पत्रकार की संदिग्ध हालात में मौत ने नेपाल सरकार को परेशानी में डाला

Nepal government dies in trouble due to journalists suspicious circumstances
पत्रकार की संदिग्ध हालात में मौत ने नेपाल सरकार को परेशानी में डाला
पत्रकार की संदिग्ध हालात में मौत ने नेपाल सरकार को परेशानी में डाला

नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)। नेपाली अखबार कांतिपुर डेली में सहायक संपादक बलराम बनिया को जून में इस खबर को उजागर करने का श्रेय दिया जाता है कि चीन ने नेपाल में गोरखा जिले के अंतर्गत आने वाले गांव रुई का अतिक्रमण किया है।

बनिया 11 अगस्त को मकवापुर में मंडो हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के पास बागमती नदी के किनारे मृत पाए गए। वह एक दिन पहले लापता हो गए थे जिसके बाद उनके परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।

उनकी मौत से नेपाली पत्रकारों में बेचैनी पैदा हुई है और प्रेस यूनियनों ने उनकी मौत के कारणों की स्वतंत्र जांच की मांग की है। इनमें फेडरेशन ऑफ नेपाली जर्नलिस्ट्स, फ्रीडम फोरम और नेपाल प्रेस यूनियन शामिल हैं।

रुई गांव के चीनी अतिक्रमण पर उनकी खबर सार्वजनिक होने के बाद बनिया और उनका अखबार, दोनों दबाव में आ गए। अखबार को माफी जारी करनी पड़ी और बनिया को कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया गया। उनकी खबर ने एक हलचल पैदा कर दी थी क्योंकि अन्य मीडिया संगठनों ने इसे उठाया और अपने स्तर से इसकी जांच की।

उनकी रिपोर्ट ने चीन को एक शर्मनाक स्थिति में डाल दिया क्योंकि इसमें साम्यवादी देश की अन्य देशों की सीमाओं पर अतिक्रमण करने की नीति पर प्रकाश डाला गया था, जिसमें नेपाल जैसे इसके मित्र राष्ट्र भी शामिल हैं। नेपाली मीडिया ने चीन द्वारा अतिक्रमण को लेकर अपने प्रधानमंत्री से भी सवाल किया और कुछ सांसदों ने इस मुद्दे को सार्वजनिक रूप से उठाया।

जून में चीनी अतिक्रमण को लेकर बनिया की खबर ने चीनी और नेपाली नेतृत्व के बीच बेचैनी पैदा कर दी। यह ऐसे समय में आई जब दोनों देश अपने संबंधों को लेकर नए तरह से सोच रहे थे और जब चीन, भारत के साथ एक क्षेत्रीय विवाद में बुरी तरह उलझा था।

नेपाल प्रेस यूनियन ने कहा कि बनिया की मौत रहस्य में डूबी हुई है क्योंकि उनके सिर में गहरी चोट थी। संस्था के के महासचिव अजय बाबू शिवाकोटी ने कहा, उनकी मृत्यु संदेह से घिरी है। उनकी मौत की वजह वे खबरें हो सकती हैं, जो उन्होंने की थीं।

पत्रकार की मौत चीनी अतिक्रमण से संबंधित हो सकती है और नहीं भी हो सकती है लेकिन शक की सूई इसके आसपास बनी हुई है। यह उस असहज रिश्ते को भी पेश करती है जो चीन की दोस्ती से जुड़ा है। स्वतंत्र नेपाली मीडिया ने इस साल पहले ही चीनी दूतावास के साथ एक विवाद का अनुभव किया, जिसमें 17 संपादकों ने सार्वजनिक बयान जारी कर नेपाली पत्रकारों को धमकी देने और एक मुक्त मीडिया के काम में हस्तक्षेप करने के लिए चीनी दूतावास की निंदा की गई थी।

चीन वर्तमान में नेपाल का एक मजबूत सहयोगी है। इसके बावजूद वह नेपाल में भी विवादों को हवा देता है। नेपाल की कोशिश रहती है कि चीन से संबंधित बुरी खबरें उछलने से दूर रहें लेकिन चीन अपने विस्तारवादी और आधारहीन दावों से नेपाल को परेशानी में डालता रहता है।

इसने हाल ही में एक और असंतोषजनक टिप्पणी की जब चीन ग्लोबल टेलीविजन नेटवर्क ने दो मई को दावा किया कि माउंट चोमोलुंगमा, जिसे माउंट एवरेस्ट के नाम से अधिक जाना जाता है, चीन के तिब्बत में स्थित है।

नेपाली नागरिकों द्वारा सोशल मीडिया पर हंगामा करने के बाद चीनी नेटवर्क ने इस ट्वीट को हटा दिया और इसे एक लोगों को शांत करने वाले ट्वीट के साथ बदलते हुए कहा, .. दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट कोमोलंगमा नेपाल-चीन सीमा पर स्थित है।

हालांकि, इसने इस ट्वीट में भी सार्वभौमिक नाम माउंट एवरेस्ट के बजाए इसे माउंट कोमोलंगमा ही कहा।

बलराम बनिया की मौत की निष्पक्ष जांच से उनके निधन से जुड़ी अटकलों पर भले ही लगाम लगाई जा सके लेकिन एक मित्र देश नेपाल में चीनी अतिक्रमण पर उनकी न्यूज रिपोर्ट की चमक आसानी से फीकी नहीं पड़ सकती।

(यह सामग्री इंडियानैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत प्रस्तुत की गई)

आईएएनएस

एसएसए

Created On :   18 Aug 2020 11:00 PM IST

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