अयोध्या विवाद : मुस्लिम नेताओं और श्रीश्री के बीच मीटिंग, इन 3 मुद्दों पर हुई बात
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कुछ मुस्लिम नेताओं और आर्ट ऑफ लिविंग के फाउंडर श्रीश्री रविशंकर के बीच शुक्रवार को बेंगलुरु में एक मुलाकात हुई। इस मीटिंग में राम मंदिर के निर्माण को लेकर 3 तरह के प्रपोजल निकले हैं। मीटिंग में विवादित जगह पर ही राम मंदिर बनाने की बात हुई है, लेकिन मस्जिद बनाने के लिए अलग-अलग जगहें बताई गई हैं। इस मुद्दे को लेकर अब अगली मीटिंग मार्च में अयोध्या में ही होगी, जहां श्रीश्री रविशंकर भी पहुंचेंगे। बता दें कि अयोध्या विवाद पर 14 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।
किन मुस्लिम नेताओं ने की मुलाकात?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश से 6 मुस्लिम नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल बेंगलुरु पहुंचा था। इसमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की तरफ से मौलाना सलमान हुसैनी नदवी, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर फारूकी, पूर्व आईएएस ऑफिसर अनीस अंसारी, एडवोकेट इमरान अहमद, मौलाना वासिफ हसन वैजी और ऑब्जेक्टिव रिसर्च एंड डेवलपमेंट के डायरेक्टर अतहर हुसैन शामिल थे। बताया जा रहा है कि अयोध्या विवाद को लेकर दोनों के बीच 3-4 घंटे तक मीटिंग चली।
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वक्फ बोर्ड हर तरह से समझौता करने को राजी
इस मीटिंग में शामिल हुए यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर फारूकी ने मीडिया को बताया कि "बोर्ड इस मुद्दे को हल करने के लिए हर तरह के समझौते करने को तैयार है।" वहीं अतहर हुसैन ने कहा कि "इस मीटिंग में विवाद को सुलझाने के लिए कई पहलुओं पर चर्चा की गई। इस मीटिंग में हिंदू और मुसलमानों के बीच बढ़ती दूरियों पर भी बात की गई।" उन्होंने बताया कि अगली बैठक अयोध्या में होगी, जहां संत और मौलान मिलकर बात करेंगे।
मार्च में अयोध्या जाएंगे श्रीश्री रविशंकर
वहीं श्रीश्री रविशंकर के प्रवक्ता गौतम ने मीडिया को बताया "बेंगलुरु में इस मसले को लेकर मीटिंग हुई है और श्रीश्री का मकसद सिर्फ इतना है कि इस मुद्दे को जल्द से जल्द सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटा लिया जाए।" उन्होंने बताया कि "इस मुद्दे को लेकर अब अगली बैठक अयोध्या में मार्च में की जानी है, जिसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इस मीटिंग में श्रीश्री रविशंकर भी शामिल होने अयोध्या जाएंगे।" गौतम ने ये भी बताया कि पिछले साल नवंबर में श्रीश्री रविशंकर ने अयोध्या विवाद को आपसी समझौते से निपटाने की बात कही थी।
इन 3 प्रपोजल्स पर हुई बात
इस विवाद को सुलझाने के लिए "अयोध्या सद्भावना समन्वय समिति" के पंडित अमरनाथ मिश्रा ने बताया कि समिति की तरफ से मौलाना सलमान हुसैनी नदवी को 3 पॉइंट्स का एक प्रपोजल दिया गया है।
1. पहले प्रपोजल में कहा गया है कि 10 एकड़ की विवादित जमीन जो निर्मोही अखाड़े के कब्जे में है, वो मुसलमानों को दे दी जाए और उसके बदले में हिंदुओं को विवादित जमीन दे दी जाए।
2. दूसरे प्रपोजल में कहा गया है कि गोरखपुर हाईवे पर बहादुर शाह जफर के नाम से एक इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी बनाई जाए और उसी के कैंपस में मस्जिद को जगह दी जाए।
3. आखिरी प्रपोजल में कहा गया है कि विवादित जमीन के पास जहां लकड़ी काटने की यूनिट लगी है, वहां पर मस्जिद बनाई जाए।
अयोध्या को लेकर क्या है विवाद?
अयोध्या विवाद इस देश का सबसे बड़ा विवाद है, जिस पर राजनीति भी होती रही है और सांप्रदायिक हिंसा भी भड़की है। हिंदू पक्ष ये दावा करता है कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है और इस जगह पर पहले राम मंदिर हुआ करता था। जिसे बाबर के सेनापति मीर बांकी ने 1528 में तोड़कर यहां पर मस्जिद बना दी थी। तभी से हिंदू-मुस्लिम के बीच इस जगह को लेकर विवाद चलता रहा है। अयोध्या विवाद ने 1989 के बाद से तूल पकड़ा और 6 दिसंबर 1992 को हिंदू संगठनों ने अयोध्या में राम मंदिर की जगह बनी विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया। जिसके बाद ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया और अब सुप्रीम कोर्ट में है।
14 मार्च को होगी अगली सुनवाई
अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 8 फरवरी को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस केस में पहले सभी मुख्य पक्षकारों की दलील सुनी जाएगी, उसके बाद दूसरी पिटीशंस पर सुनवाई होगी। इस दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले को सिर्फ एक जमीन विवाद की तरह ही देखा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को 2 हफ्ते के अंदर सभी डॉक्यूमेंट्स तैयार करने को कहा है और इसी के साथ अब इस मामले की सुनवाई अब 14 मार्च को की जाएगी।
Created On :   9 Feb 2018 2:53 PM IST