नोटबंदी से पहले नीरव ने PNB में जमा किए थे 90 करोड़ : NCP MP का आरोप

नोटबंदी से पहले नीरव ने PNB में जमा किए थे 90 करोड़ : NCP MP का आरोप
नोटबंदी से पहले नीरव ने PNB में जमा किए थे 90 करोड़ : NCP MP का आरोप

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में हुए 11,356 करोड़ रुपए के फ्रॉड के मुख्य आरोपी नीरव मोदी पर NCP सांसद माजिद मेमन ने बड़ा आरोप लगाया है। मेमन ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि "नोटबंदी से कुछ घंटों पहले डायमंड मर्चेंट नीरव मोदी ने PNB में 90 करोड़ रुपए डिपॉजिट किए थे और बाद में इन पैसों को सोने-चांदी और बाकी चीजों में बदलवा लिया गया।" मेमन ने इस मामले की जांच की भी मांग की है। बता दें कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी, जिसके बाद देश में 500-1000 के पुराने नोट चलन से बाहर हो गए थे।


माजिद मेमन का क्या है कहना? 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, NCP सांसद माजिद मेमन का कहना है कि "जब नीरव मोदी ने भारत छोड़ा था उस वक्त एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें कहा गया था कि 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के ऐलान से कुछ घंटों पहले ही नीरव ने PNB की एक ब्रांच 90 करोड़ रुपए डिपॉजिट करवाए थे। हो सकता है कि इन पैसों को बाद में सोने-चांदी या किसी और चीज में बदलवा लिया गया हो।" इसके साथ ही 24 फरवरी को किए गए एक ट्वीट में भी मेनन ने यही आरोप लगाए हैं। मेनन ने ट्वीट कर कहा कि "एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पीएम के नोटबंदी के ऐलान से कुछ घंटों पहले 8 नवंबर 2016 को नीरव मोदी ने PNB की एक ब्रांच में भारी कैश डिपॉजिट किया था। इसका क्या मतलब है?"

 

 



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क्या है  PNB घोटाला? 

देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक कहे जाने वाले पंजाब नेशनल बैंक में पिछले दिनों 11,356 करोड़ रुपए के घोटाले होने का खुलासा हुआ है। ये घोटाला बैंक की मुंबई की ब्रेडी हाउस ब्रांच में हुआ। इस घोटाले की शुरुआत 2011 में हुई थी और पिछले 7 सालों में हजारों करोड़ रुपए फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOUs) के जरिए विदेशी अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दिए गए। दरअसल, डायमंड करोबारी नीरव मोदी और उनके साथियों ने साल 2011 में डायमंड इंपोर्ट करने के लिए लाइन ऑफ क्रेडिट के लिए पंजाब नेशनल बैंक की ब्रांच से कॉन्टेक्ट किया। आमतौर पर बैंक विदेशों से होने वाले इंपोर्ट के लिए LOU जारी करता है। इसका मतलब ये है कि बैंक नीरव मोदी के विदेश में मौजूद सप्लायर्स को 90 दिन के लिए भुगतान करने को राजी हुआ और बाद में पैसा नीरव को चुकाना था। इन्हीं फर्जी LOU के आधार पर भारतीय बैंकों की विदेशी ब्रांचों ने PNB को लोन देने का फैसला लिया गया। इस घोटाले को खुलासा तब हुआ, जब PNB के भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारी रिटायर हो गए और नीरव मोदी की कंपनी ने जनवरी में दोबारा से LOU जारी करने की सिफारिश की। नए अधिकारियों ने ये गलती पकड़ ली और घोटाले की जांच शुरू कर दी। बैंक के मुताबिक, जनवरी में इस फर्जीवाड़े का पता चला तो 29 जनवरी को सीबीआई में शिकायत की और 30 जनवरी को FIR दर्ज हो गई।

Created On :   26 Feb 2018 11:06 AM IST

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