ब्रिक्स देशों की शिक्षा के क्षेत्र में आपसी साझेदारी महत्वपूर्ण : प्रो. स्वर्ण सिंह

Mutual partnership is important in the field of education of BRICS countries: Prof. Swarn Singh
ब्रिक्स देशों की शिक्षा के क्षेत्र में आपसी साझेदारी महत्वपूर्ण : प्रो. स्वर्ण सिंह
चीन ब्रिक्स देशों की शिक्षा के क्षेत्र में आपसी साझेदारी महत्वपूर्ण : प्रो. स्वर्ण सिंह
हाईलाइट
  • ब्रिक्स संगठन की महत्ता

डिजिटल डेस्क, बीजिंग। शिक्षा के क्षेत्र में ब्रिक्स के पांचों देश पहले से ही जुड़े हुए हैं और इसमें होने वाले युवा सम्मेलन और खिलाड़ियों के सम्मेलन ब्रिक्स संगठन को थोड़ा सा अलग करती है। यह कहना है दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रोफेसर एवं अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रोफेसर स्वर्ण सिंह का।

एक खास बातचीत में ब्रिक्स देशों की शिक्षा के क्षेत्र में आपसी साझेदारी पर प्रोफेसर सिंह बताते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में पहले से ही पांचों देश जुड़े हुए हैं और सभी शिक्षा मंत्रियों, शिक्षाविदों, थिंक टैक्स और विश्वविद्यालयों की ब्रिक्स की एक यूनिवर्सिटी लीग बनी हुई है, जिसका एक तरह से सचिवालय शांगहाई के फूतान विश्वविद्यालय में है।

प्रोफेसर स्वर्ण सिंह बताते हैं कि पिछले 10 वर्षो से बड़ी कॉन्स्टिट्यूएन्सीज भी बनाते जा रहे हैं, और तालमेल सिर्फ राष्ट्राध्यक्षों का तो है ही, पर आम जनता और दूसरे लोगों का भी पांचों देशों के बीच तालमेल बनना चाहिए, जिससे पांचों राष्ट्रों में ये धारणा बने कि पांचों को इकठ्ठे होने से कुछ नई चीजें बनाई जा सकती हैं और अपने मूल हितों को भी आगे बढ़ाया जा सकता है।

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले होने वाली महत्वपूर्ण बैठकों पर प्रकाश डालते हुए प्रोफेसर स्वर्ण सिंह ने बताया कि बहुत से वरिष्ठ मंत्रियों की मुलाकात शिखर सम्मेलन से पहले होती है। साथ ही पांचों देशों के बीच शिक्षा से जुड़े स्कॉलर्स के बीच स्कॉलरशिप को और सु²ढ़ किया जाए, बनाया जाए और एक्सचेंज किया जाए इस बात को आगे बढ़ाया जाएगा।

ब्रिक्स संगठन की महत्ता को रेखांकित करते हुए प्रोफेसर स्वर्ण सिंह ने कहा कि ब्रिक्स अपने आप में एक बहुत अलग तरह का संगठन है और इसमें शिखर सम्मेलन होने से पहले कई अन्य पांचकोणीय बैठकें होती हैं, जिसमें खेल से जुड़े लोग, शिक्षाविद, पत्रकार, उद्योगजगत से जुड़े लोग, मंत्रालयों के बड़े अधिकारी और कई सलाहकार भी शामिल होते हैं। इस तरह से कॉन्स्टिट्यूएन्सीज को ठोस बनाया गया है।

ब्रिक्स के आर्थिक तंत्र पर अपने विचार रखते हुए प्रोफेसर सिंह बताते हैं कि पिछले साल ब्रिक्स के न्यू डेवेलपमेंट बैंक में चार और नए देश जोड़े गए हैं। इसलिए रुझान ऐसा बनता दिख रहा है कि कुछ नए देशों को ब्रिक्स के साथ जोड़ा जा सकता है।

दो राष्ट्राध्यक्षों की आमने-सामने या रूबरू होने वाली मुलाकात की महत्ता बताते हुए प्रोफेसर स्वर्ण सिंह ने कहा कि जब राष्ट्राध्यक्ष सच में एक-दूसरे से मिलते हैं और साइडलाइन्स में बातचीत होती है। साथ ही बहुराष्ट्रीय सम्मेलनों में बड़े मेज पर सभी अपनी बात करते हैं, लेकिन बीच में राष्ट्राध्यक्षों को द्विपक्षीय स्तर पर बातचीत करने का भी समय मिलता है। प्रोफेसर सिंह के अनुसार, वैसी उम्मीद ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में नहीं होती है।

अंतर्राष्ट्रीय राजनयिक संबंधों में सॉफ्ट पॉवर की महत्ता को रेखांकित करते हुए प्रोफेसर स्वर्ण सिंह ने कहा कि जितनी भी प्राचीन सभ्यताओं वाले देश हैं, उनकी गहन, जटिल और बहुत अच्छी सांस्कृतिक धरोहर होती हैं और उसका पूरा प्रयोग करके आपस में तालमेल बनाने को सांस्कृतिक राजनैयिकी या कल्चरल डिप्लोमेसी कहा जाता है।

प्रोफेसर सिंह ने बताया कि जब भी देशों में संबंध थोड़े से जटिल और उलझे हुए होते हैं तो उस वक्त सांस्कृतिक आदान-प्रदान करने से एक दूसरे के प्रति अच्छी समझ बनाने का एक बड़ा अच्छा माहौल बनता है।

इसी कड़ी में भारत और चीन के सांस्कृतिक रिश्तों पर प्रकाश डालते हुए प्रोफेसर सिंह ने बताया कि चीन में पहले से ही करीब 23 हजार भारतीय छात्र अध्ययनरत हैं। धीरे-धीरे चीन एक बहुत अच्छा डेस्टीनेशन भारतीय विद्यार्थियों के लिए बन गया है और लोगों का आना-जाना भी बहुत तेजी से बढ़ रहा था। उनके अनुसार, सर्वव्यापी महामारी के चलते रुकावटें आई हैं उसे सुलझाना होगा।

भारत और चीन के आपसी सहयोगात्मक संबंधों पर प्रोफेसर स्वर्ण सिंह बताते हैं कि भारत और चीन के बीच आपस में ऐसे कई क्षेत्र हैं, जैसे व्यापार, निवेश, तकनीक का आदान-प्रदान, लोगों का आना-जाना, भारतीय विद्यार्थियों का चीन में जाकर पढ़ना और चीन के विद्यार्थियों का भारत में आकर पढ़ना जैसी बातें शामिल हैं।

प्रोफेसर सिंह के अनुसार, आपसी संबंधों में केवल सीमा ही एक निर्णायक चिन्ह नहीं होती है। उन्होंने कहा कि चीन और भारत के बीच व्यापार बढ़ा है। चीन के आंकड़े बताते हैं कि दोनों देशों के बीच व्यापार 44 प्रतिशत बढ़ा है और 125 अरब डॉलर हो गया है।

सोर्स- आईएएनएस

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Created On :   19 Jun 2022 9:00 PM IST

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