निर्भया के माता-पिता का ऐलान, न्याय नहीं मिला तो नहीं देंगे वोट

Nirbhayas parents say will not vote next year slams government for inaction
निर्भया के माता-पिता का ऐलान, न्याय नहीं मिला तो नहीं देंगे वोट
निर्भया के माता-पिता का ऐलान, न्याय नहीं मिला तो नहीं देंगे वोट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। निर्भया गैगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पूरी हो गई है मगर अब तक निर्भया के परिजनों को इंसाफ नहीं मिला है। इंसाफ मिलने की उम्मीद हार चुके निर्भया के माता-पिता ने 2019 में होने वाले आम चुनावों में वोट ना डालने का फैसला किया है। निर्भया के माता-पिता का कहना है कि सरकार ने रेप पीड़ितों के लिए जल्द फैसला करने का वादा किया था लेकिन कुछ होता नज़र नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कहीं न कहीं अब भी हमें  इंसाफ का इंतजार है। अगर यह जल्द न्याय नहीं मिला तो वे 2019 के चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल को अपना वोट नहीं देंगे।  

 

निर्भया की मां ने कहा- मुझे कोई उम्मीद नहीं

निर्भया की मां आशा देवी ने कहा अब मुझे कोई उम्मीद नहीं है। केवल कागज पर ही मेरी बेटी के बलात्कारियों को मौत की सजा सुनाई गई है। उन्होंने कहा पिछले 6 सालों में हमने जब भी पूछा सरकार कैसे पैसे का उपयोग कर रही है तो बताया गया कि निर्भय निधि के तहत पैसा CCTV प्रतिष्ठानों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। जबकि ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी ने कहा था जब आप वोट देने जाओ तो "निर्भया को याद रखना"  लेकिन मैं 2019 में किसी को वोट नहीं दूंगी। निर्भया की मां आशा देवी ने निराशा के साथ कहा बेटी को खोने के 6 साल बाद भी हमें हर बार यह साबित करने को कहा जाता है कि उसके साथ दुष्‍कर्म हुआ था। 


निर्भया के पिता ने कहा- कानूनी प्रक्रिया बेहद धीमी

निर्भया के पिता बद्रीनाथ ने कहा बलात्कार पीड़ितों के लिए न्यायिक प्रक्रिया बेहद धीमी है अगर रेप पीड़ितों के लिए न्याय की प्रक्रिया में सरकार ने ताजी लाई होती तो कठुआ और उन्नाव जैसे देश को हिलाने वाले मामले सामने ही नहीं आते। निर्भया के माता-पिता का कहना है कि कानूनी कमी और धीमी प्रक्रिया ने उन्हें और थका दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले साल हमने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया लेकिन धीमी गति से चलने वाली प्रक्रिया से डर लगता है। उन्होंने कहा हमें नहीं पता कि ये कितना समय ले सकता है। निर्भया के माता-पिता ने बताया कि कोर्ट में हर सुनवाई में वे बलात्कारियों के पक्ष में तर्क देख रहे हैं। आरोपियों के वकील बहस कर रहे हैं कि अभियुक्त जेल में अच्छा व्यवहार कर रहे हैं। उन्हें छोड़ देना चाहिए। निर्भया के पिता ने सवाल उठाया है कि क्या हमारी बेटी देश की अच्छी नागरिक नहीं थी।

 

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पूरी की सुनवाई

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया कांड में 2 दोषियों की मौत की सजा पर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली है। इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस के जो दोषियों विनय शर्मा और पवन गुप्ता को दो अन्य दोषियों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। 5 मई 2017 को सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए चार दोषियों मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह को गैंगरेप के लिए मौत की सजा पर मुहर लगाई थी।

दोषियों की ओर से कोर्ट में दलील

मामले के दोषी विनय और पवन की ओर से वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इनकी पृष्ठभूमि और सामाजिक आर्थिक स्थिति को देखते हुए सजा कम की जाए। करीब 115 देशों ने मौत की सजा को खत्म कर दिया है। मौत की सजा सिर्फ अपराधी को खत्म करती है अपराध को नहीं। सजा-ए-मौत जीने के अधिकार को छीन लेती है। हालांकि दिल्ली पुलिस ने इन दलीलों का विरोध किया। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन दलीलों को पहले ही कोर्ट ठुकरा चुका है। आरोपी अक्षय की ओर से कहा गया है कि वह 3 हफ्ते में अपनी पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे।

16 दिसंबर 2012 को हुआ था गैंगरेप

बता दें कि 16 दिसंबर 2012 को साउथ दिल्ली में एक पेरामेडिकल स्टूडेंट निर्भया के साथ 6 लोगों ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया था। बाद में उसे बुरी तरह जख्मी कर सड़क पर फेंक कर फरार हो गए थे। 29 दिसंबर 2012 को पीड़ित ने सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में दम तोड़ दिया था। इस मामले के एक दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। घटना का नाबालिग दोषी बालसुधार गृह में तीन साल गुजारने के बाद अब आजाद है।

Created On :   5 May 2018 7:04 AM GMT

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