बनाकर चलने वाले हैं। साथ ही गांधी परिवार के विश्वस्त भी है। इससे पार्टी को ताकतवर बनाने में मदद मिलेगी।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि राज्य में कांग्रेस के भीतर अब किसी नए गुट को न पनपने देने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। राज्य में अब सिर्फ एक कांग्रेस और कमलनाथ का ही गुट रहेगा। ऐसा इसलिए कि वासनिक की गिनती दिग्विजय सिंह विरोधी खेमे में होती है और मध्य प्रदेश की सत्ता जाने और उसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने की मूल वजह दिग्विजय सिंह को ही माना जा रहा है।
राज्य में कांग्रेस में लम्बे अरसे से गुटबाजी का दौर जारी रहा हैं। कमल नाथ के अध्यक्ष बनने के बाद इस पर विराम लगा था, मगर कांग्रेस के सत्ता में आने पर टकराव का दौर चल पड़ा था। सत्ता के कई केंद्र हो गए थे। अब पार्टी सत्ता से बाहर है और बावरिया की जगह वासनिक को प्रभारी बनाया गया है। इससे इस बात की संभावनाएं ज्यादा जताई जा रही है कि पार्टी कें समन्वय बढ़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य के प्रमुख नेताओं कमल नाथ के अलावा सुरेश पचौरी, अरुण यादव, अजय सिंह आदि किसी से भी वासनिक का कभी टकराव नहीं रहा है।
कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि वासनिक के प्रदेश प्रभारी बनने से कांग्रेस को लाभ होगा। वासनिक पहले भी प्रदेश के प्रभारी रह चुके है। इतना ही नहीं युवक कांग्रेस व भाराछासं के भी प्रभारी रहे। इस तरह उनका युवा और वरिष्ठ दोनों ही वगरें के नेताओं से आत्मीय रिश्ता है और इसका लाभ राज्य में पार्टी को मिलेगा।
राज्य में वासनिक के लिए आगामी समय में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव बड़ी चुनौती होंगे। युवा और प्रभावशाली नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अभी हाल ही में कांग्रेस छोड़ी है और 24 स्थानों पर उप चुनाव होने वाले है। इन चुनाव में वासनिक को अपनी क्षमता दिखाना होगी। पार्टी के नेताओं को एक मंच पर रखते हुए संगठन क्षमता का प्रदर्शन भी करना होगा।
Created On :   1 May 2020 6:31 PM IST