बिहार में शिक्षकों को मिले एक समान वेतन, राज्य सरकार को SC की फटकार

Niyojit Teachers Entitled To Salary On Par With Regular Teachers Supreme Court Uphelds Patna High Court Order
बिहार में शिक्षकों को मिले एक समान वेतन, राज्य सरकार को SC की फटकार
बिहार में शिक्षकों को मिले एक समान वेतन, राज्य सरकार को SC की फटकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने समान काम के लिए समान वेतन के सिद्धांत को मानते हुए बिहार के हजारों नियोजित टीचरों को राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। पटना हाई कोर्ट ने नियोजित टीचरों को नियमित सरकारी टीचरों के समान वेतन देने का आदेश दिया था। इस आदेश को बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि जब आपने नियोजित शिक्षकों को पढ़ाने के लिए रखा तब उनकी क्वालिफिकेशन पर क्यों आपत्ति नहीं जताई? लेकिन जब समान काम का समान वेतन देने की बात आई तो आपने उनकी क्वालिफिकेशन पर प्रश्नचिन्ह लगाया। जबकि उन्हीं शिक्षकों से पढ़कर कितने छात्रों ने बेहतर प्रदर्शन किया है।

न्यायाधीश यूयू ललित और न्यायधीश आदर्श कुमार गोयल की बेंच ने समान काम - समान वेतन पर लगभग एक घंटे तक चली सुनवाई के दौरान कहा कि वेतन आज नहीं तो कल बराबर देना ही होगा। नियोजित शिक्षक राज्य में कुल शिक्षकों के 60% हैं और उनके साथ ऐसी असमानता ठीक नहीं, उन्हें बराबरी पर लाना ही होगा।

पंचायत के जरिए 2006 में और इससे पूर्व चुने गए 3।5 लाख शिक्षकों को एक समान वेतन देने के लिए सरकार को 10,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने होंगे। इन शिक्षकों को सरकार अभी 6000 रुपये प्रति माह देती है जबकि नियमित शिक्षकों को 50,000 रुपये प्रति माह मिलते हैं।

बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि जब स्कूल एक है, योग्यता एक है, बच्चे एक है, काम भी एक है तो वेतन में असमानता क्यों। राज्य सरकार ने इस आदेश को चुनौती दी है। कहा है कि इससे राज्य पर 28,000 करोड़ रुपये का भार पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट में नियोजित टीचरों की ओर से पेश वकीलों ने दलील दी कि ऐसे टीचर सरकारी टीचरों के बराबर काम करते हैं। नियोजित टीचरों की सेवा शर्त, सैलरी आदि राज्य सरकार ही तय करती है। चूंकि दोनों टीचर एक तरह के काम करते हैं, ऐसे में समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए। समान काम के लिए समान वेतन न देना गैर संवैधानिक है। नियोजित टीचरों की ओर से कहा गया कि समान वेतन देने पर राज्य सरकार को 9,800 करोड़ रुपये अतिरिक्त आर्थिक भार आएगा। साथ ही यह भी दलील दी गई कि टीचरों पर होने वाले खर्च में से 60 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार देती है। राज्य सरकार केंद्र के फंड को भी खर्च नहीं करती। 

Created On :   29 Jan 2018 10:51 PM IST

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