नीतीश कुमार के बदले सुर से बिहार की राजनीति में शुरू हुई हलचल
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार के सीएम और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार इन दिनों बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार में असहज महसूस कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने बाढ़ राहत के नाम पर केंद्र सरकार से मिली धनराशि पर नाराजगी जताई है। ज्ञात हो बाढ़ राहत के रूप में बिहार सरकार ने पिछले साल 7,600 करोड़ रुपये मांगे थे। जिस पर केंद्र सरकार ने 1700 करोड़ रुपये ही स्वीकृत किए थे। जब देने की बारी आई तो इसमें 500 करोड़ रुपए और काट दिए गए।
इन मुद्दों पर भी कर चुके हैं विरोध
इससे पहले उन्होंने पीएम के नोटबंदी अभियान की यह कहते हुए आलोचना की थी कि इसका किसी को कोई लाभ नहीं मिला। हालांकि शुरूआत में उन्होंने नोटबंदी अभियान का समर्थन किया था।
नीतीश ने असम में बीजेपी सहयोगी असम गण परिषद के साथ मिल कर नागरिकता कानून का भी खुला विरोध किया था।
बिहार में बड़े राजनीतिक बदलाव के संकेत
नीतीश कुमार के बदले तेवर पिछले माह एलजेपी (एनडीए की दूसरी सहयोगी पार्टी )नेता रामविलास पासवान के साथ नजदीकी बढ़ाने के दौरान दिखाई दिए थे। हाल के दिनों में उन्होंने दलितों और मुस्लिमों से जुड़े कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। इसके बाद से बीजेपी से उनके रिश्ते लगातार असहज होते गए, जिससे सभी की नजरें उन पर टिक गई हैं।
बाढ़ राशि में की गई कटौती , नोटबंदी , नागरिकता कानून का विरोध, आदि घटनाक्रमों से नीतीश कुमार के बदले तेवरों के संकेत मिल रहे हैं। जिससे बिहार की राजनीति में गर्मी पैदा हो गई है। राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे राज्य के सियासी समीकरणों में "बड़े बदलाव का शुरूआती संकेत" करार दिया है।
I was a supporter of demonetization,but how many benefited from the move? Some people were able to shift their cash from one place to another: Bihar CM Nitish Kumar (26.5.18) pic.twitter.com/yrLkHRQqAi
— ANI (@ANI) May 27, 2018
विशेष राज्य के मुद्दे पर बड़े आंदोलन की तैयारी
दिलचस्प बात है कि नोटबंदी के मुद्दे पर नीतीश कुमार ने पहले नरेंद्र मोदी का समर्थन किया था। इस बीच जिस तरह से नीतीश कुमार का अंदाज बदला है, उससे बीजेपी खेमे में बेचैनी पैदा हो गई है। सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर अब आंदोलन करने वाले हैं। मौजूदा घटनाक्रम पर जेडीयू के सीनियर नेता केसी त्यागी ने कहा कि इस मामले में कुछ भी कहना फिलहाल जल्दबाजी होगा। उन्होंने इतना जरूर कहा कि जिस तरह बीजेपी अपने कोर अजेंडा को किसी के लिए नहीं छोड़ती है, उसी तरह जेडीयू भी किसी दूसरे के लिए अपने कोर एजेंडा को नहीं छोड़ेगी। उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि नीतीश को भाजपा में वो महत्व नहीं मिला है, जो गठबंधन सहयोगी के रूप में उन्हें मिलना चाहिए।
नीतीश अपनी स्थिति को लेकर चिंतित
नीतीश बिहार के तत्कालीन राजनीतिक घटनाक्रम के दबाव में बीजेपी से जुड़ जरूर गए हैं, लेकिन वह सत्तारूढ़ गठबंधन में अपने को लगातार असहज महसूस कर रहे हैं। चाहे पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की मांग हो या फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देने की बात, केंद्र सरकार ने नीतीश की बात को तरजीह नहीं दी। जेडीयू में तब और चिंता बढ़ गई, जब हाल ही में किए गए एक सर्वे में एक बात सामने आई कि बीजेपी, जेडीयू के वोट की कीमत पर अपना विस्तार कर रही है। इसके बाद जेडीयू को नीतीश कुमार की बिग ब्रदर वाली भूमिका खतरे में पड़ती दिखाई दी। जिसके बाद नीतीश अपनी स्थिति को लेकर सतर्क हो गए हैं।
नीतीश के ताजा रुख को तेजस्वी ने बताया यू-टर्न
उधर नीतीश के बदले अंदाज से जहां भाजपा में बेचैनी पैदा हो गई है, वहीं आरजेडी और कांग्रेस भी इस मसले पर उलझन में हैं। तेजस्वी यादव ने नीतीश के इस बदले अंदाज को यू-टर्न करार दिया है। कांग्रेस ने इस मसले पर फिलहाल चुप्पी साध रखी है। कांग्रेस ने अपने एक बयान में बताया कि उसकी पूरे मामले पर नजदीकी नजर है। फिलहाल इस मसले पर बोलना जल्दबाजी कही जाएगी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार बिहार की सियासत में दिखाई देने वाली शांति, तूफान से पहले की शांति जैसी है।
Created On :   29 May 2018 12:26 PM IST