बिहार चुनाव में नीतीश के अंतिम चुनाव के बयान के कई मायने

Nitishs last election statement in Bihar election has many meanings
बिहार चुनाव में नीतीश के अंतिम चुनाव के बयान के कई मायने
बिहार चुनाव में नीतीश के अंतिम चुनाव के बयान के कई मायने
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पटना, 6 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने गुरुवार को बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन यह उनका अंतिम चुनाव है कह कर बिहार की सियासत की तपिश बढ़ा दी है, हालांकि नीतीश के बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। नीतीश के बयान को उनकी ही पार्टी जदयू भी अलग ढंग से देखती है। कई इसे इमोशनल कार्ड भी खेलना बता रहे हैं।

वैसे नीतीश की पहचान सधे, मंझे और गूढ राजनेता के रूप में रही है। कहा जाता है कि नीतीश बिना सोचे समझे कोई बयान नहीं देते हैं और उनके बयानों के कई अर्थ होते हैं।

नीतीश की यह पहचान केवल बिहार में ही नहीं पूरे देश में दिखाई देती रही है। नीतीश के बयान के बाद जदयू के वरिष्ठ नेता और जदयू के बिहार प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने इस बयान को चुनाव प्रचार के अंतिम दिन से जोड़ दिया।

सिंह ने कहा, सार्वजनिक जीवन जीने वाले, राजनीति करने वाले कभी रिटायर नहीं होते। जबतक पार्टी चाहेगी नीतीश कुमार काम करते रहेंगे। जब वे चुनाव लड़ ही नहीं रहे, तो यह अंतिम चुनाव कैसे।

राजनीतिक समीक्षक सुरेंद्र किशोर भी कहते हैं कि जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सिंह अगर कोई बयान दे रहे हैं, उसे नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि यह सही है कि नीतीश कुमार के बयान के कई मायने निकाले जा सकते हैं। उन्होंने इसे भावना उभारने वाला बयान होने से भी इंकार नहीं किया है।

किशोर कहते हैं, जदयू में नीतीश सर्वमान्य नेता रहे हैं। पार्टी उन्हें इतना आसानी से छोड़ देगी, इसकी उम्मीद काफी कम है।

इधर, जदयू के एक नेता कहते हैं कि नीतीश के संन्यास लेने के बाद जदयू ही बिखर जाएगी। जदयू के नेता ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर कहा, अन्य दलों की तरह जदयू वंशवाद की पार्टी नहीं है और भाजपा की तरह संगठित पार्टी भी नहीं है, ऐसे में पार्टी के लोग ही नीतीश कुमार को पार्टी से अलग नहीं होने देंगे।

यह सच भी है कि जदयू में ऐसा कोई नेता नहीं जो पार्टी के कार्यकतार्ओं को जोड़ कर रख सके और पार्टी के कार्यकर्ता भी उन्हें नेता मान लें।

जदयू के प्रवक्ता अजय आलोक भी कहते हैं कि राजनीति या सार्वजनिक जीवन में कोई रिटायर नहीं होता। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान का संन्यास से जोड़ना सही नहीं है।

वैसे, यहां आम लोगों की बात की जाए तो उन्हें भी नीतीश का यह बयान गले के नीचे नहीं उतरता है। लोगों का मानना है कि नीतीश का यह बयान वोट पाने की एक और जुगाड़ है, क्योंकि नीतीश आसानी से मैदान छोड़ने वालों में नहीं।

उल्लेखनीय है कि पूर्णिया के धमदाहा में गुरुवार को जदयू की प्रत्याशी लेसी सिंह के समर्थन में आयोजित एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था, आज चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है। परसों चुनाव है और मेरा यह अंतिम चुनाव है। अंत भला तो सब भला।

चार दशकों से राजनीतिक जीवन जीने वाले नीतीश कुमार 15 साल तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं, आज भी वे बिहार चुनाव में राजग का मुख्यमंत्री का चेहरा हैं।

बहरहाल, जो भी हो, मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद नीतीश के राजनीतिक सन्यास को लेकर बहस तेज हो गई है, लेकिन पूरे चुनाव प्रचार में बिहार को विकसित राज्य बनाने का वादा करने वाले नीतीश बिना काम किए मैदान छोड देंगे, यह किसी की गले नहीं उतर रही है। माना जा रहा है कि यही कारण है कि पार्टी के नेता अब सामने आकर बयान दे रहे हैं।

एमएनपी-एसकेपी

Created On :   6 Nov 2020 9:01 AM GMT

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