एनआईए ने 2019 के जासूसी, आतंकी फंडिंग मामले के साजिशकर्ता को गिरफ्तार किया

NIA arrested the conspiracy for the 2019 spying, terrorist funding case
एनआईए ने 2019 के जासूसी, आतंकी फंडिंग मामले के साजिशकर्ता को गिरफ्तार किया
एनआईए ने 2019 के जासूसी, आतंकी फंडिंग मामले के साजिशकर्ता को गिरफ्तार किया

नई दिल्ली, 6 जून (आईएएनएस)। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शनिवार को 2019 के विशाखापत्तनम जासूसी मामले में आतंकी फंडिंग के एक साजिशकर्ता को गिरफ्तार किया। इस मामले में पाकिस्तान के जासूस संलिप्त थे, जिन्होंने भारतीय नौसेना के जहाजों और पनडुब्बियों की आवाजाही और स्थान के बारे में संवेदनशील जानकारी हासिल करने के लिए नौसेना के कुछ कनिष्ठ अधिकारियों को सोशल मीडिया के जरिए हनी-ट्रैप में फंसा लिया था।

मामले में पहले गिरफ्तार किए जा चुके आरोपियों से पूछताछ और तकनीकी विश्लेषण से मिली जानकारी के आधार पर अब्दुल रहमान अब्दुल जब्बार शेख (53) को उसके आवास से गिरफ्तार किया गया।

एक अधिकारी ने कहा कि एजेंसी ने अब्दुल रहमान के आवास की तलाशी के दौरान कई डिजिटल उपकरण और आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए।

इस मामले में अबतक गिरफ्तार किया जाने वाला अब्दुल रहमान 15वां आरोपी है। उसकी पत्नी शाइस्ता कैसर पाकिस्तान में पैदा हुई भारतीय महिला है और वह पहले गिरफ्तार किए गए 14 लोगों में शामिल हैं। गिरफ्तार लोगों में 11 नौसेना के कर्मी भी शामिल हैं। एनआईए ने इसके पहले 15 मई को मोहम्मद हारून हाजी अब्दुल रहमान लकड़ावाला (49) को भी मुंबई से गिरफ्तार किया था।

ये सभी अन्य आरोपियों के साथ आतंकी फंडिंग में संलिप्त थे।

एनआईए ने पिछले साल 29 दिसंबर को यह मामला अपने हाथ में लिया था। यह मामला शुरू में 16 नवंबर, 2019 को आंध्र प्रदेश पुलिस के सीआई सेल डिविजन में दर्ज किया गया था। यह मामला भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), और अनधिकृत गतिविधि (निवारक) अधिनियम और ऑफिसियल सेकेट्र्स एक्ट की धारा-3 के तहत आपराधिक साजिश और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए दर्ज किया गया था।

2019 विशाखापत्तनम जासूसी मामला पाकिस्तान और भारत में विभिन्न जगहों (विशाखापत्तनम और मुंबई) पर निवासरत संदिग्धों के एक अंतर्राष्ट्रीय रैकेट से संबंधित है। इसमें पाकिस्तान स्थित जासूसों द्वारा भारत में 2011 और 2019 के बीच भर्ती किए गए एजेंट शामिल हैं।

वे भारतीय नौसेना के जहाजों और पनडुब्बियों तथा अन्य रक्षा प्रतिष्ठानों के स्थानों और उनकी आवाजाही के बारे में संवेदनशील और गोपनीय जानकारी जुटाते थे। जांच से खुलासा हुआ है कि नौसेना के कुछ कर्मी फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए पाकिस्तानी नागरिकों के संपर्क में आए थे।

इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस के एजेंटों ने खुद को युवतियों के रूप में पेश कर अपने अकाउंट के जरिए चैट और मैसेजेज का आदान-प्रदान किया और भारतीय एजेंटों को गोपनीय जानकारी साझा करने के एवज में पैसे का लालच दिया। चैट और मैसेजेज की सामग्री अक्सर अश्लील होती थी।

Created On :   6 Jun 2020 2:01 PM GMT

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