मप्र के कई हिस्सों में बाढ़ से भारी नुकसान, 50 हजार लोग शिविरों में, सियासत भी तेज
- बड़े पैमाने पर फसलों और संपत्ति को नुकसान हुआ
- राहत-बचाव कार्य में सेना की भी मदद लेनी पड़ रही है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में बाढ़ ने तबाही मचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। बड़े पैमाने पर फसलों और संपत्ति को नुकसान हुआ है। राहत और बचाव के कार्य में सेना की भी मदद लेनी पड़ रही है। राज्य सरकार प्रभावितों को मदद करने का वादा करने के साथ केंद्र सरकार से मदद मांग रही है तो दूसरी ओर विपक्षी दल भाजपा, कमलनाथ सरकार के कामकाज के तरीके पर सवाल उठा रही है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बाढ़ से 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होने की बात कही है। उन्होंने मंगलवार को कहा, प्रारंभिक आंकलन में बाढ़ के कारण राज्य में 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक नुकसान होने की बात सामने आई है। सरकार इससे निपटने में लगी हुई है। उन्होंने भाजपा की तरफ से आई आंदोलन की चेतावनी पर कहा, भाजपा विधायक और सांसद बाढ़ पर राजनीति न करें, बल्कि बाढ़ पीड़ितों की मदद करें।
गौरतलब है कि राज्य के पश्चिमी और मध्य क्षेत्र में बारिश ने जमकर कहर ढाया है। इसमें मंदसौर, नीचम, बड़वानी, धार और अलिराजपुर में तो मानव जनित बाढ़ के हालात बने हैं। कहीं सरदार सरोवर तो कहीं गांधी सागर बांध का पानी मुसीबत का कारण बना हुआ है। राज्य में 50 हजार से ज्यादा लोग राहत शिविरों में गुजर बसर करने को मजबूर हैं। राहत और बचाव कार्य चलाकर लोगों को सुरक्षित निकाला जा रहा है। कई हिस्सों में पानी घटने लगा है, जिससे प्रभावित लोगों के साथ ही प्रशासन व सरकार ने राहत की सांस ली है। अब तक सरकार ने 100 करोड़ रुपये बाढ़ पीड़ितों के खाने आदि पर खर्च किए हैं, वहीं 350 करोड़ रुपये की राशि राहत और बचाव कार्य पर खर्च की गई है।
एक तरफ हजारों लोग बाढ़ की मार झेल रहे है, वहीं दूसरी ओर सियासत तेज हो गई है। सत्ताधारी दल कांग्रेस और भाजपा दोनों ही एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने भारी बारिश और बाढ़ के कारण हुई फसलों की तबाही पर गहरी चिंता व्यक्त की है। साथ ही किसानों की अनदेखी का राज्य सरकार पर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि सरकार के इस लापरवा रवैये के खिलाफ प्रदेश भर में विधानसभा स्तर पर 20 सितंबर को धरना-प्रदर्शन किए जाएंगे।
सिंह ने बताया कि उन्होंने हाल ही में मंदसौर, नीमच सहित निमाड़ और मालवा सहित अन्य स्थानों पर बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों का जायजा लिया है। यहां हालात बेकाबू हैं और फसलें पूरी तरह तबाह हो गई हैं। प्रदेश का किसान जब विषम परिस्थितियों से गुजर रहा है तब भी मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार उन्हें राहत देने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। राहत देना तो दूर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में हुए नुकसान का आंकलन करना भी जरूरी नहीं समझा जा रहा है।
भाजपा की आंदोलन की घोषणा पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय यादव का कहना है, एक तरफ राज्य के किसान और अन्य लोग बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे हैं, दूसरी तरफ भाजपा नेता अपनी राजनीति चमकाने में जुट गए हैं। पार्टी 20 सितंबर को, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 22 सितंबर को आंदोलन करने जा रहे हैं और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव विधानसभा सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं। भाजपा को चाहिए कि वह आपदा के समय राजनीति न करे। राज्य सरकार किसानों और पीड़ितों की हर संभव मदद कर रही है। भाजपा केंद्र से राज्य को मदद दिलाने के प्रयास करे।
ज्ञात हो कि राज्य के 36 जिलों में बाढ़ का असर है। यहां बचाव और राहत के काम जारी हैं। राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के साथ स्थानीय जिला प्रशासन सक्रिय है। सेना की भी मदद ली जा रही है।
मंदसौर में बाढ़ की स्थिति में सुधार का दावा करते हुए उज्जैन संभाग के आयुक्त अजित कुमार एवं आईजी राजीव गुप्ता ने बताया, गांधी सागर बांध में 1.24 लाख क्यूसेक पानी की आवक है और 6.52 लाख क्यूसेक पानी बांध से छोड़ा जा रहा है। राहत शिविरों में बाढ़ प्रभावितों के ठहरने, सोने, खाने और रोज के वस्त्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। जिन लोगों के घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं, उनकी तत्काल सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत करने और उन परिवारों को तत्काल 50 किलोग्राम गेहूं देने के निर्देश दिए गए हैं।
वहीं भिण्ड जिले में चंबल नदी में उफान आने पर आस-पास के गांवों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिला प्रशासन ने सोमवार को आधा दर्जन से अधिक गांव के रहवासियों को राहत शिविरों में पहुंचाया है। लगभग 90 प्रतिशत लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिए गए हैं।
श्योपुर जिले में चंबल नदी में आई बाढ़ के कारण नदी क्षेत्र के 33 गांवों के 6300 ग्रामीण प्रभावित हुए हैं। इन सभी को राहत शिविरों में पहुंचाने का काम सेना और जिला प्रशासन द्वारा किया गया। विदिशा जिले के 118 गांव प्रभावित हुए हैं। इनमें से 1110 लोगों को राहत शिविरों में ठहराया गया है।
इसी तरह नीमच के मनासा क्षेत्र में अतिवृष्टि के कारण प्रभावित लोगों के बचाव एवं राहत कार्य जारी हैं। रामपुरा क्षेत्र में डूब प्रभावित गांव में अधिकारियों की टीम राहत एवं बचाव कार्य के लिए तैयार की गई। जिलों में क्षतिग्रस्त फसलों, मकानों एवं पशुओं के प्रारंभिक सर्वे का कार्य शुरू कर दिया गया है।
Created On :   17 Sept 2019 8:01 PM IST