CBI के नवनियुक्त निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला ने संभाला पदभार
- आलोक वर्मा के ट्रांसफर के बाद चयन समिति ने की नियुक्ति
- ऋषि कुमार शुक्ला 1983 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं।
- ऋषि कुमार शुक्ला ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो निदेशक का पदभार संभाला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केन्द्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के नए निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला आज (सोमवार) को अपना पदभार संभाल लिया है। आलोक वर्मा को हटाए जाने के बाद 10 जनवरी से ये पद खाली था। प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली चयन समिति ने इस पद के लिए ऋषि कुमार शुक्ला को CBI का नया निदेशक नियुक्त किया है। कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के मुताबिक मध्य प्रदेश पुलिस के पूर्व डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला आज पदभार संभाला है। उन्हें दो साल के लिए सीबीआई का निदेशक नियुक्त किया गया है। इसके बाद अगस्त 2020 में वे रिटायर हो जाएंगे।
Delhi: Rishi Kumar Shukla takes charge as the Director of Central Bureau of Investigation (CBI). pic.twitter.com/9cM1gQK2kE
— ANI (@ANI) February 4, 2019
ऋषि कुमार शुक्ला 1983 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। उनकी पहली पोस्टिंग रायपुर में हुई थी। इसके बाद वो दमोह, शिवपुरी और मंदसौर जिले के पुलिस अधीक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दी। वो साल 2009 से 2012 तक खुफिया विभाग के एडीजी रहे और फिर जुलाई 2016 से जनवरी 2019 तक मध्य प्रदेश के DGP के रूप में सेवाएं दी। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद उन्हें मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग बोर्ड का चेयरमैन बना दिया गया था।
ऋषि कुमार शुक्ला को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का बेहद करीबी माना जाता है। दोनों IB में साथ काम कर चुके हैं। शुक्ला मूल रूप से मध्य प्रदेश के ग्वालियर के रहने वाले हैं और वहीं के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज से B.Com में ग्रेजुएट हैं। वे अभी तक मध्य प्रदेश के डीजीपी थे और कुछ दिन पहले ही उन्हें कमलनाथ सरकार ने पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन का चेयरमैन बनाया था। कैबिनेट की अपॉइंटमेंट कमिटी ने शनिवार को उनके नाम पर मुहर लगाई। उन्हें 2 साल के लिए CBI डायरेक्टर पद पर नियुक्त किया गया है।
बता दें कि 10 जनवरी, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हाई-पावर सेलेक्शन कमेटी ने आलोक वर्मा को CBI डायरेक्टर के पद से हटा दिया था। पैनल ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) रिपोर्ट में वर्मा के खिलाफ लगाए गए 8 आरोपों पर गंभीरता से विचार किया था। समिति ने महसूस किया था कि इस मामले की आपराधिक जांच सहित एक विस्तृत जांच आवश्यक है, ऐसे में वर्मा का CBI डायरेक्टर बने रहना ठीक नहीं है।
बैठक में मौजूद कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे वर्मा को हटाए जाने के पक्ष में नहीं थे। उन्होंने CVC की रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि CVC विश्वसनीय नहीं है। खड़गे का कहना था कि आलोक वर्मा पर लगे भष्टाचार के आरोपों की अलग से जांच होना चाहिए। हालांकि 2-1 के बहुमत से आलोक वर्मा को पद से हटा दिया गया था। तीन सदस्यीय इस पैनल में खड़गे के अलावा पीएम मोदी और जस्टिस एके सीकरी शामिल थे। इस पैनल की अध्यक्षता पीएम मोदी ने की थी।
Created On :   4 Feb 2019 9:59 AM IST